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स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार 2022: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
जीएस 3: बैंकिंग क्षेत्र एवं एनबीएफसी
स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार 2022: चर्चा में क्यों है?
- 10 अक्टूबर को, द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अल्फ्रेड नोबेल 2022 की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार के विजेताओं के नामों का अनावरण किया।
- अल्फ्रेड नोबेल 2022 की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार बेन एस बर्नान्के, डगलस डब्ल्यू डायमंड, फिलिप एच. डायविग को “बैंकों एवं वित्तीय संकटों पर शोध के लिए” प्रदान किया गया था।
- 1930 के दशक की महामंदी ने अनेक वर्षों तक संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को पंगु बना दिया तथा इसके व्यापक सामाजिक दुष्परिणाम हुए। हालांकि, इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं से अनुसंधान अंतर्दृष्टि के लिए धन्यवाद, हमने उत्तरवर्ती वित्तीय संकटों को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया है। उन्होंने व्यापक बैंक पतन को रोकने के महत्व का प्रदर्शन किया है।
स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार: Sveriges Riksbank Prize क्या है?
- 1968 में अपने शताब्दी समारोह के संयोजन में, स्वेरिग्स रिक्सबैंक (स्वीडन के केंद्रीय बैंक) ने बैंक द्वारा एक आर्थिक प्रतिबद्धता के आधार पर एक नवीन पुरस्कार, “अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार” की स्थापना की।
- यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा उन्हीं सिद्धांतों के अनुसार प्रदान किया जाता है, जो 1901 से दिए गए नोबेल पुरस्कारों के लिए निर्धारित हैं।
Sveriges Riksbank Prize 2022: बैंकों एवं वित्तीय संकटों पर शोध को नोबेल क्यों प्रदान किया गया?
- इस वर्ष अर्थशास्त्र में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार/नोबेल बर्नान्के, डायमंड एवं डायविग को उनके “बैंकों तथा वित्तीय संकटों पर शोध” के लिए प्रदान किया गया है, जो 1980 के दशक की शुरुआत में किए गए थे, जिन्होंने आधुनिकतम बैंकिंग अनुसंधान की नींव रखी है।
- लगभग चार दशक पूर्व के उनके विश्लेषण, अभी भी अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से कार्य करने हेतु बैंकों की जीवन शक्ति पर बल देने के प्रयासों को सूचित करते हैं, संकट की अवधि के दौरान उन्हें और अधिक मजबूत बनाने के लिए संभावित तंत्र तथा बैंकों का धराशायी होना किस तरह एक बड़े वित्तीय संकट को बढ़ावा दे सकता है जो अर्थव्यवस्थाओं को परेशान कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त, उनका कार्य युक्तिसंगत सिद्धांत के दायरे से परे चला गया और वित्तीय बाजारों को विनियमित करने तथा संकट को रोकने अथवा निपटने में महत्वपूर्ण व्यावहारिक सिद्ध हुआ है।
स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार: उन्हें अब क्यों चयनित किया गया है?
- विश्व अर्थव्यवस्था एक नवीन संकट के दौर से गुजर रही है, ठीक वैसे ही जैसे वह कोविड-19 महामारी से प्रेरित निर्गम से उभर रही थी।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (इंटरनेशनल मोनेटरी फंड/IMF) ने चेतावनी दी है कि ‘सर्वाधिक खराब स्थिति अभी शेष है’ तथा अनेक देशों के लिए मंदी की स्थिति है, क्योंकि यूरोप में युद्ध भोजन तथा ऊर्जा की चिंताओं से उत्पन्न ‘जीवन निर्वाह’ संकट के मध्य फैला हुआ है।
- इन अर्थशास्त्रियों के निष्कर्ष ‘नीति निर्माताओं के लिए अत्याधिक मूल्यवान’ सिद्ध हुए हैं, जैसा कि केंद्रीय बैंकों एवं वित्तीय नियामकों द्वारा हाल के दो प्रमुख संकटों- महान मंदी [2007-09 के मध्य वैश्विक वित्तीय संकट से प्रेरित जब छाया बैंक जैसे लेहमैन ब्रदर्स का पतन हुआ था] एवं आर्थिक मंदी जो कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई थी, का सामना करने में की गई कार्रवाइयों से स्पष्ट है, ‘यह रेखांकित किया।
स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार 2022: भारत के लिए बैंकों एवं वित्तीय संकटों पर शोध का महत्व?
- भारतीय परिवारों के साथ-साथ नीति निर्माता सभी, हाल के दिनों में बैंक की विफलताओं, निजी तौर पर संचालित किए जा रहे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक की परेशानी से लेकर कई सहकारी बैंकों में निकासी पर रोक तक से परिचित हैं।
- बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार तथा नियामक अंतःक्षेपों में उच्च जमा बीमा कवर, कमजोर उधारदाताओं के अधिग्रहण की सुविधा एवं डूबे हुए ऋणों पर लगाम लगाने के कदम सम्मिलित हैं।
- ऐसा प्रतीत होता है कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं के कार्य से प्राप्त प्रमुख सीख को भारतीय अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया है।
- किंतु जैसा कि सरकार बड़े निवेश एवं उच्च विकास के वित्तपोषण के लिए वृहत संस्थाओं का निर्माण करने हेतु उधारदाताओं को समेकित करने के उद्देश्य से बैंकों के निजीकरण का प्रयास करती है, वित्तीय क्षेत्र में किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए अत्यधिक नियामक एवं विधायी सतर्कता आवश्यक है।




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