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कुत्ते के माध्यम से होने वाले वाले रेबीज उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

 

प्रसंग

  • हाल ही में, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से 2030 तक कुत्ते के माध्यम से होने वाले रेबीज उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीआरई) का अनावरण किया है।

कुत्ते के माध्यम से होने वाले वाले रेबीज उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना_3.1

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मुख्य बिंदु

  • सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से रेबीज को एक सूचनीय रोग बनाने का आग्रह किया गया है।
  • एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के माध्यम से 2030 तक भारत से कुत्ते की मध्यस्थता वाले रेबीज को समाप्त करने हेतु एक ‘संयुक्त अंतर-मंत्रालयी घोषणा समर्थन वक्तव्य’ भी आरंभ किया गया था।

 

रेबीज के बारे में

  • रेबीज एक वैक्सीन-रोकथाम योग्य विषाणु जनित रोग है जो 150 से अधिक देशों एवं क्षेत्रों में होती है।
  • कुत्ते, मानव में रेबीज से होने वाली मौतों का मुख्य कारण हैं, जो मनुष्यों को होने वाले सभी रेबीज संक्रमणों में 99% तक योगदान करते हैं।
  • संक्रमण के कारण प्रत्येक वर्ष, मुख्यतः एशिया और अफ्रीका में हजारों मौतें होती हैं
  • वैश्विक स्तर पर रेबीज से प्रति वर्ष 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत आती है।
  • संदिग्ध पागल पशुओं द्वारा काटे गए 40% व्यक्ति 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे होते हैं।
  • किसी संदिग्ध पागल पशु के संपर्क में आने के बाद तुरंत घाव को साबुन एवं पानी से धोना महत्वपूर्ण है और इससे जान बचाई जा सकती है।
  • सामुदायिक शिक्षा, जागरूकता कार्यक्रम एवं टीकाकरण अभियान सहित अनेक क्षेत्रों एवं एक स्वास्थ्य सहयोग की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
  • डब्ल्यूएचओ सामूहिकयूनाइटेड अगेंस्ट रेबीजका नेतृत्व करता है ताकि “2030 तक कुत्ते की मध्यस्थता से होने वाली रेबीज से मानव मृत्यु को शून्य” की दिशा में आगे प्रगति कर सके।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)

भारत में रेबीज

  • रेबीज जैसे पशुजन्य (जूनोटिक) रोग लोगों का जीवन उनके युवावस्था में समाप्त कर देती है जिससे उस परिवार को  आय अर्जक (कमाने वाले) सदस्य से वंचित होना पड़ता है
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इस रोग कोहडकवा कहते हैं एवं इसके अंग्रेजी नाम से अपरिचित हैं।
  • रेबीज का खतरा ऐसा है कि ‘हडकवा’ का जिक्र मात्र ग्रामीण क्षेत्रों में आतंक उत्पन्न कर देता है।
  • रेबीज 100% घातक है किंतु 100% टीकाकरण द्वारा रोकथाम योग्य है।
  • रेबीज से होने वाले वैश्विक मौतों में से 33 प्रतिशत भारत में दर्ज की जाती हैं।

 

रेबीज की रोकथाम

  • कुत्तों में रेबीज को समाप्त करना: लोगों में रेबीज को रोकने के लिए कुत्तों का टीकाकरण सर्वाधिक लागत प्रभावी रणनीति है।
  • रेबीज पर जागरूकता एवं कुत्ते के काटने से बचाव: बच्चों एवं वयस्कों दोनों के लिए कुत्ते के व्यवहार तथा काटने की रोकथाम पर शिक्षा रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम का एक अनिवार्य विस्तार है।
  • लोगों का टीकाकरण: संपर्क-पूर्व (प्री-एक्सपोजर) टीकाकरण की सिफारिश निम्नलिखित हेतु की जाती है
    • कुछ उच्च जोखिम वाले व्यवसायों में लखनऊ व्यक्तियों जैसे जीवित रेबीज तथा रेबीज से संबंधित विषाणु का प्रहस्तन करने वाले (संभालने वाले) प्रयोगशाला कर्मचारी; तथा
    • लोग (जैसे पशु रोग नियंत्रण कर्मचारी एवं वन्यजीव रेंजर) जिनकी पेशेवर अथवा व्यक्तिगत गतिविधियाँ उन्हें चमगादड़, मांसाहारी, या अन्य स्तनधारियों के सीधे संपर्क में ला सकती हैं, जो संक्रमित हो सकते हैं।

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