Table of Contents
सभी के लिए भोजन: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
जीएस 3: खाद्य सुरक्षा
सभी के लिए भोजन: चर्चा में क्यों है?
- इस वर्ष का विश्व खाद्य दिवस (16 अक्टूबर) यह सुनिश्चित करने के लिए एक अनुस्मारक रहा है कि हमारे समुदायों के सर्वाधिक कमजोर लोगों को सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन सरलता से प्राप्त हो सके।
- 2030 तक भूख को समाप्त करने का वादा कृषि-खाद्य प्रणालियों को सशक्त करने हेतु सामूहिक एवं परिवर्तनकारी कार्रवाई के माध्यम से ही संभव है; बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण तथा बेहतर जीवन।
सभी के लिए भोजन: प्रसंग
- वैश्विक स्तर पर, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, संघर्ष एवं असमानता के प्रभावों से कमजोर किया जा रहा है।
- आज, संपूर्ण विश्व में लगभग 828 मिलियन लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है तथा 50 मिलियन से अधिक लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं।
फूड फॉर ऑल: हंगर हॉटस्पॉट आउटलुक (2022-23) खाद्य संकट के बारे में क्या कहता है?
- हंगर हॉटस्पॉट्स आउटलुक (2022-23) संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन/एफएओ) तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम (वर्ल्ड फूड प्रोग्राम/डब्ल्यूएफपी) की एक रिपोर्ट – बढ़ती भूख की भविष्यवाणी करती है, क्योंकि 45 देशों में 205 मिलियन से अधिक लोगों को जीवित रहने हेतु आपातकालीन खाद्य सहायता की आवश्यकता होगी।
सभी के लिए भोजन: एफएओ का महत्व एवं विश्व खाद्य दिवस
- 1948 से, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने धारणीय पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के माध्यम से फसलों, पशुधन, मत्स्य पालन, खाद्य सुरक्षा एवं प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्रों में भारत की प्रगति में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाना जारी रखा है।
- विश्व खाद्य दिवस ‘किसी को पीछे न छोड़ें’ का एक अनुस्मारक है एवं – संभवतः हाल के इतिहास में सर्वाधिक आवश्यक – राष्ट्रों के लिए खाद्य सुरक्षा जाल को मजबूत करने, लाखों लोगों के लिए आवश्यक पोषण तक पहुंच प्रदान करने एवं कमजोर समुदायों के लिए आजीविका को प्रोत्साहित करने हेतु यह एक अवसर है।
सभी के लिए भोजन: भारत के समक्ष खाद्य उत्पादन बढ़ाने की चुनौतियां?
- भारत अब सर्वाधिक वृहद कृषि उत्पाद निर्यातकों में से एक है।
- 2021-22 के दौरान, इसने 49.6 बिलियन डॉलर का कुल कृषि निर्यात दर्ज किया – 2020-21 से 20% की वृद्धि।
- यद्यपि, हाल के जलवायु आघातों ने अगले वर्ष भारत के गेहूं एवं चावल के उत्पादन के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
- 2030 तक, भारत की जनसंख्या 1.5 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है। एक बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों को भरण पोषण करने एवं स्थायी रूप से समर्थन करने की आवश्यकता होगी।
सभी के लिए भोजन: भोजन में समानता के लिए भारत का सबसे बड़ा योगदान
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/एनएफएसए) 2013, जो लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टारगेट एंड पब्लिक डिसटीब्यूशन सिस्टम/टीपीडीएस), पीएम पोषण योजना (जिसे पहले मध्याह्न भोजन योजना के रूप में जाना जाता था) एवं एकीकृत बाल विकास सेवा (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज/आईसीडीएस) पर आधारित है।
- आज, भारत के खाद्य सुरक्षा जाल सामूहिक रूप से एक अरब से अधिक लोगों तक पहुँचते हैं।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम राज्य एवं राष्ट्रीय सरकारों के साथ कार्य करता है ताकि इन प्रणालियों को उन लोगों तक पहुँचाया जा सके जिन्हें इनकी सर्वाधिक आवश्यकता है।
- सरकार इन कार्यक्रमों को डिजिटलीकरण तथा चावल का प्रबलीकरण, बेहतर स्वास्थ्य सेवा एवं स्वच्छता जैसे उपायों के साथ बेहतर बनाने हेतु अनेक उपाय कर रही है।
- खाद्य सुरक्षा जाल तथा समावेश, सार्वजनिक अधिप्राप्ति एवं बफर स्टॉक नीति से जुड़े हुए हैं – वैश्विक खाद्य संकट (2008-12) तथा कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाई देने वाले, जिससे भारत में कमजोर एवं हाशिए पर रहने वाले परिवारों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली एक जीवन रेखा बन गई, द्वारा उभयरोधी (बफर) करना जारी रखा गया।
- ‘महामारी, निर्धनता एवं असमानता: भारत से साक्ष्य’ (पांडेमिक, पॉवर्टी एंड इनिक्वालिटी: एविडेंस फ्रॉम इंडिया) शीर्षक वाले एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के शोध पत्र में कहा गया है कि ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के कारण 2020 में अत्यधिक निर्धनता को 1% से नीचे बनाए रखा गया था।
सभी के लिए भोजन: भारत ने बाजरा उत्पादन को पुनर्जीवित करने पर वैश्विक वार्ता का नेतृत्व कैसे किया?
