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वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेक्रेड पोर्टल

सेक्रेड पोर्टल: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों हेतु कल्याणकारी योजनाएं

भारत में जराचिकित्सीय देखभाल

सेक्रेड पोर्टल :प्रसंग

  • हाल ही में, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर सिटीजन फॉर री-एंप्लॉयमेंट इन डिग्निटी (सेक्रेड) पोर्टल का विमोचन किया है।

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सेक्रेड पोर्टल: मुख्य बिंदु

  • इसका उद्देश्य रोजगार चाहने वाले वरिष्ठ नागरिकों एवं रोजगार प्रदाताओं को एक मंच पर लाना है।
  • इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ, सुखी, सशक्त, सम्मानजनक एवं आत्मनिर्भर जीवन जीना सुनिश्चित करने के तरीके तैयार करना है।
  • प्लेटफॉर्म के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये 5 वर्ष के लिए वार्षिक 2 करोड़ रुपये के अनुरक्षण अनुदान के साथ प्रदान किए जाएंगे
  • वेब पोर्टल एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के माध्यम से विकसित किया जाएगा।
  • पोर्टल पर नामांकन के लिए बुजुर्गों एवं उद्यमों दोनों के मध्य पर्याप्त प्रचार होगा।

बुजुर्गों के लिए जीवन गुणवत्ता सूचकांक

सेक्रेड पोर्टल का दायरा

  • एक वरिष्ठ नागरिक अपनी प्रासंगिक शिक्षा, विगत अनुभव, कौशल एवं रुचि के क्षेत्रों के साथ पोर्टल पर स्वयं को पंजीकृत करा सकते हैं।
  • कोई भी रोजगार प्रदाता – व्यक्ति / व्यापारिक कंपनी / कंपनी / स्वैच्छिक संगठन इत्यादि भी पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं। रोजगार प्रदाता सम्मिलित कार्य एवं उसे पूर्ण करने हेतु आवश्यक वरिष्ठ नागरिकों की संख्या निर्दिष्ट करेगा।
  • रोजगार कार्यालय पोर्टल रोजगार पाने या स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के विक्रय करने की गारंटी नहीं होगा। यह एक अन्योन्य क्रियात्मक मंच के रूप में कार्य करेगा जहां हितधारक एक-दूसरे से वस्तुतः मिलते हैं एवं आपसी सम्मान, सहमति तथा समझ के साथ कार्रवाई के बारे में निर्णय लेते हैं।

जनसंख्या तथा आर्थिक विकास

सेक्रेड पोर्टल की आवश्यकता क्यों है?

  • वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 1951 में 98 करोड़ से बढ़कर 2001 में 7.6 करोड़ तथा 2011 में 10.38 करोड़ हो गई।
    • वर्षों से स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सामान्य सुधार वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात में निरंतर वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक है।
  • लासी रिपोर्ट 2020 के अनुसार 50% से अधिक वरिष्ठ नागरिक क्रियाशील पाए गए हैं।
  • भारतीय समाज के पारंपरिक मानदंडों एवं मूल्यों ने वृद्धजनों का सम्मान करने एवं उनकी देखभाल करने पर बल दिया। हालांकि, हाल के दिनों में, समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली का शनैः-शनैः (धीरे-धीरे) किंतु निश्चित रूप से पतन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में माता-पिता को उनके परिवारों द्वारा उपेक्षित किया जा रहा है, जिससे उन्हें भावनात्मक, शारीरिक एवं वित्तीय सहायता के अभाव का सामना करना पड़ रहा है।
  • पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा के अभाव में इन वृद्धजनों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

भारत की वृद्ध जनसंख्या: दीर्घायु वित्त पर विशेषज्ञ समिति

 

 

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