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प्रासंगिकता
- जीएस 3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी- विकास एवं दैनिक जीवन में उनके अनुप्रयोग तथा प्रभाव।
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प्रसंग
- भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर, हमारे प्रधान मंत्री ने भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन एवं निर्यात हेतु एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) आरंभ करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का प्रस्ताव 2021 के बजट में “हरित ऊर्जा स्रोतों से“ हाइड्रोजन के उत्पादन को सक्षम बनाने के लिए किया गया था।
- जहां कहीं भी हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करता है – चाहे ईंधन बैटरियों में उपयोग किया गया अथवा ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए दहन किया जाता हो – यह यह वैश्विक तापन को मंद कर देता है।
- रसायनों, लोहा, इस्पात, उर्वरक एवं परिष्करण, परिवहन, ऊष्मा एवं ऊर्जा जैसे उद्योगों के लिए हाइड्रोजन एक “डीकार्बोनाइजिंग एजेंट“ सिद्ध हो सकता है।
अब तक उठाए गए कदम
- ब्लू हाइड्रोजन, हाइड्रोजन-संपीड़ित प्राकृतिक गैस (एच-सीएनजी) एवं ग्रीन हाइड्रोजन पर एक प्रायोगिक परियोजना पर कार्य चल रहा है।
- परिवहन ईंधन के साथ-साथ परिशोधनशालाओं लिए एक औद्योगिक आगत के रूप में उपयोग के लिए सीएनजी के साथ हाइड्रोजन का सम्मिश्रण,
- 50 बसें संचालित की गई हैं जो ईंधन के रूप में एच-सीएनजी का उपयोग करती हैं।
हाइड्रोजन क्यों?
- एक किलोग्राम हाइड्रोजन के दहन से एक किलोग्राम गैसोलीन की तुलना में तीन गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है और मात्र जल का उत्पादन करती है।
- हाइड्रोजन ईंधन बैटरी (सेल), जो एक विद्युत रासायनिक सेल है जो हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करता है, में अपशिष्ट उत्पाद के रूप में मात्र जल होता है।
- जब तक हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती रहती है, ईंधन सेल अनवरत विद्युत का उत्पादन कर सकते हैं।
हाइड्रोजन का उत्पादन
- 96 प्रतिशत हाइड्रोजन का उत्पादन जीवाश्म ईंधन से कार्बन गहन प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है।
- निष्कर्षण विधियों के आधार पर, उत्पादित हाइड्रोजन को ‘धूसर‘ (ग्रे), ‘नीला‘ (ब्लू) अथवा ‘हरा‘ (ग्रीन) हाइड्रोजन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- जीवाश्म ईंधन से ‘धूसर‘ हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है, जो अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है।
- जब कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), इसके उत्पादन के दौरान दिया जाता है, कार्बन प्रग्रहण एवं भंडारण / कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (सीसीएस) प्रक्रियाओं के माध्यम से अभिबंधित हो जाता है, तो ‘धूसर’ हाइड्रोजन ‘नीला‘ हाइड्रोजन में परिवर्तित हो जाता है।
- धूसर एवं नीला हाइड्रोजन दोनों समान प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं, ‘नीले’ हाइड्रोजन के लिए एकमात्र अंतर यह है कि उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड को विविक्त किया जाता है।
- सरकार का लक्ष्य ‘हरित’ हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जो कि अधिकांशतः स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न होता है।
- ‘हरित‘ हाइड्रोजन नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा के विद्युत अपघटन के माध्यम से विमुक्त किया जाता है।
- इस विधि से उत्पादित हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं करता है, यह अधिक खर्चीला है एवं अभी तक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021