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बेहतर जीवन, पोषण एवं पर्यावरण हेतु बाजरा उत्पादन को पुनर्जीवित करने पर वैश्विक वार्ता का नेतृत्व किया है, जहां उसने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित करने की अपील की है।
- यह विश्व में बाजरा का प्रमुख उत्पादक है, जो 2020 में सकल उत्पादन का लगभग 41% उत्पादन करता है।
- राष्ट्रीय सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के एक भाग के रूप में पोषक अनाज (बाजरा) पर एक उप-मिशन भी क्रियान्वित कर रही है।
- ओडिशा, मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश में राज्य स्तरीय मिशन इन स्वदेशी फसलों को पुनर्जीवित करने के भारत के संकल्प का प्रमाण हैं।
बाजरा का महत्व
- बाजरा संरक्षण एवं संवर्धन खाद्य सुरक्षा को हल करने, बेहतर पोषण तथा धारणीय कृषि में योगदान देता है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के एजेंडे के साथ संरेखित होता है।
- बाजरा उत्पादन जैव विविधता को बढ़ाने एवं ग्रामीण महिलाओं सहित छोटे किसानों के लिए उत्पादन में वृद्धि करने हेतु प्रमाणित हुआ है।
- मध्य प्रदेश के साथ कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष ( द इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट/आईएफएडी) के तेजस्विनी कार्यक्रम ने प्रदर्शित किया कि बाजरा उत्पादन का तात्पर्य आय में लगभग 10 गुना वृद्धि (2013-14 में 1,800 रुपए प्रति माह से 2020-21 में 16,277 रुपए), बेहतर खाद्य सुरक्षा के साथ है क्योंकि अत्यधिक वर्षा से बाजरा की फसल प्रभावित नहीं हुई।
- भारत में बाजरा पर खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पोषण लाभ में वृद्धि करने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर बल प्रदान किया गया है।
सभी के लिए भोजन: आगे की राह क्या है?
- जलवायु अनुकूलन एवं प्रतिरोधक क्षमता निर्माण पर अधिक ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
- पारंपरिक आदान-गहन कृषि से अधिक समावेशी, प्रभावी एवं धारणीय कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर बढ़ने की मान्यता बढ़ी है जो बेहतर उत्पादन की सुविधा प्रदान करेगी।
- बेहतर उत्पादन एवं विशेष रूप से कमजोर आबादी के लिए खाद्य पहुंच में सुधार करने हेतु भारत सरकार द्वारा अनेक पहल प्रारंभ किए गए हैं।
- रसायनों के अत्यधिक उपयोग, जल के गैर-विवेकपूर्ण उपयोग एवं खाद्य उत्पादों के घटते पोषण मूल्य से मृदा के क्षरण पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
- भारत की आगामी जी-20 अध्यक्षता एक लोचशील एवं न्यायसंगत भविष्य के केंद्र में खाद्य तथा पोषण सुरक्षा लाने का एक अवसर है।
सभी के लिए भोजन: निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि बेहतर जीवन का मार्ग खाद्य प्रणालियों को रूपांतरित करने में निहित है, जो उन्हें अधिक लोचशील एवं धारणीय बनाता है, जिसमें समानता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिसमें आम लोगों की सुरक्षा को प्रोत्साहित करना सम्मिलित है; खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क में वृद्धि करना, जिसमें गैर-विकृत आय सहायता प्रदान करना; पौष्टिक स्थानीय खाद्य पदार्थों के उत्पादन तथा उपभोग को बढ़ावा देना शामिल है।



TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
