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पोषण स्मार्ट गांव

पोषण स्मार्ट गांव: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

पोषाहार विफलता- बच्चों में कुपोषण की स्थिति एवं प्रधानमंत्री पोषाहार योजना

पोषण स्मार्ट गांव: प्रसंग

  • आजादी का अमृत महोत्सव केएक भाग के रूप में, भारत की आजादी के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में पोषण अभियान को सुदृढ़ करने हेतु पोषण स्मार्ट गांवपर एक कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा।

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पोषण स्मार्ट गांव: मुख्य बिंदु

  • इस नवीन पहल का उद्देश्य कृषि में महिलाओं पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी-डब्ल्यूआईए) के नेटवर्क के माध्यम से संपूर्ण भारत में 75 गांवों तक पहुंचना है, जो भारत के 12 राज्यों में 13 केंद्रों पर संचालित है।
  • यह पहल समस्त शिक्षाविदों, कृषि वैज्ञानिकों एवं सभी संस्थानों से 75 गांवों को गोद लेने एवं रूपांतरित करने हेतु प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप आरंभ किया गया है।
  • इस पहल के अंतर्गत, एआईसीआरपी केंद्रों एवं आईसीएआर-सीआईडब्ल्यूए द्वारा कुल 75 गांवों को गोद लिया जाएगा, जिसके लिए एआईसीआरपी केंद्र प्रत्येक 5 गांवों को गोद लेंगे, जिनमें से शेष को आईसीएआर-सीआईडब्ल्यूए द्वारा गोद लिया जाएगा, जिसका उद्देश्य 75 पोषण-स्मार्ट गांव विकसित करना है। ।
  • इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण संबंधी जागरूकता, शिक्षा एवं व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना है, जिसमें कृषि कार्य करने वाली महिलाओं एवं विद्यालय जाने वाले बच्चों को शामिल करना, कुपोषण को दूर करने के लिए स्थानीय नुस्खे के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करना एवं घरेलू कृषि एवं पोषण उद्यान (न्यूट्री-गार्डन) के माध्यम से पोषण के प्रति संवेदनशील कृषि को लागू करना है।
  • कुपोषण मुक्त गांवों के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु पोषण अभियान को सुदृढ़ करने के लिए पोषण-ग्राम/पोषक-भोजन/पोषक-आहार/पोषक- थाली इत्यादि की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करते हुए गहन जागरूकता अभियान एवं क्षेत्रीय गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
  • महिला कृषकों में भी जीवन के सभी क्षेत्रों में उनके विधिक (कानूनी) अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न की जाएगी। एआईसीआरपी केंद्रों द्वारा विकसित उत्पादों/उपकरणों/प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन बहु-स्थानीय परीक्षणों के माध्यम से किया जाएगा।

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कुपोषण से निपटने हेतु अब तक उठाए गए कदम

  • उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने तीन वर्ष की अवधि हेतुचावल के प्रबलीकरण एवं पीडीएस के तहत इसका वितरणपर 2019-20 में एक केंद्र प्रायोजित प्रायोगिक योजना प्रारंभ की।
  • प्रायोगिक योजना 15 राज्यों – आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश के 15 जिलों पर केंद्रित है।
  • महाराष्ट्र एवं गुजरात सहित छह राज्यों ने प्रायोगिक योजना के एक भाग के रूप में प्रबलीकृत चावल का वितरण प्रारंभ कर दिया है, जिसमें जून 2021 तक लगभग 03 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) प्रबलीकृत चावल वितरित किए जा चुके हैं।
  • चार अन्य राज्यों के द्वारा सितंबर 2021 तक इसे प्रारंभ करने की संभावना है।
  • खाद्य मंत्रालय का कहना है कि 1 अप्रैल, 2022 से 250 उच्च भार वाले जिलों को चावल फोर्टिफिकेशन योजना के अंतर्गत सम्मिलित करने का प्रस्ताव है।

भूख अधिस्थल: एफएओ-डब्ल्यूएफपी की एक रिपोर्ट

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