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भारत-चीन संघर्ष- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत एवं उसके पड़ोस- संबंध।
भारत-चीन सीमा संघर्ष चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, भारत एवं चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पूर्वी लद्दाख में पांचवें संघर्ष बिंदु से अपने सैनिकों की वापसी की पुष्टि की।
भारत-चीन सीमा संघर्ष- हालिया समझौता
- गोगरा-गर्म सोता (हॉट स्प्रिंग्स) क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 15 से सैनिकों की नवीनतम वापसी के साथ, अब दोनों पक्षों द्वारा पांच स्थानों पर बफर जोन स्थापित किए गए हैं।
- इन स्थानों में पैंगोंग झील के उत्तर तथा दक्षिण में गलवान घाटी एवं गोगरा में पीपी 17 ए शामिल हैं।
- पूर्व से स्थापित चार बफर जोन में व्यवस्थाओं ने अब तक विगत दो वर्षों में शांति बनाए रखने में सहायता की है।
- बफर ज़ोन में किसी भी पक्ष द्वारा कोई गश्त नहीं की जानी है, जो भारत एवं चीन दोनों द्वारा दावा किए गए क्षेत्र पर स्थापित किए गए हैं।
- नवीनतम (सैन्य) विलगन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन/एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के तीन दिन पूर्व आया था।
कदम का महत्व
- बफर जोन निर्मित करने का समझौता संघर्ष की पुनरावृत्ति को रोकने हेतु एक अस्थायी उपाय के रूप में कार्य कर सकता है।
- यद्यपि, वास्तविकता यह है कि यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसे भारत पर थोपा गया है।
- भारतीय सेना, अपने दृष्टिकोण को दृढ़ता से बनाए रखने हेतु एवं चीन की तैनाती के अनुरूप होने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, पांच क्षेत्रों में अप्रैल 2020 के चीन के अनेक क्षेत्रीय संघर्षों को उलटने में सक्षम रही है।
- यह भारत की उन गश्त बिंदुओं तक पहुंचने की क्षमता की कीमत पर आया हो सकता है जो वह पूर्व में पहुंच रहा था।
- चीन के पक्ष से अनुकूल सम्भारिकी (लॉजिस्टिक्स) और इलाके को देखते हुए यह चीन का गेम-प्लान हो सकता है, जो तीव्रता से सैन्य तैनाती को सक्षम बनाता है।
संबद्ध चिंताएं
- चीन न तो डेमचोक एवं देपसांग में गतिरोध को हल करने के लिए सहमत हुआ है, यह सुझाव देते हुए कि वे मौजूदा तनावों को पूर्व-दिनांकित करते हैं तथा न ही डी-एस्केलेट करने की कोई भावना प्रदर्शित की है।
- इसके स्थान पर चीन एलएसी के करीब बड़ी संख्या में सैनिकों को स्थायी रूप से आवास देने के उद्देश्य से सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखे हुए है।
- संकेत हैं कि दोनों पक्ष पिछले सीमा समझौतों के उल्लंघन में, अप्रैल 2020 में हजारों सैनिकों को जुटाने के चीन के निर्णय के कारण सीमाओं पर अनिश्चितता की लंबी अवधि के लिए हैं।
- जब तक बीजिंग अपने हालिया एवंअभी भी अस्पष्टीकृत, एलएसी का सैन्यीकरण करने के लिए कदम नहीं उठाता है और इस प्रक्रिया में सावधानी से निर्मित व्यवस्थाओं को पूर्ववत नहीं करता है, जिसने 40 वर्षों तक शांति बनाए रखने में सहायता की है, भारत के पास संबंधों में वापसी पर विचार करने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन होगा क्योंकि वे 2020 से पूर्व अस्तित्व में थे।
भारत-चीन सीमा संघर्ष- निष्कर्ष
- नवीनतम सैन्य विलगन, जबकि निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है, इसका तात्पर्य सीमा पर संकट का अंत नहीं है।
- चाहे वे एससीओ शिखर सम्मेलन में मिलें – 14 सितंबर तक, किसी भी पक्ष ने बैठक की पुष्टि या इनकार नहीं किया था – या इस वर्ष के अंत में इंडोनेशिया में जी 20 में, भारत को सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि यह अनिवार्य रूप से चीन के साथ उच्च स्तरीय जुड़ाव को पुनः प्रारंभ करता है।



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