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सर्वोच्च न्यायालय की त्वरित प्रणाली

त्वरित प्रणाली-यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

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त्वरित प्रणाली- संदर्भ

  • सर्वोच्च न्यायालय ने एक नई प्रणाली प्रारंभ की है जिसे त्वरित प्रणाली (फास्टर सिस्टम) कहा जाता है जो जेलों को आदेशों के ई-ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करेगा तथा कैदियों की की रिहाई में परिणत होगा।
  • जमानत स्वीकृत होने के पश्चात दोषियों की रिहाई में विलंब के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद त्वरित प्रणाली विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।

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त्वरित प्रणाली- प्रमुख बिंदु

  • फास्टर ” फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स” के लिए एक संक्षिप्त शब्द है। इसके तहत, कार्यवाही/आदेशों के रिकॉर्ड की ई-प्रमाणित प्रतियां, अधिकृत अधिकारी द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित, न्याय प्रणाली के कर्तव्य-धारकों को प्रेषित की जा सकती हैं।
  • पृष्ठभूमि: वर्तमान में विचाराधीन कैदियों को जेलों में रिहा होने के लिए काफी दिनों तक इंतजार करना पड़ता है क्योंकि उनके जमानत आदेशों की प्रमाणित संपठनीय प्रतिलिपि (हार्ड कॉपी) जेल पहुंचने में देर हो चुकी होती है।
    • वास्तविक धरातल पर त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ त्वरित प्रणाली विचाराधीन कैदियों के प्रति इस अन्याय को दूर करेगी।
  • त्वरित प्रणाली का उद्देश्य: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विचाराधीन कैदियों को रिहा होने के लिए दिनों तक प्रतीक्षा करने के लिए बाध्य न किया जाए।
  • अपेक्षित लाभ:  त्वरित प्रणाली के माध्यम से, जमानत पर आदेश और गिरफ्तारी पर रोक सहित सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों को एक सुरक्षित चैनल के माध्यम से जेल अधिकारियों एवं जांच एजेंसियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सूचित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण

 त्वरित प्रणाली- प्रमुख महत्व

  • एक त्वरित प्रणाली कैदियों के जीवन, गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को बढ़ावा देगी, इस प्रकार संवैधानिक मूल्यों को और गहन करेगी।
  • त्वरित प्रणाली अनावश्यक गिरफ्तारी एवं लोगों  के निरुद्ध किए जाने को भी रोकेगी, भले ही न्यायालय ने उन्हें पहले ही अपनी सुरक्षा प्रदान कर दी हो।
    • यह अंतिम न्यायालय द्वारा समय पर दिए गए फांसी की सजा पर रोक लगाने की सूचना भी प्रदान कर सकता है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद

 

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