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प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग
- हाल ही में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) बोर्ड ने सामाजिक उद्यमों (एसई) द्वारा अनुदान संचय (धन उगाहने) के लिए अपने नियामक दायरे के अंतर्गत सोशल स्टॉक एक्सचेंज के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्य बिंदु
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का प्रस्ताव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में अपने बजट भाषण में रखा था।
- सेबी 100 करोड़ रुपये का क्षमता-निर्माण कोष निर्मित करने हेतु नाबार्ड, सिडबी एवं स्टॉक एक्सचेंजों के साथ आस्थित होने की भी योजना बना रहा है।
एसएसई के बारे में
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज वर्तमान स्टॉक एक्सचेंजों का एक नया अनुभाग होगा।
- स्पष्ट सामाजिक उद्देश्य एवं प्रभाव वाले गैर-लाभकारी उद्यमों तथा लाभकारी सामाजिक उद्यमों को सोशल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
- इन संस्थाओं को इक्विटी, जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, सामाजिक प्रभाव कोष तथा विकास प्रभाव बॉन्ड के माध्यम से निवेशकों से धन एकत्रित करने की अनुमति होगी।
एसएसई संरचना
- नवीन संरचना के अंतर्गत, सेबी एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष) नियमों के तहत सामाजिक उद्यम निधि का नाम परिवर्तित कर सामाजिक प्रभाव निधि में बदल दिया जाएगा, जिसमें न्यूनतम संग्रह (कॉर्पस) आवश्यकता को पूर्व निर्धारित 20 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा।
- सामाजिक उद्यम की लेखा परीक्षा के संदर्भ में, प्रारंभ में केवल सामाजिक लेखा परीक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाली प्रतिष्ठित लेखा परीक्षा फर्मों को ही सामाजिक लेखा परीक्षकों को नियुक्त करने वाली लेखा परीक्षा करने की अनुमति दी जाएगी, जिनके पास राष्ट्रीय प्रतिभूति प्रबंधन संस्थान के प्रमाणन पाठ्यक्रम हैं।
- सेबी ने कहा कि वह सामाजिक उद्यमों के लिए प्रारंभिक एवं निरंतर प्रकटीकरण हेतु अपने नियमों में संशोधन करेगा जो सामाजिक एवं वित्तीय प्रभाव तथा शासन के पहलुओं को सम्मिलित करेगा।
भारत का प्रथम यूरो ग्रीन बॉन्ड


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