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रोहिणी आयोग यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
रोहिणी आयोग ओबीसी: प्रसंग
- हाल ही में केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग को 13वां विस्तार प्रदान करते हुए 31 जनवरी, 2023 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का समय दिया है।
ओबीसी पर रोहिणी आयोग: प्रमुख बिंदु
- यह विस्तार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव आर. सुब्रह्मण्यम के कहने के बाद आया है कि आयोग ने और विस्तार की मांग नहीं की थी एवं जुलाई के अंत तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी जब उसका वर्तमान कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।
- अन्य पिछड़ा वर्ग के उप-वर्गीकरण से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत 2017 में रोहिणी आयोग का गठन किया गया था।
रोहिणी आयोग के बारे में
- रोहिणी आयोग के अधिदेश में ओबीसी में सम्मिलित जातियों अथवा समुदायों के मध्य आरक्षण के लाभों के न्याय विरुद्ध वितरण की सीमा की जांच करना शामिल है।
- आयोग को उनके उप-वर्गीकरण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण में तंत्र, प्रतिमानकों, मानदंड एवं मापदंडों को तैयार करने हेतु अधिदेशित किया गया था।
- आयोग का अधिदेश अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों या समुदायों अथवा उप-जातियों अथवा सहनामों की पहचान करने एवं उन्हें उनके संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करने का कार्य भी करना है।
- इसकी रिपोर्ट जमा करने की प्रारंभिक समय सीमा 12 सप्ताह- 2 जनवरी, 2018 तक थी ।
ओबीसी का उप-वर्गीकरण क्या है?
- केंद्र सरकार के अधीन, ओबीसी को नौकरियों एवं शिक्षा में 27% आरक्षण प्रदान किया जाता है।
- इस धारणा के कारण एक बहस छिड़ गई कि ओबीसी की केंद्रीय सूची में केवल कुछ संपन्न समुदायों ने इस 27% आरक्षण का एक बड़ा हिस्सा हासिल किया है।
- उप-वर्गीकरण के लिए तर्क – या आरक्षण के लिए ओबीसी के भीतर श्रेणियां निर्मित करना – यह है कि यह समस्त ओबीसी समुदायों के मध्य प्रतिनिधित्व का ” न्यायसंगत वितरण” सुनिश्चित करेगा।
- इसकी जांच के लिए 2017 में रोहिणी आयोग का गठन किया गया था। उस समय, इसे अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 12 सप्ताह का समय दिया गया था, किंतु तब से इसे अनेक विस्तार प्रदान किए गए हैं।
- रोहिणी आयोग की स्थापना से पूर्व, केंद्र ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेस/NCBC) को संवैधानिक दर्जा दिया था।
अब तक की रिपोर्ट के निष्कर्ष
- 2018 में, आयोग ने विगत पांच वर्षों में ओबीसी कोटे के तहत दिए गए 3 लाख केंद्रीय नौकरियों एवं विगत तीन वर्षों में महाविद्यालयों में ओबीसी प्रवेश के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
- निष्कर्ष थे: सभी नौकरियों एवं शैक्षिक सीटों में से 97% ओबीसी के रूप में वर्गीकृत सभी उप-जातियों में से सिर्फ 25% को प्राप्त हुए हैं;
- इनमें से 95% नौकरियां एवं सीटें 10 ओबीसी समुदायों को प्राप्त हुई हैं;
- कुल ओबीसी समुदायों के 37%-983 ओबीसी समुदायों- का नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में शून्य प्रतिनिधित्व है;
- 994 ओबीसी उप-जातियों की भर्ती एवं प्रवेश में कुल प्रतिनिधित्व मात्र 2.68% है।




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