Table of Contents
संपादकीय विश्लेषण- रोड टू रिकवरी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
संपादकीय विश्लेषण- रोड टू रिकवरी: प्रसंग
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने हाल ही में जीडीपी एवं जीवीए हेतु अनुमान जारी किए हैं, जिसने पुष्टि की है कि अर्थव्यवस्था अब विगत वित्त वर्ष के रिकॉर्ड संकुचन के पश्चात पुनः प्राप्ति की राह पर है।
संपादकीय विश्लेषण- रोड टू रिकवरी: प्रमुख बिंदु
सकल घरेलू उत्पाद
- दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद में 4% का विस्तार हुआ, जो विगत वर्ष के 7.4% संकुचन से प्रतिक्षिप्त हो गया।
- अर्थव्यवस्था में यह प्रतिक्षेप आधार प्रभाव एवं जीवीए में वास्तविक वृद्धि दोनों के कारण है क्योंकि विकास महामारी – पूर्व 2019-20 वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही से भी अधिक है।
सकल मूल्य वर्धन (जीवीए)
- सकल मूल्य वर्धन (ग्रॉस वैल्यू एडेड) भी सुधार को रेखांकित करता है, क्योंकि जुलाई-सितंबर 2021 जीवीए के आंकड़े ने 2019 की जुलाई-सितंबर की अवधि से 5% विस्तार दर्ज किया।
- जीवीए वास्तविक अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख औपचारिक क्षेत्रों में क्रियाकलापों की सीमा को प्रदर्शित करता है।
- आठ में से पांच क्षेत्रों ने न केवल एक वर्ष पूर्व की तिमाही से वृद्धि दर्ज की, बल्कि कोविड-19-पूर्व के प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया।
- विनिर्माण, जो जीवीए का दूसरा सर्वाधिक वृहद अंश गठित करता है, ने पुनः कर्षण प्राप्त कर लिया है क्योंकि इसने वित्त वर्ष 2020 की महामारी-पूर्व दूसरी तिमाही से 9% विस्तार प्रदर्शित किया है।
- विनिर्माण सहित रोजगार प्रदान करने वाली प्रमुख सेवाएं अभी तक महामारी के विनाशकारी प्रभाव से पूरी तरह से उबर नहीं पाई हैं।
- इसके अतिरिक्त, जैसा कि ओमिक्रोन वेरिएंट के संभावित प्रभाव के बारे में ज्ञात नहीं है, अभी के लिए यहां का दृष्टिकोण अस्पष्ट रह सकता है।
संपादकीय विश्लेषण- रोड टू रिकवरी: मुद्दे
- निजी अंतिम उपभोग व्यय आशाजनक परिणाम प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं।
- निजी अंतिम उपभोग सभी उपभोक्ताओं द्वारा आवश्यक वस्तुओं से लेकर विलासिता की वस्तुओं एवं सेवाओं के संपूर्ण परिसर पर व्यय को मापती है।
- यह सकल घरेलू उत्पाद का सर्वाधिक वृहद अंश 55% गठित करता है।
- अल्प उपभोक्ता व्यय: महामारी से प्रेरित अनिश्चितता, कम या समाप्त हुई आय के साथ, मांग में गिरावट जारी है एवं उपभोक्ता व्यय में अभी भी कोविड-19-पूर्व स्तर से 5% कम है।
- सरकारी उपभोग व्यय: चूंकि केंद्र सरकार राजकोषीय सुदृढ़ीकरण हेतु आवश्यक कदम उठा रही है, अतः वह उपभोग पर कम व्यय कर रही है। उपभोग पर व्यय पूर्व-कोविड स्तरों से भी कम है।
- आईएचएस मार्किट द्वारा विनिर्माण पीएमआई आंकड़ों से ज्ञात होता है कि बढ़ती आदान लागत निर्माताओं को कीमतों में वृद्धि करने हेतु बाध्य कर सकती है जिससे मुद्रास्फीति में और वृद्धि होगी।
संपादकीय विश्लेषण- रोड टू रिकवरी: आगे की राह
- नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने हेतु सरकारी व्यय में वृद्धि करने सहित मांग-सहायक उपायों को बढ़ाने की आवश्यकता है कि पुनः प्राप्ति (रिकवरी) जारी रहे एवं कर्षण प्राप्त हो।




TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
