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पोषण उद्यान / न्यूट्री गार्डन

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

 

प्रसंग

  • महिला एवं बाल विकास मंत्री ने पोषण माह – 2021 के आरंभ को चिह्नित करने हेतु अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में पोषण उद्यान (न्यूट्री गार्डन) का उद्घाटन किया।

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मुख्य बिंदु

  • यह इस बारे में ज्ञान उपलब्ध कराएगा कि राष्ट्र की पोषण आवश्यकता की पूर्ति करने हेतु आयुर्वेद अंतःक्षेप के प्राचीन ज्ञान का प्रभावी ढंग से उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।
  • राज्य मंत्री ने कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे शिगरू, शतावरी, अश्वगंधा, आंवला, तुलसी, हल्दी के पोषण एवं औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला था।
  • उन्होंने माता एवं शिशु के समग्र कल्याण हेतु साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद पोषण प्रथाओं को  प्रोत्साहित करने के महत्व पर भी बल दिया।

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पोषण उद्यान क्या हैं?

  • पोषण-उद्यान परियोजना अच्छे स्वास्थ्य एवं कल्याण को प्रोत्साहित करने हेतु व्यक्तिगत अथवा सामुदायिक उपभोग के लिए पोषक तत्वों से समृद्ध फसलों  के उत्पादन हेतु एक लागत प्रभावी मॉडल है।
  • यह एक सतत जीवन चक्र दृष्टिकोण अपनाकर अल्प-पोषण एवं अति-पोषण दोनों से निपटने में सहायता करता है।
  • ओडिशा न्यूट्री गार्डन ऐसा ही एक सफल मॉडल है।

 

पोषण उद्यान के निर्माण की प्रक्रिया

  • एक पोषण-उद्यान परियोजना में प्राथमिक प्रतिभागियों के रूप में बच्चे होने चाहिए, एवं इसे चरणबद्ध रूप से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

 

चरण 1

  • आंगनबाड़ी में पोषण उद्यान: यह परियोजना जिले भर के कुछ सरकारी विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) में प्रारंभ की जानी चाहिए।
  • यह मध्याह्न भोजन के लिए विविध सब्जियों की स्थानीय उपलब्धता को प्रोत्साहित करेगा।
  • इसके सफल कार्यान्वयन के लिए कृषि, बागवानी एवं अन्य संबंधित पदाधिकारियों जैसे विभिन्न विभागों के मध्य अभिसरण की आवश्यकता होगी।
  • यह छात्रों के मध्य पोषण संबंधी साक्षरता में वृद्धि करेगा, एवं उन्हें फसलों के विकल्पों  (मौसम  एवं स्थलाकृति के आधार पर) तथा उनकी पोषण सामग्री के आधार पर समझाएगा।
  • परिणामों और प्रायोगिक परियोजना से सीख के आधार पर, जिले के सभी सरकारी विद्यालयों को शामिल करने के लिए परियोजना का और आमाप वर्धन जाना चाहिए।

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चरण 2

  • इस चरण के अंतर्गत, परियोजना का विस्तार निजी विद्यालयों तक किया जा सकता है, जो पोषक उद्यानों की संस्कृति को अपना सकते हैं।
  • लर्निंग बाइ डूइंग एप्रोच: स्कूलों को पाठ्येतर गतिविधियों के हिस्से के रूप में न्यूट्री-क्लब बनाना चाहिए एवं पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए।

 

पोषण उद्यानों के लाभ

  • यह छात्रों के मध्य सुरक्षित एवं स्वस्थ भोज्य व्यवहार को प्रोत्साहन देता है।
  • यह पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराता है जो बच्चों में सूक्ष्म तथा स्थूल पोषक तत्वों के अभाव को दूर कर सकता है।
  • यह विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों (आंगनबाड़ी केंद्रों) में रिक्त पड़ी भूमि का बेहतर उपयोग प्रदान करता है।
  • यह ताजी सब्जियों की सस्ती, नियमित एवं सुविधाजनक आपूर्ति भी सुनिश्चित करता है, जो पोषण के लिए बुनियादी हैं।
  • यह सरकारी विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में मध्याह्न भोजन की व्यंजन सूची में विविधता लाता है।
  • यह बच्चों को उत्प्रेरक में परिवर्तित कर देता है जो समाज में जागरूकता एवं व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।

 

चुनौतियां

  • पोषण उद्यान बनाने के लिए रक्त भूमि, जल एवं अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता का अभाव
  • प्रशासन से अपर्याप्त धन की प्राप्ति।
  • आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं विद्यालयों में अपने मौजूदा कार्यभार तथा प्रोत्साहनों के अभाव के कारण अनुत्प्रेरित कर्मचारी
  • अवधारणा को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने हेतु सरकारी पदाधिकारियों को एक मंच पर लाने में कठिनाई

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