प्रसंग
- हाल ही में, मध्य प्रदेश के उज्जैन में मोहर्रम के एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के आरोप में पुलिस ने चार व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) को लागू किया।
मुख्य बिंदु
- एनएसए के बारे में: यह एक निवारक निरोध कानून है जो आरोपी व्यक्तियों को महीनों तक हिरासत में रखने की अनुमति प्रदान करता है यदि अधिकारी संतुष्ट हैं कि एक व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है।
- यह मूल रूप से किसी व्यक्ति को भविष्य में अपराध करने से निवारित करने एवं / या भविष्य के अभियोजन से बचाव के लिए उसे हिरासत में लेना है।
- इसे 1980 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान अधिनियमित किया गया था।
- निवारक निरोध के संबंध में संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 22 (3) (बी): राज्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक व्यवस्था के कारणों के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निवारक निरोध और प्रतिबंध की अनुमति प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 22(4): निवारक निरोध का प्रावधान करने वाला कोई भी विधान किसी व्यक्ति को तीन माह से अधिक अवधि तक विरोध करने का अधिकार प्रदान नहीं करेगा, जब तक कि सलाहकार बोर्ड को नजरबंदी को और बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार न प्राप्त हो जाए।
- एनएसए के अंतर्गत निवारक निरोध के लिए आधार: प्राधिकरण एनएसए के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं-
- यदि कोई व्यक्ति भारत की रक्षा, विदेशी शक्तियों के साथ भारत के संबंधों या भारत की सुरक्षा के प्रति किसी भी प्रकार से प्रतिकूल कार्य कर रहा हो।
- भारत में किसी विदेशी की निरंतर उपस्थिति को विनियमित करने के लिए या भारत से उसके निष्कासन की व्यवस्था करने की दृष्टि से।
- व्यक्तियों को राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक किसी भी तरीके से कार्य करने से निवारित करने के लिए या लोक व्यवस्था के अनुरक्षण हेतु किसी भी प्रकार से प्रतिकूल कार्य करने से अथवा समुदाय के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के अनुरक्षण हेतु प्रतिकूल तरीके से कार्य करने से निवारित करने के लिए ऐसा करना अपरिहार्य है।
- निरोध / नजरबंदी की अवधि:
- इसके अंतर्गत एक संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 माह तक निरुद्ध किया जा सकता है। इसे राज्य द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है यदि उसे इस इस संदर्भ में नए प्रमाण प्राप्त होते हैं।
- प्रारंभ में, संबंधित व्यक्ति को उसके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की सूचना दिए बिना भी 10 दिनों के लिए निरुद्ध किया जा सकता है।
- नजरबंदी के विरुद्ध अपील: निरुद्ध किया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है किंतु वाद / मुकदमे के दौरान उन्हें अधिवक्ता रखने की अनुमति प्राप्त नहीं है।