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लोक प्रशासन- प्रासंगिकता ईएसआईसी उप निदेशक परीक्षा
- भर्ती परीक्षा (आरटी) के भाग-बी: लोक प्रशासन एवं विकास के मुद्दे।
लोक प्रशासन- परिभाषा
- लोक प्रशासन को परिभाषित करना:
- लोक प्रशासन दो अलग-अलग शब्दों- लोक एवं प्रशासन से निर्मित हुआ है।
- लोक: का अर्थ है सरकार जो मुख्य रूप से सरकारी क्रियाकलापों एवं कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है
- प्रशासन: एक लैटिन शब्द “एडमिनिस्टर” से लिया गया है जिसका अर्थ है लोगों की सेवा करना, निर्देशित करना, नियंत्रण करना, ख्याल रखना या उनकी देखभाल करना। “प्रशासन” शब्द का अर्थ सार्वजनिक अथवा निजी मामलों का प्रबंधन है।
- अतः, मात्र लोक प्रशासन को लोक मामलों के प्रबंधन के रूप में जाना जाता है।
- लोक प्रशासन ‘कार्रवाई में सरकार‘ के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है। लोक प्रशासन कार्यपालिका की क्रियान्वयन शाखा है।
- लोक प्रशासन सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी है।
- लोक प्रशासन सभी राष्ट्रों की एक विशेषता है, चाहे उनकी सरकार की प्रणाली कुछ भी हो।
- राष्ट्रों के भीतर केंद्रीय, मध्यवर्ती एवं स्थानीय स्तरों पर लोक प्रशासन का उद्यम किया जाता है।
- एक राष्ट्र के भीतर सरकार के विभिन्न स्तरों के मध्य संबंध लोक प्रशासन के लिए एक बढ़ती हुई समस्या का निर्माण करती है।
- हम लोक प्रशासन के निम्नलिखित विषयों को पहले ही पूर्ण कर चुके हैं-
- इस आलेख में, हम लोक प्रशासन में अभिप्रेरण एवं विभिन्न प्रकार के अभिप्रेरण सिद्धांतों पर चर्चा करने जा रहे हैं।
लोक प्रशासन- अभिप्रेरण सिद्धांत
- अभिप्रेरण मन की एक स्थिति है, जो ऊर्जा एवं उत्साह से परिपूर्ण है, जो एक व्यक्ति को वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित विधि से कार्य करने हेतु प्रेरित करती है।
- अभिप्रेरण एक शक्ति है जो एक व्यक्ति को वर्धित प्रतिबद्धता एवं ध्यान के साथ कार्य करने हेतु प्रेरित करती है, भले ही स्थितियां उस व्यक्ति के विरुद्ध हों।
- निरंतर अभिप्रेरण प्रायः एक निश्चित प्रकार के मानव व्यवहार में परिवर्तित हो जाती हैं।
- विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मानव व्यवहार का अध्ययन एवं अवलोकन किया है एवं अभिप्रेरण के कई सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। हम इन सिद्धांतों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
- विषय वस्तु (कंटेंट) आधारित सिद्धांत
- प्रक्रिया आधारित सिद्धांत
अभिप्रेरण सिद्धांतों का वर्गीकरण- विषय वस्तु सिद्धांत बनाम प्रक्रिया आधारित सिद्धांत
- अभिप्रेरण का विषय वस्तु आधारित सिद्धांत: विषय वस्तु सिद्धांत लोगों को “क्या” प्रेरित करता है एवं यह व्यक्तिगत आवश्यकता एवं लक्ष्यों से संबंधित है।
- विषय वस्तु आधारित सिद्धांतों के समर्थक- मास्लो, एल्डरफेर, हर्ज़बर्ग एवं मैकलेलैंड, इत्यादि ने ” विषय वस्तु” परिप्रेक्ष्य से अभिप्रेरण का अध्ययन किया।
- अभिप्रेरण का प्रक्रिया आधारित सिद्धांत: प्रक्रिया सिद्धांत अभिप्रेरण की “प्रक्रिया” से संबंधित है एवं इसका संबंध अभिप्रेरण “कैसे” से होता है।
- प्रक्रिया आधारित सिद्धांतों के समर्थक- व्रूम, पोर्टर एवं लॉलर, एडम्स तथा लोके ने “प्रक्रिया” के दृष्टिकोण से अभिप्रेरण का अध्ययन किया।
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