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नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय बाधाएं: ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय बाधाएं: ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट_3.1

भारत में अक्षय ऊर्जा से जुड़े मुद्दे: संदर्भ

  • हाल ही में, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा स्थापित ऊर्जा पर एक स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें उसने सरकार से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय बाधाओं के मुद्दे से निपटने हेतु नवीन एवं अभिनव उपकरणों का अन्वेषण करने हेतु कहा है।

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नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय बाधाएं: प्रमुख संस्तुतियां

  • हरित बैंक स्थापित करें: हरित बैंक वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा वित्त पोषण में तेजी लाने के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में उभरे हैं, अतः सरकार को देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही निरंतर वित्त संबंधी चुनौतियों का समाधान करने हेतु एक हरित बैंक प्रणाली की स्थापना के बारे में अन्वेषण करना चाहिए।
  • नवीकरणीय वित्त दायित्व ( रिन्यूअल फाइनेंस ऑब्लिगेशन/आरएफओ) निर्धारित करें: समिति ने यह भी सुझाव दिया कि एमएनआरई को बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के लिए नवीकरणीय क्रय दायित्व (आरपीओ) की तर्ज पर नवीकरणीय वित्त दायित्व निर्धारित करने की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिए।
    • नवीकरणीय वित्त दायित्व उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपने निवेश का एक विशिष्ट प्रतिशत निवेश करने हेतु बाध्य करेगा।
  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण: प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए ऋण की सीमा में वृद्धि की जानी चाहिए तथा एमएनआरई को इस मामले को वित्त मंत्रालय एवं भारतीय रिजर्व बैंक के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।
  • वित्त पोषण के वैकल्पिक मार्ग खोजें: समिति ने यह भी सुझाव दिया कि मंत्रालय को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए नवप्रवर्तनशील वित्तपोषण तंत्र (इनोवेटिव फाइनेंसिंग मैकेनिज्म) एवं वैकल्पिक वित्त पोषण के मार्ग तलाशने चाहिए जैसे  अवसंरचना विकास कोष (इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड/आईडीएफ), अवसंरचना निवेश न्यास (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स/इनविट), वैकल्पिक निवेश कोष (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स), ग्रीन/मसाला बॉन्ड्स, क्राउडफंडिंग (वेबसाइट के माध्यम से दान के लिए धन जमा करना) इत्यादि।
  • इरेडा को विशेष विंडो प्रदान करें: भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी ( इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी/इरेडा) को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए अल्प लागत वाले वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु एनएचबी, सिडबी एवं नाबार्ड जैसे अन्य विशिष्ट वित्तीय संस्थानों के साथ रेपो दर पर आरबीआई से उधार लेने के लिए एक विशेष विंडो  प्रदान की जानी चाहिए।
  • ऋणों की पुनर्रचना: मंत्रालय को बैंकों को ऋणों के पुनर्गठन के लिए इस तरह से प्रयास करना चाहिए कि ईएमआई, राजस्व सृजन के शीर्ष समय (पीक सीजन) में अधिक एवं मंद समय (ऑफ-सीजन) में कम रखी जाए।
  • विद्युत अधिनियम में संशोधन करें: विद्युत अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए एवं राज्य विद्युत नियामक आयोगों द्वारा याचिकाओं के अनुमोदन/निपटान हेतु अधिकतम अवधि निर्धारित की जानी चाहिए।
  • बिजली (विलंब भुगतान अधिभार) नियम, 2021: समिति ने सिफारिश की कि मंत्रालय को बिजली (विलंब भुगतान अधिभार) नियम, 2021 का उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि विकासकों (डेवलपर्स) को बकाया भुगतान में डिस्कॉम्स द्वारा हुए विलंब के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्त हो।
  • देय राशि का भुगतान: मंत्रालय को राज्यों/डिस्कॉमों से ‘फर्स्ट इन-फर्स्ट आउट’ के आधार पर बकाया चुकाने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि सबसे पुराने बकाया का भुगतान पहले किया जा सके।

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