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प्रागैतिहासिक काल का प्रस्तर/पाषाण युग
- प्रागैतिहासिक काल का पाषाण युग यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (जीएस पेपर 1- कला एवं संस्कृति) तथा यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति) के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रागैतिहासिक काल का प्रस्तर/पाषाण युग क्या है
- पाषाण युग के बारे में: प्रागैतिहासिक युग के दौरान मानव के विकास में पाषाण युग पहला चरण है।
- पाषाण युग के विभिन्न औजार पत्थरों से निर्मित होते थे जिससे इसका नाम पाषाण युग पड़ा।
- जानकारी के स्रोत: प्रागैतिहासिक काल (पाषाण युग सहित) की जानकारी का मुख्य स्रोत पुरातात्विक उत्खनन है।
- वर्गीकरण: भारतीय पाषाण युग को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है-
- पुरापाषाण काल (प्राचीन पाषाण युग): अवधि – 500,000 – 10,000 ईसा पूर्व
- मध्य पाषाण काल (उत्तर पाषाण युग): अवधि – 10,000 – 6000 ईसा पूर्व
- नवपाषाण युग ( नवीन पाषाण युग): काल – 6000 – 1000 ई.पू
पुरापाषाण युग (प्राचीन पाषाण युग)
- उत्पत्ति: ‘पुरापाषाण’ शब्द ग्रीक शब्द ‘पैलियो’ एवं ‘लिथिक’ से लिया गया है। ‘पैलियो’ का अर्थ है पुराना एवं ‘लिथिक’ का अर्थ है पत्थर, अतः, इसे पुराना पाषाण युग कहा जाता है।
- संबद्ध भौगोलिक युग: भारत की पुरापाषाण संस्कृति (पुराना पाषाण युग) का विकास प्लाइस्टोसीन काल या हिम युग में हुआ था।
- प्लाइस्टोसीन काल या हिमयुग उस युग का भूवैज्ञानिक काल है जब पृथ्वी बर्फ से ढकी हुई थी एवं मौसम इतना ठंडा था कि मानव या पौधे का अस्तित्व सुरक्षित नहीं रह सकता था।
- किंतु उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में, जहां बर्फ पिघल चुकी थी, मनुष्यों की सर्वाधिक प्राचीन प्रजातियां अस्तित्व में हो सकती थीं।
- वर्गीकरण: भारत में पुराने पाषाण युग या पुरापाषाण युग को निम्नलिखित तीन चरणों में विभाजित किया गया है-
- निम्न पुरापाषाण युग: 100,000 ईसा पूर्व तक
- मध्य पुरापाषाण युग: 100,000 ईसा पूर्व – 40,000 ईसा पूर्व
- उत्तर पुरापाषाण युग: 40,000 ईसा पूर्व – 10,000 ईसा पूर्व
- उपरोक्त वर्गीकरण के लिए मानदंड: पुरापाषाण युग के उपरोक्त वर्गीकरण के निम्नलिखित के अनुसार किए गए थे-
- लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पत्थर के औजारों की प्रकृति एवं
- जलवायु परिवर्तन की प्रकृति।
निम्न पुरापाषाण काल
- निम्न पुरापाषाण काल के बारे में: निम्न पुरापाषाण काल को प्रायः इसकी भौगोलिक आयु के कारण हिमयुग के रूप में जाना जाता है।
- मुख्य विशेषताएं: इसमें शिकारियों तथा संग्रहकर्ताओं का प्रभुत्व था।
- प्रयुक्त उपकरण: लोग शिकार एवं जीवन के अन्य उद्देश्यों के लिए कर्तित पत्थरों का उपयोग करते थे।
- मुख्य स्थल: निम्न पुरापाषाण काल के महत्वपूर्ण स्थलों का उल्लेख नीचे किया गया है-
- सोन घाटी (पाकिस्तान)
- बोरी (महाराष्ट्र)
- कश्मीर
- सौराष्ट्र
- गुजरात
- छोटा नागपुर पठार
- बेलन घाटी
मध्य पुरापाषाण काल
- मध्य पुरापाषाण काल बारे में: मध्य पुरापाषाण काल, एक अवधि जिसमें मनुष्यों द्वारा कांटो (पॉइंटर्स), शल्कों (फ्लेक्स) एवं ब्लेड सहित नुकीले एवं धारदार औजारों का विकास देखा गया।
- प्रयुक्त उपकरण: छोटे जानवरों को मारने एवं मृत, शिकार किए गए जानवरों से मांस निकालने के लिए विशेषीकृत उपकरणों का उपयोग प्रारंभ हुआ।
- स्थल: महत्वपूर्ण स्थान जहां मध्य पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए थे, उनमें सम्मिलित हैं-
- बेलन घाटी (यूपी)
- भीमबेटका
- लूनी घाटी (राजस्थान)
- सोन एवं नर्मदा नदियाँ
- सोंगई गुफा
उच्च पुरापाषाण काल
- उच्च पुरापाषाण काल के बारे में: उच्च पुरापाषाण काल हिम युग के अंत (जब जलवायु गर्म होना शुरू हुआ) को अतिव्यापित करता है तथा इसमें होमो सेपियन्स के उद्भव को भी देखा गया।
- प्रयुक्त उपकरण: इस अवधि में सुई, मछली पकड़ने के गियर तथा वेधन उपकरण सहित विभिन्न नए उपकरणों का विकास भी देखा गया।
- प्रमुख स्थल: इस अवधि से खोजे गए प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं-
- भीमबेटका: यह उच्च पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थलों में से एक है जहाँ ब्लेड, हाथ की कुल्हाड़ी तथा खुरचनी की खोज की गई है।
- बेलन घाटी
- छोटा नागपुर पठार
- उड़ीसा
- आंध्र प्रदेश का पूर्वी घाट
- महाराष्ट्र
मध्य पाषाण काल
- मध्य पाषाण काल के बारे में: मध्य पाषाण काल 8000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व तक विस्तृत है जिसमें शिकार तथा मछली पकड़ने के लिए उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उपकरणों की खोज हुई।
- बसावट: इस काल में लोगों की अर्ध-स्थायी बस्तियों का भी विकास हुआ।
- उस समय लोग जो वस्त्र पहनते थे उसे बनाने के लिए जानवरों की खाल का उपयोग किया जाता था।
- प्रयुक्त उपकरण: यहां सुक्ष्म पाषाण उपकरण (माइक्रोलिथ) खोजे गए थे, जो क्रिप्टो-क्रिस्टलीय सिलिका से निर्मित लघु उपकरण थे।
- प्रमुख स्थल: प्राथमिक स्थल हैं-
- आजमगढ़
- राजस्थान (बोगोर)
- मिर्जापुर (यूपी)
- लंघनाज (गुजरात)
नवपाषाण काल
- नवपाषाण काल के बारे में: नवपाषाण काल, जिसे आमतौर पर नवीन प्रस्तर युग कहा जाता है, ने कृषि एवं मिट्टी के बर्तनों का विकास देखा।
- नवपाषाण काल लगभग 4000 से 2500 ईसा पूर्व तक विस्तृत है।
- बसावट: नवीन प्रस्तर युग ने मानव निर्मित गोलाकार घरों के साथ सभ्यताओं के प्रारंभ का संकेत दिया।
- मुख्य स्थल: प्राथमिक नवपाषाण युग स्थल थे:
- मेहरगढ़ (बलूचिस्तान, पाकिस्तान)
- कोल्डिहवा एवं महागरा (इलाहाबाद)
- चिरांद (बिहार)
- बुर्जहोम (कश्मीर)
- बेलन घाटी



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