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एकल-उपयोग प्लास्टिक: हानिकारक प्रभाव, पर्यावरणीय प्रभाव एवं वैश्विक स्तर पर कदम

एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

एकल-उपयोग प्लास्टिक: हानिकारक प्रभाव, पर्यावरणीय प्रभाव एवं वैश्विक स्तर पर कदम_3.1

एकल-उपयोग प्लास्टिक चर्चा में क्यों है?

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021, प्लास्टिक के थैलों (कैरी बैग) जिनकी मोटाई 75 माइक्रोन से कम है, के निर्माण, आयात,  भंडारा, वितरण, विक्रय एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।

 

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है?

  • एकल उपयोग प्लास्टिक के बारे में:  एकल उपयोग प्लास्टिक (सिंगल-यूज प्लास्टिक) उन प्लास्टिक वस्तुओं को संदर्भित करता है जो एक बार उपयोग की जाती हैं एवं त्याग दी जाती हैं। विनिर्मित प्लास्टिक में सिंगल-यूज प्लास्टिक का अंश उच्चतम में से एक है।
    • मिंडेरू फाउंडेशन की 2021 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संपूर्ण विश्व में उत्पादित सभी प्लास्टिक का एक तिहाई एकल उपयोग प्लास्टिक है, जिसमें 98% जीवाश्म ईंधन से निर्मित होते हैं।
  • अनुप्रयोग: एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का उपयोग वस्तुओं की पैकेजिंग से लेकर बोतलों (शैम्पू, डिटर्जेंट, सौंदर्य प्रसाधन), पॉलिथीन बैग, फेस मास्क, कॉफी कप, क्लिंग फिल्म, कचरा बैग, खाद्य पैकेजिंग इत्यादि तक में किया जाता है।

 

एकल-उपयोग प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव

  • पर्यावरणीय प्रभाव: प्लास्टिक अपशिष्ट  पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव डालते हैं।
    • कचरे में फेंकी गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं का स्थलीय एवं जलीय पारिस्थितिकी तंत्र दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
    • पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक की तुलना में समुद्र में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के पहुंचने की अधिक संभावना है, जो समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।
  • ग्रीनहाउस गैस (जीएचसी): उत्पादन के वर्तमान प्रक्षेपवक्र पर, यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 5-10% हिस्सा ले सकता है।

 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में भारतीय पहल

  • भारत ने 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक प्रदूषण पर एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें वैश्विक समुदाय  द्वारा इस मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता को मान्यता दी गई थी।
    • इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में अपनाया गया था।
  • मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के हाल ही में संपन्न 5 वें सत्र में, भारत प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करने हेत एक प्रस्ताव पर आम सहमति विकसित करने के लिए सभी सदस्य राज्यों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा।

 

अन्य देशों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

  • एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने वाला भारत पहला देश नहीं है। जुलाई 2019 तक, 68 देशों में पृथक पृथक श्रेणी के प्रवर्तन के साथ प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध है।
    • उदाहरण: 2002 में पतले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला बांग्लादेश पहला देश बना; न्यूजीलैंड ने जुलाई 2019 में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया।
    • चीन ने 2020 में चरणबद्ध रूप से क्रियान्वयन के साथ प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध आरोपित किया है।

 

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021- प्रमुख विशेषताएं

  • एकल-उपयोग वाले निम्नलिखित  प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, विक्रय एवं उपयोग पर प्रतिबंध: 
    • प्लास्टिक की छड़ियों के साथ ईयरबड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ें, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ें, आइसक्रीम की छड़ें, सजावट के लिए पॉलीस्टाइरिन [थर्मोकोल];
    • प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे,  मिठाई के बक्सों में लपेटने अथवा पैक करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड एवं सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम  के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, विलोडक (स्टिरर)।
  • हल्के प्लास्टिक के थैलों (कैरी बैग) की मोटाई बढ़ाना: सितंबर 2021 तक 75 माइक्रोन एवं 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रोन तक।
    • यह बढ़ी हुई मोटाई के कारण प्लास्टिक के थैलों के पुन: उपयोग की भी अनुमति प्रदान करेगा।
  • निर्माता, आयातक एवं ब्रांड के स्वामित्व धारकों (PIBO) का विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व: वे पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय विधि से प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट को एकत्रित करने एवं प्रबंधित करने हेतु उत्तरदायी होंगे।
    • 2021 के नियम इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी/ईपीआर) के दिशा-निर्देशों को कानूनी बल प्रदान करते हैं।

 

आगे की राह 

  • जागरूकता सृजित करना: उपभोक्ता को विज्ञापनों, समाचार पत्रों या टीवी विज्ञापनों अथवा सोशल मीडिया के द्वारा एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बारे में सूचित करने की आवश्यकता है।
  • शोध एवं विकास में निवेश: स्थायी विकल्प खोजने के लिए, कंपनियों को शोध एवं विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • सहयोगात्मक दृष्टिकोण: प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या का समाधान मात्र सरकार का उत्तरदायित्व नहीं है, बल्कि उद्योगों, ब्रांडों, निर्माताओं और सबसे महत्वपूर्ण उपभोक्ताओं की भी है।
  • हरित विकल्प का विकास एवं संवर्धन: प्लास्टिक का विकल्प तलाशना थोड़ा कठिन प्रतीत होता है,  यद्यपि, प्लास्टिक के हरित विकल्प को एक स्थायी विकल्प माना जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए, कंपोस्टेबल एवं जैव निम्नीकरणीय योग्य प्लास्टिक क्या दी को एक विकल्प के रूप में माना जा सकता है।

 

निष्कर्ष

  • जबकि प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध एक अच्छा विचार प्रतीत होता है, इस समय इसकी व्यवहार्यता, विशेष रुप से व्यवहारिक विकल्पों के अभाव में मुश्किल लगती है।

 

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