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स्मार्ट सिटीज मिशन: प्रासंगिकता
- जीएस 3: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप
स्मार्ट सिटीज मिशन: प्रसंग
- आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जानकारी दी है कि सरकार ने स्मार्ट सिटीज मिशन के कार्यान्वयन की समय सीमा जून 2023 तक बढ़ा दी है।
स्मार्ट सिटीज मिशन: मुख्य बिंदु
- मंत्रालय ने सूचित किया है कि यह विलंब कोविड-19 महामारी के कारण हुआ है।
- नागरिकों के अनुकूल एवं आत्मनिर्भर शहरी बस्तियों के विकास के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी कार्यक्रम की भौतिक प्रगति को पहले केवल 2021 तक मापने योग्य होने की संभावना थी।
स्मार्ट सिटीज का अर्थ है
- स्मार्ट सिटीज अपनी सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकताओं एवं जीवन को बेहतर बनाने के सर्वाधिक व्यापक अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- वे अनेक प्रकार के दृष्टिकोणों – डिजिटल एवं सूचना प्रौद्योगिकी, शहरी नियोजन हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं, सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं नीति परिवर्तन – का उपयोग करते हैं।
- स्मार्ट सिटीज मिशन के दृष्टिकोण में, उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देना है जो मुख्य आधारिक संरचना प्रदान करते हैं एवं अपने नागरिकों को एक अच्छी गुणवत्ता युक्त जीवन, एक स्वच्छ एवं सतत वातावरण तथा ‘स्मार्ट’ समाधानों का अनुप्रयोग प्रदान करते हैं।
- सतत एवं समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है एवं विचार सुसम्बद्ध (कॉम्पैक्ट) क्षेत्रों को देखने, एक प्रतिकृति मॉडल बनाने का है जो अन्य महत्वाकांक्षी शहरों के लिए एक प्रकाश स्तंभ की भांति कार्य करेगा।
स्मार्ट सिटीज मिशन
दृष्टिकोण
- स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्देश्य आर्थिक विकास को गति प्रदान करना एवं स्थानीय क्षेत्र के विकास को सक्षम करके लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है, विशेष रूप से वह प्रौद्योगिकी जो स्मार्ट परिणामों की ओर ले जाती है।
स्मार्ट सिटीज मिशन रणनीति
- पैन-सिटी पहल जिसमें कम से कम एक स्मार्ट समाधान पूरे शहर में लागू किया जाता है
- क्षेत्रों का चरण-दर-चरण विकास करना – क्षेत्र-आधारित विकास के तीन प्रतिमान
- पुनर्संयोजन (रेट्रोफिटिंग),
- पुनर्विकास,
- हरित क्षेत्र।
स्मार्ट सिटीज मिशन: आधारिक संरचनागत तत्व
- पर्याप्त जल आपूर्ति,
- सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति,
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता,
- कुशल शहरी गतिशीलता एवं सार्वजनिक परिवहन,
- किफायती आवास, विशेष रूप से निर्धन वर्गों हेतु,
- मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी अनुयोजकता एवं डिजिटलाइजेशन,
- सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस एवं नागरिक भागीदारी,
- सतत पर्यावरण,
- नागरिकों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की निरापदता एवं सुरक्षा, तथा
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा।
आच्छादन एवं अवधि
- मिशन 100 शहरों को आच्छादित करेगा एवं इसकी अवधि पांच वर्ष (वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2019-20) होगी।
प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में कितने स्मार्ट शहर हैं?
- एक समान मानदंड के आधार पर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों केमध्य कुल 100 स्मार्ट शहरों का वितरण किया गया है।
- सूत्र राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की शहरी आबादी एवं राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में सांविधिक कस्बों की संख्या को समान महत्व (50:50) प्रदान करता है।
- इस फॉर्मूले के आधार पर, प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में निश्चित संख्या में संभावित स्मार्ट शहर होंगे, जिनमें प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में न्यूनतम एक स्मार्ट शहर होगा।
- अमृत योजना के लिए समान सूत्र का प्रयोग किया गया है।
स्मार्ट शहरों का वित्तपोषण
- स्मार्ट सिटी मिशन को केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में संचालित किया जाएगा एवं केंद्र सरकार ने मिशन को पांच वर्षों में 48,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता, अर्थात प्रति शहर प्रति वर्ष औसतन 100 करोड़ रुपये प्रदान करने का प्रस्ताव दिया है।
- राज्य/ शहरी स्थानीय निकायों द्वारा एक समान राशि, मिलान के आधार पर, का योगदान करना होगा; अतः, स्मार्ट शहरों के विकास के लिए लगभग एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी/ शहरी स्थानीय निकाय निधि उपलब्ध होगी।




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