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नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- संदर्भ
- हाल ही में भारत, अमेरिका, इजरायल एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रियों की आभासी बैठक हुई। यह पश्चिम एशियाई भू-राजनीति में परिवर्तन की एक सशक्त अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करता है।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- बदलते भू-राजनीतिक समीकरण
- अब्राहम समझौता: इजरायल एवं संयुक्त अरब अमीरात ने एक वर्ष पूर्व औपचारिक राजनयिक संबंध प्रारंभ किए थे। संयुक्त अरब अमीरात एवं बहरीन साम्राज्य के साथ इजरायल के संबंधों को सामान्य बनाने के उद्देश्य से इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात एवं बहरीन के मध्य संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अब्राहम समझौते की मध्यस्थता की गई थी।
- प्रभाव: उनका बढ़ता हुआ आर्थिक एवं सामरिक सहयोग भारत सहित अन्य शक्तियों के लिए अवसर उत्पन्न कर रहा है।
- एक नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच का शुभारंभ: यह भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य एक नया चतुर्भुज मंच है।
- इसे एक आभासी बैठक में विमोचित किया गया जिसमें उन देशों के संबंधित विदेश मंत्री सम्मिलित थे।
- चार देशों की बैठक पश्चिम एशिया की दिशा में एक क्षेत्रीय विदेश नीति रणनीति अपनाने की भारत की रणनीतिक अभिलाषा की ओर भी संकेत करती है, जो इसके द्विपक्षीयवाद से भी आगे जाती है।
- नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच का सामरिक महत्व भारत की विदेशी पूंजी में शनै: शनै: दृश्य होगा।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- भारत के हितों की सुरक्षा
- क्वाड में भागीदारी: भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के साथ क्वाड का सदस्य है, जिनकी पूर्वी एशिया पर समान चिंताएं एवं साझा हित हैं।
- इजराइल के साथ संबंध: इजराइल भारत के शीर्ष रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।
- संयुक्त अरब अमीरात का महत्व: संयुक्त अरब अमीरात भारत की ऊर्जा सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण है एवं लाखों भारतीय कामगारों का कार्यस्थल भी है।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- भारत की पश्चिम एशिया नीति
- अतीत में, भारत की पश्चिम एशिया नीति के तीन स्तंभ- सुन्नी खाड़ी राजशाही, इजरायल एवं ईरान थे।
- अब्राहम समझौते के बाद के अवसर: ट्रम्प प्रशासन के संरक्षण में इजरायल एवं संयुक्त अरब अमीरात एवं बहरीन के मध्य सामान्यीकरण समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ, भारत को क्षेत्रीय दृष्टिकोण के लिए कम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- संबद्ध चुनौतियां;
- जहां अब्राहम समझौते ने भारत के लिए इजरायल एवं संयुक्त अरब अमीरात के साथ साझा आधार खोजना सुलभ बना दिया, वहीं इस उदय होते गुट एवं ईरान के मध्य अंतर्विरोध सदैव की भांति प्रखर बना हुआ है।
- अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के पश्चात भारत महाद्वीपीय एशिया में गंभीर होती असुरक्षा का सामना कर रहा है।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- आगे की राह
- भारत की संबद्धता को गहन करना करना: भारत को व्यापार, ऊर्जा संबंधों, जलवायु परिवर्तन से लड़ने एवं समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अपनी संबद्धता में वृद्धि करनी चाहिए।
- भारत को पश्चिम एशिया के संघर्षों में एक पक्षकार बनने से बचना चाहिए: भारत को सतर्क रहना चाहिए कि वह पश्चिम एशिया के कई संघर्षों में न फंस जाए जो बढ़ती क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता के मध्य और गहन हो सकते हैं।
- अमेरिका की वापसी के पश्चात के अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को ईरान जैसे देशों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
नवीन चतुर्भुज आर्थिक मंच- निष्कर्ष
- भारत को ईरान के साथ एक स्वस्थ संबंध बनाए रखना चाहिए, भले ही वह यू.एस.-इज़राइल-यूएई ब्लॉक के साथ एक सशक्त क्षेत्रीय साझेदारी स्थापित करना चाहता हो।
संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल



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