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आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021

आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021

आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021_3.1

http://bit.ly/2MNvT1m

प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: संसद एवं राज्य विधानमंडल – संरचना, कार्य, कार्य संचालन, शक्तियां और विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

संदर्भ

  • हाल ही में, आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को राज्यसभा में पारित किया गया था।

पृष्ठभूमि

  • इससे पूर्व, मंत्रिमंडल ने उन्नत प्रबंधन के लिए 41 निर्माणियों (कारखानों) को सात सार्वजनिक स्वामित्व वाली व्यावसायिक संस्थाओं में रूपांतरित करने की योजना को स्वीकृति प्रदान की थी।
    • इसके बाद कर्मचारी संघों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की योजना की घोषणा की थी।
  • आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश (ईडीएसओ)-2021 का प्रख्यापन: सरकार द्वारा जो रक्षा-नागरिक कर्मचारियों द्वारा समस्त हड़तालों पर प्रतिबंध लगाता है।
    • उद्देश्य: आयुध निर्माणी (ऑर्डनेंस फैक्ट्री) बोर्ड (ओएफबी) के कर्मचारी संघों को निगमीकरण योजना  की घोषणा के विरुद्ध हड़ताल पर जाने से रोकना।
    • किंतु कर्मचारियों को शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार है।
  • केंद्र सरकार आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश (ईडीएसओ)-2021 को प्रतिस्थापित करने हेतु आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 लायी है।

 

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विधेयक के लिए सरकार का तर्क:

  • आवश्यक रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने हेतु ताकि “राष्ट्र की सुरक्षा और जनता के जीवन एवं संपत्ति को समग्र रूप से सुरक्षित किया जा सके।
  • सरकार के स्वामित्व वाली आयुध निर्माणियों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए।
  • ऐसी सेवाओं में संलग्न किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान या इकाई में हड़ताल तथा तालाबंदी पर प्रतिबंध लगाने हेतु।

 

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विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • आवश्यक रक्षा सेवाएं: इनमें से कोई भी सेवा सम्मिलित है:
    1. रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए आवश्यक वस्तुओं या उपकरणों के उत्पादन से संबंधित कोई भी प्रतिष्ठान या उपक्रम,
    2. सशस्त्र बलों का अथवा उनसे या रक्षा से संबंधित कोई अधिष्ठान।
    3. ऐसी सेवाएं, जो बंद होने पर, ऐसी सेवाओं में लगे प्रतिष्ठान या उसके कर्मचारियों की सुरक्षा को प्रभावित करती हों।
    4. इसके अतिरिक्त, सरकार किसी भी सेवा को एक आवश्यक रक्षा सेवा के रूप में घोषित कर सकती है यदि उसकी समाप्ति निम्नलिखित को प्रभावित करती हो:
  1. रक्षा उपकरण या सामग्रियों का उत्पादन,
  2. ऐसे उत्पादन में लगे औद्योगिक प्रतिष्ठानों या इकाइयों का संचालन अथवा अनुरक्षण, अथवा
  3. रक्षा से संबंधित उत्पादों की मरम्मत अथवा अनुरक्षण
  • औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 में संशोधन करता है: सार्वजनिक उपादेयता सेवाओं के अंतर्गत आवश्यक रक्षा सेवाओं को सम्मिलित करना।
  • हड़ताल को परिभाषित करता है: एक साथ कार्य करने वाले व्यक्तियों के एक निकाय द्वारा कार्य की समाप्ति के रूप में। इसमें सम्मिलित हैं:
  • सामूहिक आकस्मिक अवकाश,
  • किसी भी संख्या में व्यक्तियों का कार्य करना जारी रखने अथवा नियोजन स्वीकृत करने से समन्वित अस्वीकृति,
  • समयोपरि (ओवरटाइम) कार्य करने से मना करना, जहां आवश्यक रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण हेतु ऐसा कार्य आवश्यक हो, एवं
  • कोई अन्य आचरण जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक रक्षा सेवाओं में कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता है या होने की संभावना होती है।
  • हड़ताल, तालाबंदी और छंटनी पर प्रतिबंध: केंद्र सरकार आवश्यक रक्षा सेवाओं में कार्यरत इकाइयों में हड़ताल, तालाबंदी और छंटनी पर प्रतिबंध आरोपित कर सकती है। यह निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है-
  1. भारत की संप्रभुता और अखंडता,
  2. किसी भी राज्य की सुरक्षा,
  3. सार्वजनिक व्यवस्था,
  4. सार्वजनिक शिष्टाचार अथवा नैतिकता।

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  • प्रतिबंध आदेश छह माह के लिए प्रवर्तन में रहेगा एवं इसे और छह माह के लिए बढ़ाया जा सकता है।
  • अपराधों के लिए दंड: विधेयक के अंतर्गत दंडनीय समस्त अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
    • अवैध तालाबंदी और छंटनी के लिए: उल्लंघन करने वालों को एक वर्ष तक का कारावास या 10,000 रुपये जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
    • अवैध हड़तालों के लिए दंड: अवैध हड़ताल आरंभ करने अथवा उसमें सहभागिता करने वाले व्यक्तियों को एक  वर्ष तक का कारावास या 10,000 रुपये जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • सूर्यास्त खंड: यह तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक इसे प्रवर्तित नहीं किया जाता है और यह मात्र एक वर्ष के लिए प्रवर्तित होता है जिसके पश्चात या समाप्त हो जाएगा होता है जिसके बाद यह व्यपगत हो जाएगा।

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