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भारत में सामाजिक वानिकी योजनाएं | सामाजिक वानिकी

सामाजिक वानिकी योजनाएं- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

भारत में सामाजिक वानिकी योजनाएं | सामाजिक वानिकी_3.1

 समाचारों में सामाजिक वानिकी योजनाएं

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों तथा सामाजिक वानिकी योजनाओं के माध्यम से विभिन्न महानगरों सहित देश में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करता है।

 

सामाजिक वानिकी क्या है?

  • परिभाषा: सामाजिक वानिकी पर्यावरण, सामाजिक एवं ग्रामीण विकास में सहायता करने के उद्देश्य से वनों का प्रबंधन तथा संरक्षण एवं बंजर एवं वनोन्मूलित भूमि का वनीकरण है।
  • पृष्ठभूमि: सामाजिक वानिकी शब्द का प्रयोग प्रथम बार 1976 में कृषि भारत पर राष्ट्रीय आयोग द्वारा किया गया था।
  • मुख्य उद्देश्य: सामाजिक वानिकी वन संरक्षण तथा उपयोग के लिए एक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण है, जो   विभिन्न उद्देश्यों के लिए भूमि उपयोग को अधिकतम करता है।
    • सामाजिक वानिकी के माध्यम से, भारत सरकार का लक्ष्य समस्त अनुपयोगी एवं परती भूमि पर वृक्ष लगाकर वनों पर दबाव कम करना है।

 

सामाजिक वानिकी योजनाएं

  • विभिन्न सामाजिक वानिकी योजनाएं हैं- 
    • नगर वन योजना:
    • विद्यालय नर्सरी योजना,
    • प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कंपनसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी/CAMPA),
    • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (एनएपी), हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया/जीआईएम), इत्यादि जो स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, स्थानीय निकायों इत्यादि को सम्मिलित करके शहरी वानिकी, खाली भूमि पर वृक्षारोपण एवं कृषि भूमि पर बांध  इत्यादि को बढ़ावा देता है।
  • नगर वन योजना: यह प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के राष्ट्रीय कोष के तहत कुल अनुमानित लागत 895 करोड़ रुपये पर शहरी क्षेत्रों में नगर वन (शहरी वन) के निर्माण के लिए प्रारंभ की गई है।
    • एनवीवाई के तहत अब तक 22 राज्यों में कुल 65 नगर वन परियोजनाओं को कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया है।

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विभिन्न संरक्षण क्षेत्रों में सामाजिक वानिकी योजनाएं

  • वनों एवं वन्यजीवों के संरक्षण तथा सुरक्षा के लिए, वन (संरक्षण) अधिनियम 1980, भारतीय वन अधिनियम, 1927, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 सहित विभिन्न कानूनों एवं अन्य केंद्रीय / राज्य कानूनों, जैसा कि एक राज्य / केंद्र शासित प्रदेश पर लागू होता है को संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा लागू किया जाता है।
    • मंत्रालय वनों की आग से सुरक्षा के लिए वन अग्नि निवारण एवं प्रबंधन योजना के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (एनएपी) लोगों की भागीदारी के माध्यम से अवक्रमित वनों में वृक्षारोपण के लिए जिसे राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (जीआईएम) के साथ सम्मिलित कर दिया गया है।
    • अन्य उप-मिशनों के अतिरिक्त, शहरी एवं उप-शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण बढ़ाने के लिए एक विशिष्ट उप-मिशन है।
    • एनएपी के आरंभिक वर्ष 2000 के बाद से 2020-21 तक लगभग 3936.41 करोड़ रुपये के निवेश के साथ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में वनीकरण के लिए 2 मिलियन हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र को स्वीकृति प्रदान की गई थी।
    • जीआईएम के तहत 2015-16 से 2020-21 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 455 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
  • शहरी वानिकी प्रतिपूरक निधि अधिनियम, 2016 के प्रावधानों एवं उसके अंतर्गत निर्मित किए गए नियमों के तहत एक अनुमत गतिविधि है।
    • भारत सरकार ने क्षतिपूर्ति निधि अधिनियम, 2016 के अनुसार संबंधित राज्यों के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय निधि से 32 राज्य निधियों को 48606.39 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है।
  • कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन ( अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉरमेशन/अमृत): मिशन शहरों में 3794 एकड़ से अधिक भूमि पर 1864 पार्क विकसित किए गए हैं।
  • वृक्षारोपण, एक बहु-विभागीय, बहु-एजेंसी गतिविधि होने के कारण, अन्य मंत्रालयों/संगठनों के विभिन्न कार्यक्रमों/वित्त पोषण स्रोतों के अंतर्गत एवं राज्य योजना बजट के माध्यम से भी विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है।

 

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