Table of Contents
प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
प्रसंग
- हाल ही में, बॉटैनिकल गार्डन्स कंजर्वेशन इंटरनेशनल ने स्टेट ऑफ़ द वर्ल्ड ट्रीज़ पर एक रिपोर्ट जारी की एवं विश्व में वृक्षों के विलुप्त होने के संदर्भ में चेतावनी दी।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- विश्व की लगभग एक तिहाई वृक्षों की प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है, जबकि सैकड़ों विलुप्त होने के कगार पर हैं।
- वृक्षों की 17,500 प्रजातियों – कुल का लगभग 30% – के विलुप्त होने का संकट है, जबकि 440 प्रजातियों में 50 से कम व्यष्टि वनों में शेष हैं।
- कुल मिलाकर, संकटग्रस्त वृक्ष प्रजातियों की संख्या संकटग्रस्त स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों एवं सरीसृपों की संयुक्त संख्या से दोगुनी है।
- सर्वाधिक जोखिम वाले वृक्षों में मैगनोलिया एवं डिप्टरोकार्प्स सहित प्रजातियां सम्मिलित हैं – जो सामान्य तौर पर दक्षिण पूर्व एशियाई वर्षा वनों में पाए जाते हैं। ओक के वृक्ष, मेपल के वृक्ष तथा आबनूस भी संकट का सामना करते हैं।
- विश्व के शीर्ष छह देशों-ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन, कोलंबिया एवं वेनेजुएला में वृक्षों की प्रजातियों की विविधता हेतु हजारों प्रजातियों के वृक्ष विलुप्त होने के कगार पर हैं।
- सर्वाधिक संख्या ब्राजील में है, जहां वृक्षों की 1,788 प्रजातियां संकट में हैं।
आईयूसीएन के अनुसार वृक्षों हेतु प्रमुख संकट
- कृषि फसलें, वृक्षों की कटाई (लॉगिंग), पशुधन कृषि, आवासीय एवं वाणिज्यिक विकास, अग्नि एवं अग्निशमन, ऊर्जा उत्पादन तथा खनन, काष्ठ एवं लुगदी वृक्षारोपण, तीव्र प्रसार वाले एवं अन्य समस्यात्मक प्रजातियां, तथा जलवायु परिवर्तन।
- समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि एवं खराब मौसम से कम से कम 180 पेड़ों की प्रजातियों को प्रत्यक्ष तौर पर संकट है।
आईयूसीएन के अनुसार वृक्षों के सर्वाधिक सामान्य उपयोग
- विनिर्माण, औषधि (दवा), बागवानी, ईंधन, मानव भोजन, घरेलू वस्तुएं।
नीति निर्माताओं हेतु सिफारिशें
- संकटग्रस्त वृक्षों की प्रजातियों हेतु संरक्षित क्षेत्र का विस्तार करें।
- सुनिश्चित करें कि संकटग्रस्त वृक्षों की प्रजातियों को वानस्पतिक उद्यानों एवं बीज बैंकों में संरक्षित किया गया है।
- संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण हेतु सरकार एवं व्यावसायिक घरानों के द्वारा वित्तीयन (वित्त पोषण) में वृद्धि करना।
- व्यापक समाधान हेतु अंतर-क्षेत्रीय सहयोग में वृद्धि करना।
प्रच्छन्न भूख का मुकाबला: चावल का प्रबलीकरण


TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
