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भारत में नक्सलवाद: सरकार के कदम एवं सिफारिशें

भारत में नक्सलवाद यूपीएससी

अपने विगत लेख में हमने नक्सलवाद, भारत में नक्सलवाद के इतिहास एवं इसके प्रसार के कारणों पर चर्चा की है। इस लेख में, हम सरकार द्वारा उठाए गए अनेक कदमों  तथा भारत में नक्सलवाद को रोकने के लिए की गई  सिफारिशों पर चर्चा करेंगे।

भारत में नक्सलवाद: सरकार के कदम एवं सिफारिशें_3.1

नक्सलवाद से निपटने के लिए सरकार के कदम

  • भारत में नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने स्पष्ट योजना निर्मित की है।
  • इसने नक्सलवाद की समस्या को हल करने के लिए दोतरफा रणनीति बनाई है- विधि एवं व्यवस्था का दृष्टिकोण तथा विकास का दृष्टिकोण।

 

विधि एवं व्यवस्था का दृष्टिकोण

  • पुलिस बलों का आधुनिकीकरण: सरकार ने नक्सल गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस आधुनिकीकरण योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अपने उपकरणों एवं सामरिक उपकरणों के आधुनिकीकरण के लिए नवीनतम संचार, वाहन एवं बुनियादी सुविधाओं सहित धन प्रदान किया।
  • मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक): केंद्रीय स्तर पर मैक एवं राज्य स्तर पर राज्य मल्टी-एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) जगदलपुर एवं गया जैसे माओवादियों के गढ़ में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुए हैं। अन्य संस्थागत उपायों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में राज्य-खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) को सुदृढ़ करना सम्मिलित है।
  • केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीएपीएफ) को आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को कार्यान्वित करने हेतु बनाया गया है। नक्सल प्रभावित राज्यों में 70,000 से अधिक सीआरपीएफ को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त, केंद्र ने राज्यों को 14 विशेष कमांडो बटालियन (कोबरा) विकसित करने में सहायता की है जो गुरिल्ला तथा जंगल युद्ध तकनीकों में सुसज्जित  एवं प्रशिक्षित हैं तथा सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में तैनात हैं।
  • समाधान- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 2017 में ‘समाधान’ का विमोचन किया।  समाधान संक्षिप्त नाम का पूर्ण रूप निम्नलिखित के लिए है: एस – स्मार्ट लीडरशिप, ए – एग्रेसिव स्ट्रेटजी, एम –  मोटिवेशन एंड ट्रेनिंग, ए – एक्शनेबल इंटेलिजेंस, डी – डैशबोर्ड बेस्ड केपीआई (मुख्य प्रदर्शन संकेतक), तथा केआरए (की रिजल्ट एरिया/मुख्य परिणाम क्षेत्र), एच- हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी, ए –  एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर एवं एन- नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग।

 

विकास

  • सरकार ने 2003-2004 में पिछड़ा जिला पहल  एवं पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बैकवर्ड रीजंस ग्रांट फंड/बीआरजीएफ) आरंभ किया जिसके अंतर्गत 9 राज्यों में सर्वाधिक बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से 55 को नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए 2475 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जानी थी।
  • आदिवासियों के स्व-शासन के लिए वनों तक पहुँच के अधिकारों को मान्यता प्रदान करते हुए कुछ ऐतिहासिक कानून निर्मित कर आदिवासियों की पुरानी शिकायतों को दूर करने हेतु 2010 में फ्लैगशिप  एकीकृत कार्य योजना (इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान/आईएपी) प्रारंभ किया गया था।
  • यूनिवर्सल सर्विसेज ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ): यह 10 राज्यों के 96 जिलों में गृह मंत्रालय ( मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स/एमएचए) द्वारा अभिनिर्धारित किए गए 4072 टॉवर स्थानों पर मोबाइल सेवाओं के विस्तार के लिए वित्तीय और प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई): यह ग्रामीण सड़क संपर्क के लिए व्यापक अवसर प्रदान करती है, इस प्रकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है।
  • मनरेगा:  इसे नक्सलवाद से प्रभावित 330 जिलों में लागू किया जा रहा है ताकि मजदूरी-रोजगार के लिए मांग आधारित कार्यक्रम को सार्वभौमिक बनाया जा सके।
  • स्वास्थ्य एवं शिक्षा: पीएम-जय तथा समग्र शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं का उद्देश्य भी हमारे देश के पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा प्रदान करना है।
  • कानूनों को सक्षम बनाना: पुनर्वास एवं स्थानांतरगमन नीति, 2007 तथा वन अधिकार अधिनियम, 2006 जैसे कानून का उद्देश्य भी लोगों को कानूनी सहायता प्रदान है।

भारत में नक्सलवाद: सरकार के कदम एवं सिफारिशें_4.1

नक्सलवाद यूपीएससी: सिफारिशें

  • संसद में घोषित ’14 सूत्री रणनीति’ पर आधारित एक दीर्घकालीन (10 वर्षीय) एवं अल्पकालिक (5 वर्ष) कार्य योजना, संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा राज्य विशिष्ट कार्रवाई  का अभिनिर्धारण करने हेतु तैयार की जा सकती है।
  • सुरक्षा बलों की प्रभावी  एवं दृढ़ता से कार्य करने की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है,  किंतु संवैधानिक सीमाओं के अनुरूप।
  • पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को उन उपद्रवों के मूल कारणों के प्रति संवेदनशील बनाने सहित प्रशिक्षण तथा पुनर्रचना आवश्यक है, जिन पर अंकुश लगाने का वे प्रयत्न कर रहे हैं।
  • आंध्र प्रदेश में ग्रेहाउंड की तर्ज पर प्रशिक्षित विशेष टास्क फोर्स का गठन।
  • उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में , स्थानीय रंगरूटों द्वारा पर्याप्त रूप से कार्मिकों से युक्त स्थानीय स्तर के पुलिस थानों की स्थापना एवं सुदृढ़ीकरण
  • वन अधिकार अधिनियम के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक निगरानी समितियों का गठन किया जा सकता है।
  • अवैध खनन/वन ठेकेदारों तथा ट्रांसपोर्टरों एवं चरमपंथियों के मध्य गठजोड़ जो उग्रवादी गतिविधियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, उसे तोड़ने की आवश्यकता है।

 

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