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संपादकीय विश्लेषण- युद्ध से चीन के निहितार्थ 

युद्ध से चीन के निहितार्थ- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध– भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

संपादकीय विश्लेषण- युद्ध से चीन के निहितार्थ _3.1

समाचारों में युद्ध से चीन के निहितार्थ

  • भारत की भांति एवं अपेक्षित तर्ज पर, चीन ने भी यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा करने संबंधी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के यू.एस. प्रायोजित प्रस्ताव पर मतदान से स्वयं को पृथक रखा।
  • यद्यपि,  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से चीन के स्वयं को पृथक रखने के कारणों के साथ-साथ आक्रमण से उसके लाभ एवं अपेक्षाएँ उसकी अपनी स्थिति के लिए अद्वितीय हैं।
    • 2014 में भी, जब क्रीमिया में रूसी आक्रमण के विरुद्ध अंतिम मत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान हेतु आया तो चीन ने स्वयं को पृथक रखने का निर्णय लिया, जैसा कि क्रीमियन जनमत संग्रह की वैधता थी।

 

रूस यूक्रेन युद्ध- चीन की रणनीतिक स्थिति

  • क्या चीन को रूस के इरादों के बारे में पता था: अनेक पर्यवेक्षकों ने अवलोकन किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन के लिए बीजिंग का दौरा करते समय अपने इरादों के बारे में सूचित किया होगा।
    • शी जिनपिंग ने सुझाव दिया हो सकता है कि श्री पुतिन डोनेट्स्क एवं लुहान्स्क को  मान्यता प्रदान करने से पूर्व शीतकालीन ओलंपिक के समाप्त होने की प्रतीक्षा करें एवं वहां “रक्षात्मक सैन्य बलों”  को भेजने के बाद तत्काल आक्रमण करें।
    • चीनी अधिकारियों ने इस तरह की बातचीत को निराधार बताया है।
  • क्या चीन ने रूस को हतोत्साहित करने  हेतु पर्याप्त कदम उठाया: एक अन्य प्रश्न यह है कि क्या चीन ने रूस को हतोत्साहित करने  हेतु पर्याप्त कदम उठाया यदि उसे रूस की मंशा ज्ञात थी।
    • चीन को उम्मीद थी कि रूसी कार्रवाई डोनबास क्षेत्र तक सीमित होगी, जिसमें डोनेट्स्क एवं लुहान्स्क  सम्मिलित हैं।
    • इसके अतिरिक्त, शांति प्रक्रियाओं में सम्मिलित होने का प्रयत्न करके, चीन एक स्वार्थी शक्ति होने की नई आलोचनाओं से भी बचना चाहेगा।

संपादकीय विश्लेषण- युद्ध से चीन के निहितार्थ _4.1

रूस यूक्रेन युद्ध से चीन को किस प्रकार लाभ होगा 

  • चीन पर कम ध्यान  केंद्रण: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के परिणामस्वरूप, पश्चिमी देश संभवतः अपना ध्यान चीन से हटा देंगे।
    • इस प्रकार उदारवादी विश्व की दृष्टि में चीन प्रमुख खलनायक नहीं रहेगा, जो तब से है-
      • यह दक्षिण चीन सागर में एकपक्षीय रूप से द्वीपों का निर्माण कर रहा है,  एवं
      • शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन की खबरों में वृद्धि हुई हैं।
  • सामरिक लाभ: चीन की ‘भेड़िया योद्धा कूटनीति’ ( वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी) में भी कमी देखी जा सकती है क्योंकि यह समझौता प्रक्रिया में ध्यान लगाने  तथा हिस्सेदारी निर्मित करने  के अवसर का अनुभव करता है।
    • रूस द्वारा अपने सैन्य बजट को बढ़ाकर पश्चिमी देशों पर लागत थोपना भी चीन के लिए अच्छी बात है।
    • इससे यूरोप का ध्यान अपने पड़ोस की ओर एवं हिंद-प्रशांत से हटेगा तथा संभवत: क्वाड के साथ इसके जुड़ाव में विलंब होगा।
  • मध्य एशियाई देश: बीजिंग यूरोप के साथ यूक्रेन के जुड़ाव में भी एक प्रतिरूप को देखता है एवं मध्य एशिया में इसकी पुनरावृत्ति से भयभीत है जहां रूसी तथा चीनी हित लोकतांत्रिक हस्तक्षेप को दूर रखने में अभिसरित होते हैं।
    • चीन एवं रूस के लिए प्रमुख साझा चिंता बाह्यतः उकसाए गए शासन परिवर्तनों की है, जो मध्य एशिया में लोकतंत्रीकरण को बाध्य करते हैं तथा इस क्षेत्र को अस्थिर करते हैं।
    • यही कारण है कि चीन, यूक्रेन के साथ अपने मुद्दों को हल करने के लिए रूस से अपील करना जारी रखे हुए है।
  • चीन के लिए सामरिक एवं सैन्य सबक:
    • यदि चीन ताइवान में सैन्य समाधान पर विचार करता है या ऐसी परिस्थितियों में जहां वह अपने मूल हितों का उल्लंघन करता हुआ देखता है, तो रूस द्वारा प्रयोग किया गया  आघात एवं विस्मय तथा विस्तार आव्यूह (एस्केलेशन मैट्रिक्स) एक आदर्श हो सकता है।
    • चीन रूसी संस्थिति और संकेतों, जैसे परमाणु निवारक बलों को हाई अलर्ट पर रखना तथा यू.एस., उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन/नाटो),  प्रत्येक यूरोपीय देशों  एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद( यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल/यूएनएससी) की प्रतिक्रिया का भी अध्ययन कर रहा होगा।

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