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राजनीतिक चंदे पर एडीआर रिपोर्ट

राजनीतिक चंदे पर एडीआर रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विकास प्रक्रियाएं एवं विकास उद्योग – गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों एवं संघों, दाताओं, न्यासों, संस्थागत एवं अन्य हितधारकों की भूमिका।

 

राजनीतिक चंदे पर एडीआर रिपोर्ट: प्रसंग

  • हाल ही में, एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें ईसने प्रकट किया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों को प्राप्त हुए चंदे का 55% से अधिक “अज्ञात” स्रोतों से आया था।

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राजनीतिक चंदे पर एडीआर रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • एडीआर ने 23 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया है जिन्होंने अपनी वार्षिक लेखा परीक्षा एवं अंशदान रिपोर्ट दायर की है, और बताया कि 32% “अज्ञात” स्रोतों से आए हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, “अज्ञात” स्रोतों से लगभग 95% चंदे में चुनावी ऋण पत्र (इलेक्टोरल बॉन्ड) का योगदान था।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय दलों को “अज्ञात” स्रोतों से प्राप्त दान से उनकी आय में 70% तक की वृद्धि हो जाती है।
  • दक्षिण की पार्टियां – टीआरएस, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, डीएमके एवं जद (एस) – “अज्ञात” स्रोतों से सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों की सूची में सबसे ऊपर हैं।
  • क्षेत्रीय दलों द्वारा “ज्ञात” दाताओं से प्राप्त दान ने उनकी कुल आय में 98% तक की वृद्धि की।
    • ज्ञात दाता वे हैं जिनका विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत अंशदान रिपोर्ट से उपलब्ध होता है।

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एडीआर के सुझाव

  • एडीआर ने नोट किया है कि चूंकि राजनीतिक दलों की आय के एक बहुत बड़े प्रतिशत के मूल दाता को नहीं खोजा जा सकता है, अतः सभी दाताओं का संपूर्ण विवरण आरटीआई के अंतर्गत सार्वजनिक जांच  हेतु उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • साथ ही, किसी भी संगठन को जो विदेशी वित्त पोषण (फंडिंग) प्राप्त करता है, उसे किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के समर्थन या प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  • एडीआर ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी दान (20,000 रुपये से अधिक एवं कम), कूपन की बिक्री से आय, सदस्यता शुल्क, इत्यादि के भुगतान की विधि दलों द्वारा अंकेक्षण रिपोर्ट में घोषित किया जाना चाहिए, जो आईटी विभाग एवं भारत के निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

 

चुनावी ऋण पत्र के बारे में

  • चुनावी ऋण पत्र राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय साधन है।
  • यह आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय की एक पहल है।
  • चुनावी ऋण पत्र एक वचन पत्र (रुक्का) एवं एक ब्याज मुक्त बैंकिंग साधन की प्रकृति में है।
  • भारत का एक नागरिक अथवा भारत में निगमित निकाय ऋण पत्र (बॉन्ड) खरीदने हेतु पात्र होंगे।
  • भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की निर्दिष्ट शाखाओं से, किसी भी मूल्य के लिए, 1,000 के गुणकों में चुनावी ऋण पत्र जारी/खरीदे जाएंगे।

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