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रुपये की गिरावट का अर्थ समझना- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
समाचारों में रुपये में गिरावट का अर्थ समझना
- 1 जुलाई को रुपया प्रथम बार 79 डॉलर प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया था। घरेलू मुद्रा विगत कुछ समय से अमेरिकी डॉलर (ग्रीनबैक) के मुकाबले जीवनकाल के निम्नतम स्तर पर पहुंचने के लिए सुर्खियों में रही है।
भारतीय रुपये का मूल्यह्रास
- भारतीय रुपये का पतन: 2022 में, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 6.7% फिसल गया। ब्रिक्स देशों में यह सर्वाधिक निराशाजनक प्रदर्शन करने वाला देश है।
- यद्यपि, रुपये ने फिलीपीन पेसो (8.1% गिरावट), थाई बहत (8.1%), चिली पेसो (12.3%) एवं पोलिश ज़्लॉटी (15.8%) सहित बाजार की अन्य उभरती मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- डॉलर का उदय: डॉलर इंडेक्स, जो छह समकक्ष मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की क्षमता का आकलन करता है, इसमें समान अवधि में 11% की वृद्धि हुई।
रुपये के मूल्यह्रास के कारण
- फेडरल रिजर्व ब्याज वृद्धि एवं एफपीआई पूंजी की उछाल: चार दशक की उच्च मुद्रास्फीति को कम करने के लिए यू.एस. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में भारी वृद्धि के कारण, निवेशकों ने जोखिम भरे उभरते बाजारों से स्वयं को अलग कर लिया है एवं सुरक्षित आश्रय परिसंपत्ति का विकल्प चुना है।
- अब तक, 2022 में, एफपीआई ने कुल29.01 बिलियन डॉलर की भारतीय इक्विटी को डंप किया है, जो वैश्विक वित्तीय संकट के वर्ष 2008 के दौरान बेची गई 11.9 बिलियन डॉलर की इक्विटी के दोगुने से अधिक है।
- व्यापक व्यापार घाटा: एक व्यापक व्यापार घाटे ने भारत के चालू खाता घाटे (करंट अकाउंट डेफिसिट/सीएडी) पर दबाव डाला है, जिसने बदले में स्थानीय मुद्रा की प्रत्याशा पर दबाव डाला है।
- वित्त वर्ष 22 में, भारत ने 38.7 बिलियन डॉलर का चालू खाता घाटे अथवा सकल घरेलू उत्पाद का 1.2% व्यय किया।
- सोने का बढ़ता आयात: जबकि भारत का सोने का उत्पादन नगण्य है, देश विश्व में सोने का दूसरा सर्वाधिक वृहद उपभोक्ता है।
- वित्त वर्ष 22 में, भारत ने 46.17 बिलियन डॉलर का स्वर्ण (सोना) आयात किया, जो एक वर्ष पूर्व की तुलना में 33% अधिक है (चार्ट 5 देखें)।
- मई में, स्वर्ण का आयात बढ़कर 6.02 अरब डॉलर हो गया, जो एक वर्ष पूर्व की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है।
रुपये के मूल्यह्रास का प्रभाव
- अल्प विदेशी मुद्रा भंडार: रुपये की गिरावट से सरलता से निपटने एवं अतिरिक्त अस्थिरता को रोकने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर अपने भंडार से विदेशी मुद्रा बाजारों में डॉलर का विक्रय कर रहा है।
- केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की गिरावट ने आरक्षित कोष को प्रभावित किया है। सितंबर में 642 अरब डॉलर के उच्च स्तर से, 24 जून तक भंडार घटकर 593 अरब डॉलर हो गया, जो 49 अरब डॉलर की गिरावट है।
- भारतीय रिजर्व बैंक की नवीनतम ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट के अनुसार, जून में विदेशी मुद्रा भंडार 10 महीने के आयात के समतुल्य था, जो सितंबर 2021 में 15 माह के आयात कवर से कम था।
- बढ़ते चालू खाता घाटे का प्रभाव: चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डिफिसिट/सीएडी) होने का तात्पर्य है कि भारत प्रेषण के माध्यम से निर्यात अथवा आय की तुलना में वस्तुओं एवं सेवाओं का अधिक आयात कर रहा है तथा विदेशों से ऋण लेने पर व्यय कर रहा है, जो बदले में डॉलर के लिए अधिक मांग उत्पन्न करता है।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
- आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम: एफपीआई द्वारा विक्रय की इस गतिविधि ने डॉलर की मांग में वृद्धि कर दी है एवं स्थानीय मुद्रा को कमजोर करते हुए रुपये की इसी अतिरिक्त आपूर्ति को प्रेरित किया है।
- बढ़ते चालू खाता घाटे एवं सोने के आयात का मुकाबला: बढ़ते चालू खाता घाटे (सीएडी) पर रोक लगाने एवं कमजोर रुपये पर दबाव कम करने के लिए, सरकार ने सोने पर लगाए गए आयात शुल्क को 10.75% से बढ़ाकर 15% कर दिया।
- ईंधन के निर्यात पर उपकर: सरकार ने पेट्रोल, डीजल एवं जेट ईंधन के निर्यात पर भी उपकर लगाया।
- निजी परिष्कारक (रिफाइनर) ईंधन का निर्यात कर रहे हैं एवं अप्रत्याशित लाभ (‘विंडफॉल’) अर्जित कर रहे हैं, जबकि देश के कुछ हिस्सों में पंप सूख रहे थे।
- मार्च 2022 में हाई-स्पीड डीजल एवं मोटर गैसोलीन का निर्यात तीन गुना से अधिक हो गया, जबकि जेट ईंधन का निर्यात दोगुना से अधिक हो गया।




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