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भारत में जैव विविधता हॉटस्पॉट 

जैव विविधता क्या है?

  • जैव विविधता अथवा जैविक विविधता पृथ्वी पर जीवित प्रजातियों की विविधता को संदर्भित करती है, जिसमें पौधे, पशु, जीवाणु तथा कवक सम्मिलित हैं।
  • जैविक विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम आर्थर हैरिस (1916) ने किया था, जो एक अमेरिकी वनस्पतिशास्त्री थे।
  • “जैव विविधता” शब्द प्रथम बार 1985 में वाल्टर जी. रोसेन द्वारा गढ़ा गया था।
  • आम तौर पर, जैव विविधता को तीन मूलभूत श्रेणियों, अर्थात आनुवंशिक विविधता, प्रजातीय विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र विविधता में विभाजित किया जाता है।

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जैव विविधता हॉटस्पॉट क्या हैं?

  • ‘जैव विविधता हॉटस्पॉट’ शब्द सर्वप्रथम नॉर्मन मायर्स (1988) द्वारा गढ़ा गया था।
  • उन्होंने पौधों की स्थानिकता के स्तर तथा पर्यावास के उच्च स्तर की हानि के अनुसार 10 उष्णकटिबंधीय  वनों को “हॉटस्पॉट” के रूप में मान्यता दी। हालांकि, क्षेत्रीय पारिस्थितिक हॉटस्पॉट को नामित करने के लिए इसमें कोई मात्रात्मक मानदंड नहीं था।
  • दो वर्ष पश्चात, उन्होंने आठ अन्य हॉटस्पॉट जोड़े, जिससे विश्व में हॉटस्पॉट की संख्या बढ़कर 18 हो गई।
  • संरक्षण इंटरनेशनल (कंजर्वेशन इंटरनेशनल/सीआई), बाद में, मायर्स से जुड़ा एवं हॉटस्पॉट को प्रथम व्यवस्थित अद्यतन किया।
  • सीआई ने एक क्षेत्र के लिए हॉटस्पॉट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दो सख्त मात्रात्मक मानदंड प्रस्तुत किए:
    • इसमें संवहनी पौधों की कम से कम 1,500 प्रजातियां (विश्व की कुल प्रजातियों का 0.5%) स्थानिक रूप में होनी चाहिए;
    • इसे अपने मूल पर्यावास स्थल का 70% हिस्सा खोना पड़ा है।

 

भारत में जैव विविधता हॉटस्पॉट 

  • विश्व के 36 जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में से 4 भारत में हैं। ये हॉटस्पॉट हैं: हिमालय, पश्चिमी घाट, इंडो-बर्मा क्षेत्र और सुंडालैंड।

 

हिमालय

  • कुल मिलाकर, हिमालय में उत्तर-पूर्वी भारत, भूटान, नेपाल के मध्य तथा पूर्वी हिस्से सम्मिलित हैं।
  • ये हिमालय पर्वत विश्व में सर्वाधिक ऊंचे हैं तथा माउंट एवरेस्ट एवं K2 सहित विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटियों की मेजबानी करते हैं।
  • इसमें सिंधु तथा गंगा जैसी विश्व की कुछ प्रमुख नदियाँ भी सम्मिलित हैं।
  • हिमालय लगभग 163 संकटग्रस्त प्रजातियों की मेजबानी करता है जिनमें एक सींग वाले गैंडे, जंगली एशियाई जल भैंस तथा 45 स्तनधारी, 50 पक्षी, 12 उभयचर, 17 सरीसृप, 3 अकशेरुकी एवं 36 पौधों की प्रजातियां  सम्मिलित हैं।

 

पश्चिमी घाट

  • ये पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी किनारे पर पाई जाती हैं।
  • चूंकि यह क्षेत्र पर्वतीय एवं महासागरीय है, इसलिए यहां अच्छी मात्रा में वर्षा होती है।
  • लगभग 77% उभयचर एवं 62% सरीसृप स्थानिक हैं।
  • इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र पक्षियों की लगभग 450 प्रजातियों, 140 स्तनधारियों, 260 सरीसृपों और 175 उभयचरों का भी आवास है।

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इंडो-बर्मा क्षेत्र

  • इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर भारत (ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण में), म्यांमार तथा चीन के युन्नान प्रांत, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, वियतनाम, कंबोडिया एवं थाईलैंड सहित विभिन्न देश सम्मिलित हैं।
  • इस क्षेत्र में लगभग 13,500 पौधों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं, जिनमें से  आधे स्थानिक हैं एवं वैष्णो में किसी अन्य स्थान पर नहीं पाई जा सकती हैं।
  • यद्यपि यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता में अत्यधिक समृद्ध है, किंतु विगत कुछ दशकों में स्थिति बिगड़ती जा रही है।

 

सुंडालैंड

  • यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है एवं इसमें थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ब्रुनेई तथा मलेशिया  सम्मिलित हैं।
  • निकोबार क्षेत्र इस हॉटस्पॉट में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यूनेस्को ने इस क्षेत्र को 2013 में विश्व बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया था।
  • इन द्वीपों में मैंग्रोव, समुद्री घास के स्तर तथा प्रवाल भित्तियों सहित एक समृद्ध स्थलीय एवं साथ ही समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है।

 

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