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प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना,संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग
- हाल ही में, एनएसओ (राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन) ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में “परिवारों की भूमि एवं पशुधन जोत तथा कृषक परिवारों की स्थिति का आकलन” पर सर्वेक्षण का अपने 77 वें दौर की रिपोर्ट जारी की है।

उद्देश्य
- सर्वेक्षण का उद्देश्य विभिन्न संकेतकों का निर्माण करना था जैसे:
- ग्रामीण परिवारों का स्वामित्व एवं क्रियाशील जोत
- पशुधन का स्वामित्व
- कृषक परिवारों की आय, उत्पादक संपत्ति तथा ऋणग्रस्तता
- कृषक परिवारों की कृषि प्रणालियाँ
- कृषि के क्षेत्र में विभिन्न तकनीकी विकासों के प्रति जागरूकता एवं पहुंच
- कृषक परिवारों की कृषि एवं गैर-कृषि व्यवसायों की प्राप्तियां एवं व्यय तथा कृषक परिवारों के सदस्यों द्वारा अपनाई गई अन्य सभी आर्थिक गतिविधियों से प्राप्तियां।
 
एक कृषक परिवार कौन है?
- कृषि गतिविधियों जैसे खाद्य फसलों की खेती, मत्स्य पालन, पशुपालन, इत्यादि से उपज के मूल्य के रूप में 4000 रुपये से अधिक प्राप्त करने वाला एक परिवार।
- तथा विगत 365 दिनों के दौरान कृषि में न्यूनतम एक सदस्य स्वरोजगार में या तो प्रमुख स्थिति में अथवा सहायक स्थिति में संलग्न हो।
ए-हेल्प: डीओआरडी एवं डीएएचडी के मध्य समझौता ज्ञापन
मुख्य निष्कर्ष
ऋण
- 2019 में देश के2% कृषक परिवार कर्ज में थे।
- प्रति परिवार औसत बकाया ऋण 74,121 रुपये है।
- बकाया ऋणों में से मात्र 6% बैंकों, सहकारी समितियों एवं सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिए गए थे, जबकि 20.5 प्रतिशत ऋण पेशेवर साहूकारों से लिए गए थे।
- कुल ऋण में से मात्र 5% कृषि उद्देश्यों के लिए लिया गया था।
 
मासिक आय
- कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान प्रति कृषक परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपये थी।
- इसमें से, प्रति परिवार औसत आय
- मजदूरी 4,063 रुपये थी
- फसल उत्पादन 3,798रुपये,
- पशुपालन 1,582 रुपये
- गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपये एवं
- भूमि का पट्टा 134 रुपये।
 
विश्व में वृक्षों की स्थिति पर रिपोर्ट
खंड-वार कृषक परिवार
- देश में कृषक परिवारों की संख्या3 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था,  जिसमें
- ओबीसी = 8%,
- एससी = 9%,
- एसटी = 2% एवं
- अन्य = 1%।
 
सीमांत कृषक
- 5% ग्रामीण परिवारों के पास 1 हेक्टेयर से कम भूमि थी, जबकि मात्र 0.2% के पास 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि थी।
| कृषक | भूमि का आकार | 
| सीमांत | <1 हेक्टेयर | 
| छोटा | > 1 एवं <2 हेक्टेयर | 
| अर्ध-मध्यम | > 2 एवं <4 हेक्टेयर | 
| मध्यम | > 4 एवं <10 हेक्टेयर | 
| बड़ा | > 10 हेक्टेयर | 
ऋणग्रस्तता की व्यापकता
- शहरी भारत में 4% की तुलना में ग्रामीण भारत में ऋणग्रस्तता की व्यापकता लगभग 35% थी।
- शहरी भारत में मात्र 5% परिवारों के मुकाबले 17.8 प्रतिशत परिवार संस्थागत ऋण एजेंसियों के ऋणी थे।
- शहरी भारत के 9 प्रतिशत घरों की तुलना में मात्र ग्रामीण भारत में लगभग 10.2 प्रतिशत परिवार गैर-संस्थागत ऋण एजेंसियों के ऋणी थे।

 
											
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