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लघु वित्त बैंक (एसएफबी)

लघु वित्त बैंक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन,वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

लघु वित्त बैंक- संदर्भ

  • हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि उसे दो अन्य संस्थाओं से आवेदन प्राप्त हुए हैं जो लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के संचालन हेतु अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) चाहते हैं।
  • यह निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों के ऑन टैपअनुज्ञप्ति हेतु आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार है।
  • ऑन टैपलाइसेंसिंग: इसका तात्पर्य है कि आरबीआई आवेदनों को स्वीकार करेगा एवं संपूर्ण वर्ष बैंकों के लिए  अनुज्ञप्तियां प्रदान करेगा।

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लघु वित्त बैंक- प्रमुख बिंदु

  • एसएफबी के बारे में: एसएफबी को भारत में आरबीआई की एक आंतरिक समूह की संस्तुति पर प्रारंभ किया गया है।
    • इसने संस्तुति की कि लघु वित्त संस्थानों (एमएफआई) की भांति, बैंकों को निर्धनों को लाभदायक ग्राहकों के रूप में देखना शुरू करना चाहिए।
    • आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल की अवधि में यह विचार वास्तविकता बन गया।
    • एसएफबी कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं।
  • लघु वित्त बैंकों का अधिदेश: एसएफबी की स्थापना मुख्य रूप से जमाओं की स्वीकृति एवं असेवित तथा अल्पसेवित वर्गों को ऋण प्रदान करने की बुनियादी बैंकिंग क्रियाकलापों को संपादित करने हेतु की जाती है जैसे-
    • लघु व्यावसायिक इकाइयाँ,
    • छोटे और सीमांत कृषक,
    • सूक्ष्म एवं एवं लघु उद्योग तथा
    • असंगठित क्षेत्र की इकाइयां।

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लघु वित्त बैंक- आवेदन हेतु पात्रता मानदंड

  • पात्र प्रवर्तक:
    • बैंकिंग एवं वित्त में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले निवासी व्यष्टि / पेशेवर;
    • निवासियों के स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियां तथा सोसाइटियां लघु वित्त बैंक स्थापित करने हेतु पात्र होंगी।
    • मौजूदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई), एवं स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) जो निवासियों के स्वामित्व तथा नियंत्रण में हैं, वे भी लघु वित्त बैंकों में रूपांतरण का विकल्प चुन सकते हैं।
  • पूंजी आवश्यकता: लघु वित्त बैंकों के लिए न्यूनतम चुकता इक्विटी पूंजी 100 करोड़ रुपए होगी।
    • प्रवर्तक को न्यूनतम 40% इक्विटी पूंजी का अंशदान करना चाहिए एवं इसे 10 वर्षों में 30% तक लाया जाना चाहिए।

लघु वित्त बैंक- प्रमुख विशेषताएं

  • प्राथमिक क्षेत्रक की परिदाय (ऋण देने की) आवश्यकता: कुल समायोजित निवल बैंक ऋण का 75%।
  • विदेशी शेयरधारिता: इसकी अधिकतम सीमा भुगतान की गई पूंजी का 74% है एवं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 24% से अधिक धारित नहीं कर सकते हैं।
  • ऋण वितरण: ऋण का 50%, 25 लाख रुपये तक होना चाहिए।
    • अधिकतम ऋण आकार: एकल ऋण ग्राही के लिए पूंजी निधि का अधिकतम 10% एवं एक समूह को अधिकतम 15%।
  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर): यह जोखिम भारित आस्तियों का 15% एवं टियर-I जोखिम भारित आस्तियों का 5% होना चाहिए।
  • अन्य अनुमत गतिविधियां: छोटी जमाराशियां लेने और ऋणों के वितरण के साथ, लघु वित्त बैंकों को म्यूचुअल फंड, बीमा उत्पादों तथा अन्य साधारण तृतीय-पक्ष वित्तीय उत्पादों को वितरित करने की अनुमति है।

लघु वित्त बैंक- निषिद्ध गतिविधियां:

  • लघु वित्त बैंक के लिए निषिद्ध हैं-
    • बड़े व्यावसायिक घरानों एवं व्यावसायिक समूह को ऋण प्रदान करना।
    • प्रथम पांच वर्षों के लिए आरबीआई की पूर्व अनुमति के बिना शाखाएं खोलना।
    • गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा क्रियाकलापों को प्रारंभ करने हेतु सहायक कंपनियों की स्थापना करना।
    • किसी भी बैंक के व्यापार संवाददाता के रूप में कार्य करना।

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