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आवश्यक वस्तु अधिनियम- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायिकी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे; सार्वजनिक वितरण प्रणाली-उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।
आवश्यक वस्तु अधिनियम चर्चा में क्यों है?
- जुलाई के मध्य से अरहर दाल की कीमतों में उछाल एवं कुछ व्यापारियों द्वारा बिक्री को प्रतिबंधित करके कृत्रिम आपूर्ति को दबाने की रिपोर्ट आने के साथ, केंद्र ने राज्यों को ऐसे व्यापारियों के पास उपलब्ध स्टॉक की निगरानी एवं सत्यापन करने हेतु कहने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट/ईसीए) 1955 लागू किया है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- आवश्यक वस्तु अधिनियम ऐसे समय में निर्मित किया गया था जब देश खाद्यान्न उत्पादन के निरंतर खराब स्तर के कारण खाद्य पदार्थों की कमी का सामना कर रहा था।
- देश आबादी को आहार उपलब्ध कराने के लिए आयात एवं सहायता (जैसे पीएल-480 के तहत अमेरिका से गेहूं का आयात) पर निर्भर था।
- खाद्य पदार्थों की जमाखोरी तथा कालाबाजारी को रोकने के लिए 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम निर्मित किया गया था।
विशेषताएं
- आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 का उपयोग केंद्र को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में व्यापार के राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रण को सक्षम करने की अनुमति प्रदान कर मुद्रास्फीति पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु किया जाता है।
- उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय इस अधिनियम को लागू करता है।
- किसी वस्तु को आवश्यक घोषित करके, सरकार उस वस्तु के उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण को नियंत्रित कर सकती है एवं भंडारण की सीमा निर्धारित कर सकती है।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में आवश्यक वस्तुओं की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है। धारा 2 (ए) में कहा गया है कि “आवश्यक वस्तु” का अर्थ अधिनियम की अनुसूची में निर्दिष्ट वस्तु है। 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, यदि केंद्र सरकार को प्रतीत होता है कि किसी आवश्यक वस्तु की आपूर्ति को बनाए रखना या उसमें वृद्धि करना अथवा उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना आवश्यक है, तो वह उस वस्तु के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण एवं बिक्री को नियंत्रित अथवा प्रतिबंधित कर सकती है।
- इस अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध कुछ आवश्यक वस्तुएं खाद्य पदार्थ हैं जिनमें खाद्य तेल एवं तिलहन, दवाएं, उर्वरक, पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद सम्मिलित हैं।
- केंद्र के पास जनहित में किसी भी वस्तु को इस सूची से जोड़ने या हटाने की शक्ति है एवं यही उसने मास्क तथा हैंड सैनिटाइजर के साथ किया है।
- जब किसी आवश्यक वस्तु की कीमतों में वृद्धि होती हैं, तो सरकार जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक-होल्डिंग की सीमा निर्धारित करती है, उल्लंघन करने वालों के स्टॉक को जब्त करती है एवं दंडित करती है।
मुद्दे
- हाल के वर्षों में, एक तर्क दिया गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम कठोर था एवं ऐसे समय के लिए उपयुक्त नहीं था जब किसानों को कमी के स्थान पर बहुतायत का सामना करना पड़ता था।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 ने तर्क दिया कि इसने किसानों के लिए लाभकारी कीमतों में बाधा उत्पन्न की एवं भंडारण संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश को हतोत्साहित किया।
- व्यापारी आम तौर पर अपनी सामान्य क्षमता से कम क्रय करते हैं, जो शीघ्र खराब होने वाली फसलों की अधिशेष फसल के दौरान किसानों को भारी नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण शीत भंडार गृह (कोल्ड स्टोरेज), गोदामों, प्रसंस्करण एवं निर्यात में निवेश की कमी के कारण किसानों को बेहतर मूल्य नहीं प्राप्त हो पाता है।
- इन मुद्दों के कारण, संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया, किंतु किसानों के विरोध के कारण सरकार को इस कानून को निरस्त करना पड़ा।
आगे की राह
- आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 तब लाया गया था जब भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था, किंतु अब भारत अधिकांश कृषि-वस्तुओं के उत्पादन में अधिशेष हो गया है एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने साथ ही व्यापारिक सुगमता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
- यद्यपि विरोध के कारण इसे निरस्त कर दिया गया है, सरकार को किसानों एवं किसान संघों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि किसानों की आवश्यकता के अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम में सामूहिक रूप से संशोधन किया जा सके तथा वर्तमान परिदृश्य के लिए उपयुक्त परिवर्तन लाया जा सके।




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