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शिक्षा के केंद्र में शांति- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: सामाजिक क्षेत्र/शिक्षा से संबंधित सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
- जीएस पेपर 4 एवं निबंध के लिए उद्धरण
“युद्ध रोकना राजनेताओं का काम है, शांति स्थापित करना शिक्षाविदों का काम है”
– मारिया मोंटेसरी (एक शिक्षक)
शिक्षा के केंद्र में शांति- संदर्भ
- 2 अक्टूबर, प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी के जन्मदिन एवं अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस को चिह्नित करके शांति के आदर्शों के लिए मनाया जाता है।
- यह हिंसा के कारणों का पता लगाने एवं शिक्षा के माध्यम से संवाद की संस्कृति के निर्माण हेतु प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करने का अवसर प्रस्तुत करता है।

शिक्षा के केंद्र में शांति- संबद्ध चुनौतियां
- कोविड-19 प्रभाव: इसने समाज में विभाजन की नई शक्तियों को प्रचलित किया। उदाहरण के लिए-
- अभद्र भाषा का स्तर एवं ‘दूसरे’ का डर बढ़ गया है, क्योंकि लोगों ने इसके लिए वायरस को दोष दिया है।
- संरचनात्मक हिंसा के रूप- सामाजिक व्यवस्था में अंतर्निहित अन्याय के आर्थिक, नस्लीय एवं लैंगिक रूप- को विस्थापित व्यक्तियों तथा नस्लीय समूहों सहित उपेक्षित समूहों के रूप में गहन कर दिया गया है, जो असमान रूप से प्रभावित हुए हैं।
- असमानता में वृद्धि: अस्थिरता एवं तनाव को बढ़ा रही है, संभावित सामाजिक अशांति को बढ़ावा दे रही है।
- विश्व बैंक एवं संयुक्त राष्ट्र की 2018 की प्रमुख रिपोर्ट ‘पाथवे फॉर पीस‘:
- यह दर्शाता है कि विश्व के अनेक संघर्ष बहिष्कार एवं अन्याय की भावनाओं के परिणाम स्वरूप उत्पन्न होते हैं।
भारत एवं शांति की शिक्षा
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों तथा गांधी के दर्शन के मूल में अहिंसा, समन्वयवाद एवं सहिष्णुता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020: समानता, न्याय एवं सामाजिक एकता को सशक्त करने में योगदान करने का एक विशिष्ट अवसर प्रस्तुत करती है।
- नीति में मूल्य-आधारित और अनुभवात्मक शिक्षा पर व्यापक ध्यान दिया गया है, जिसमें महत्वपूर्ण विचार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण एवं सभी के लिए शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना शामिल है।
- यह पाठ्यचर्या एवं शिक्षाशास्त्र में सुधारों का पक्ष-पोषण भी करता है।
गुजरात सरकार का मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस प्रोजेक्ट
शिक्षा के केंद्र में शांति – आगे की राह
- एकजुटता का निर्माण: मानवीय शत्रुता के मूल कारणों को समझकर एक दूसरे के साथ शांति ऑफिस करें। हमें उन ढांचों, मनोवृत्तियों एवं कौशलों के बारे में सोचना चाहिए जो शांति का सृजन करते हों एवं उसे कायम रखते हैं।
- शिक्षा के माध्यम से समानता को सशक्त बनाना: शिक्षा संभावित संघर्षों को पहचानने एवं रोकने तथा सहिष्णुता को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक कौशल एवं मूल्य प्रदान कर सकती है।
- शिक्षा प्रणाली में सुधार:
- अल्पायु से ही बच्चों को दूसरों की गरिमा का सम्मान करने के कौशल से युक्त करना लोचशील एवं शांतिपूर्ण समाज के निर्माण की कुंजी है।
- शिक्षकों एवं शिक्षा विशारदों को भी अनुभवात्मक एवं संवादात्मक तरीकों के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने के लिए कौशल से युक्त होने की आवश्यकता है।
- अंतर सांस्कृतिक क्षमताएं, जैसे सहानुभूति एवं आलोचनात्मक विचार, अंतर सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं परिदृश्य-आधारित अभिगम के माध्यम से सर्वाधिक उपयुक्त प्रकार से सीखी जाती हैं, न कि रटने से।
- समावेश पर ध्यान केंद्रित करना: महिलाओं एवं बालिकाओं तथा विकलांग व्यक्तियों जैसे वंचित समूहों के लिए अवसरों को पहचानने एवं सुधार करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
- नवाचार, प्रौद्योगिकी तथा स्मार्ट भविष्य के विद्यालयों के बारे में चर्चा से परे, हमें शांतिपूर्ण समाजों के निर्माण में शिक्षा प्रणालियों एवं विद्यालयों की क्षमता को समझने की आवश्यकता है।
- संकट के समय शिक्षा में आशा एवं विश्वास प्रदान करने की क्षमता होती है।


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