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जैव विविधता पर अभिसमय: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
जैव विविधता पर अभिसमय क्या है?
- जैव विविधता पर अभिसमय/कन्वेंशन (सीबीडी) निम्नलिखित हेतु अंतर्राष्ट्रीय विधिक उपकरण है
- “जैविक विविधता का संरक्षण,
- इसके घटकों का सतत उपयोग एवं
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित एवं न्यायसंगत वितरण”।
- 196 देशों ने इसका अनुसमर्थन किया है।
- सीबीडी का शासी निकाय पक्षकारों का सम्मेलन (कॉप) है। संधि का अनुसमर्थन करने वाली सभी सरकारों (अथवा पक्षकारों) का यह उच्चतम प्राधिकार प्रगति की समीक्षा करने, प्राथमिकताएं निर्धारित करने एवं कार्य योजनाओं के लिए प्रतिबद्ध होने हेतु प्रत्येक दो वर्ष में मिलता है।
- जैव विविधता सम्मेलन (एससीबीडी) का सचिवालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है।
आइची जैव विविधता लक्ष्य
- सीबीपी में नवीन योजना में पांच रणनीतिक लक्ष्य सम्मिलित हैं, जिनमें बीस आइची जैव विविधता लक्ष्य शामिल हैं।
- 2015 या 2020 के लिए बीस शीर्षक आइची जैव विविधता लक्ष्य पांच रणनीतिक लक्ष्यों के तहत आयोजित किए जाते हैं।
- ध्येयों एवं लक्ष्यों में वैश्विक स्तर पर उपलब्धि हेतु आकांक्षाएं एवं राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय लक्ष्यों की स्थापना के लिए एक लोचशील ढांचा दोनों सम्मिलित हैं।
जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल
- जैव विविधता पर अभिसमय के लिए जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप जीवित संशोधित जीवों (एलएमओ) के सुरक्षित संचालन, परिवहन एवं उपयोग को सुनिश्चित करना है, जो जैविक विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, इसमें मानव स्वास्थ्य के प्रति जोखिम को भी ध्यान में रखा जाता है।
- इसे 2000 में अंगीकृत किया गया था एवं यह 2003 में प्रवर्तन में आया था।
नागोया प्रोटोकॉल
- आनुवंशिक संसाधनों तक अभिगम पर नागोया प्रोटोकॉल एवं जैविक विविधता पर अभिसमय हेतु उनके उपयोग (एबीएस) से उत्पन्न होने वाले लाभों का उचित एवं न्यायसंगत साझाकरण जैविक विविधता पर अभिसमय का एक पूरक समझौता है।
- यह सीबीडी के तीन उद्देश्यों में से एक: आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित एवं न्यायसंगत वितरण के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक पारदर्शी विधिक संरचना प्रदान करता है।
- एबीएस पर नागोया प्रोटोकॉल 2010 में नागोया, जापान में अंगीकृत किया गया था एवं 2014 में प्रवर्तन में आया था।
- इसका उद्देश्य आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का निष्पक्ष एवं न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है, जिससे जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत उपयोग में योगदान प्राप्त होता है।
- नागोया प्रोटोकॉल सीबीडी द्वारा समाहित किए जाने वाले अनुवांशिक संसाधनों एवं उनके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों पर पर लागू होता है। नागोया प्रोटोकॉल सीबीडी द्वारा समाहित किए आनुवंशिक संसाधनों से संबंधित पारंपरिक ज्ञान (टीके) को एवं इसके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभ को भी सम्मिलित करता है।




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