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संपादकीय विश्लेषण: भारतीय कृषि को एक वर्गीज कुरियन की आवश्यकता है

प्रासंगिकता

  • जीएस 3: कृषि उपज का भंडारण, परिवहन एवं विपणन एवं मुद्दे तथा संबंधित बाधाएं

 

संपादकीय विश्लेषण: भारतीय कृषि को एक वर्गीज कुरियन की आवश्यकता है_3.1

 

प्रसंग

  • 26 नवंबर, 2021 को भारत के दुग्ध पुरुष वर्गीज कुरियन की 100वीं जयंती के रूप में चिह्नित किया गया।

 

वर्गीज कुरियन कौन थे?

  • कुरियन केरल से थे एवं उन्होंने एक वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में धातु विज्ञान जैसे विषय में शिक्षा प्राप्त की जो कृषि से बहुत दूर है।
  • उन्होंने अमूल के विचार को एक सहकारी के रूप में डिजाइन किया, इसे एक वैश्विक ब्रांड बनाया एवं बाद में श्वेत क्रांति की शुरुआत की जिसने भारत को विश्व में सर्वाधिक वृहद दुग्ध उत्पादक देश बना दिया।
  • गांधीवादी विचारधारा: सहकारी मॉडल के लिए कुरियन का आकर्षण निर्धनता उन्मूलन एवं सामाजिक परिवर्तन पर गांधीवादी सोच से प्रभावित था।
  • उन्होंने सहकारी समितियों को महात्मा गांधी की शक्तिशाली अंतर्दृष्टि के निकटतम अवतार के रूप में देखा कि “विश्व को व्यापक पैमाने पर उत्पादन की नहीं, बल्कि जनता द्वारा उत्पादन किए जाने की आवश्यकता है”।

 

कुरियन का रास्ता

  • व्यवसाय विकास का सहकारी मॉडल कुरियन की दृष्टि का केंद्रबिंदु था।
  • उन्होंने किसानों को भारत की विकास यात्रा के केंद्र में रखा एवं अपनी व्यावसायिक सत्यनिष्ठा से किसानों का दिल जीत लिया।
  • उनका मानना ​​था कि भारत की अनुकूल परिस्थितियां इसके ग्रामीण लोगों की बुद्धिमता एवं इसके पेशेवरों के कौशल के मध्य साझेदारी से आएंगी।
  • वे व्यावसायिक जगत के विचारों एवं प्रथाओं को शामिल करने से नहीं कतराते थे क्योंकि यह विदित है कि विपणन एवं प्रबंधन, ब्रांडिंग एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार, इत्यादि में निजी क्षेत्र उत्कृष्ट हैं एवं संपूर्ण विश्व के व्यवसायों के अनुसरण एवं स्वीकृत करने हेतु मानदंड (बेंचमार्क) निर्धारित करते हैं।

 

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अमूल का विकास

  • अमूल ने अपनी उत्पाद श्रृंखला में विविधता लाते हुए और नए उत्पाद जोड़ते हुए तेजी से विकास किया है।
  • अमूल भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध खाद्य पदार्थों के ब्रांडों में से एक बना हुआ है एवं अन्य डेयरी सहकारी समितियों जैसे कर्नाटक में नंदिनी, तमिलनाडु में आविन एवं पंजाब में वेरका के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

 

डिजिटल क्रांति पर ध्यान

  • भारत की डिजिटल क्रांति ने कृषि क्षेत्र को उपेक्षित कर दिया है।
  • हमारे पास स्मार्ट शहर हैं, स्मार्ट गांव नहीं हैं, यहां तक ​​कि रहने योग्य गांव भी नहीं हैं।
  • भारत में सहकारी आंदोलन व्यावसायिक प्रबंधन की कमी, पर्याप्त वित्त एवं प्रौद्योगिकी के अपर्याप्त अंगीकरण के कारण प्रभावित हुआ है।
  • महामारी ने शहरी-ग्रामीण विभाजन को और गहन कर दिया है।
  • शेयर बाजार में तेजी के कारण जहां व्यवसाय क्षेत्र समृद्ध हो रहा है, वहीं ग्रामीण भारत में आय कम हो रही है।

 

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