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राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम: प्रासंगिकता
- जीएस 3: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम: प्रसंग
- हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने राज्यसभा को राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में हुई प्रगति की जानकारी दी है।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम: प्रगति
वर्ष | 2014-15 | 2021-22 (सितंबर) |
प्रसार दर | 0.69 | 0.40 |
शिशु मामलों का प्रतिशत | 9.04 | 5.31 |
वार्षिक नए मामले का संसूचन की दर / 100000 | 9.73 | 4.74 |
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के प्रछत्र में एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग का उन्मूलन प्राप्त कर लिया है, अर्थात इसे प्रति 10,000 आबादी पर 1 से कम मामले के रूप में परिभाषित किया गया है।
- एनएलईपी का लक्ष्य 2030 तक प्रत्येक जिले में कुष्ठ रोग को पूर्ण रूप से समाप्त करना है।
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत मामले का शीघ्र पता लगाने के लिए; पाए गए मामलों का पूर्ण उपचार, एवं आरंभिक मामलों (कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों) के निकट संपर्क में रोग के प्रारंभ को रोकने हेतु कार्रवाई की जाती है।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रमुख पहलें
- उच्च स्थानिक जिलों में 14 दिनों के लिए कुष्ठ रोग जांच अभियान (एलसीडीसी)
- कुष्ठ रोगियों के लिए आशा आधारित निगरानी (एबीएसयूएलएस)
- मामले का पता लगाने के लिए अल्प स्थानिक जिलों में केंद्रित कुष्ठ अभियान (एफएलसी)
- समय पर मामले का शीघ्र पता लगाने एवं उपचार हेतु दुर्गम क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाएं
- पहले दो गतिविधियों, एलसीडीसी एवं एबीएसयूएलएस को अब ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में “सक्रिय मामले का पता लगाने एवं नियमित निगरानी“ (एसीडीआरएस) के रूप में एक साथ जोड़ा गया है ताकि नियमित आधार पर एवं प्रारंभिक चरण में ग्रेड II विकलांगों को रोकने के लिए कुष्ठ मामलों का पता लगाना सुनिश्चित किया जा सके।।
- 30 जनवरी को स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान
- बच्चों (0-18 वर्ष) की जांच के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत कुष्ठ जांच एवं 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जांच का अभिसरण
- निकुष्ठ – एक सद्य अनुक्रिया (वास्तविक समय) कुष्ठ रिपोर्टिंग सॉफ्टवेयर संपूर्ण भारत में लागू किया गया
- संयुक्त अनुश्रवण एवं जांच समूह (जेएमआईजी) का गठन किया गया।
- जिला स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए, कुष्ठ उन्मूलन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जिलों को प्रमाणन एवं पुरस्कार का प्रावधान। दो श्रेणियों के तहत: 1) स्वर्ण श्रेणी 2) रजत श्रेणी
- संपर्क अनुरेखण संपादित किया जाता है एवं संचार (ट्रांसमिशन) की श्रृंखला को बाधित करने के लिए रिफैम्पिसिन (एसडीआर) की एकल खुराक पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) को आरंभिक मामला के पात्र संपर्कों को दी जाती है।
- विकलांगता निवारण एवं चिकित्सा पुनर्वास (डीपीएमआर) कार्यक्रम के तहत विभिन्न सेवाएं, अर्थात प्रतिक्रिया प्रबंधन, माइक्रोसेल्यूलर रबर (एमसीआर) जूते, साधन एवं उपकरण, स्व देखभाल किट इत्यादि प्रदान की जाती हैं।
- जिला अस्पतालों/चिकित्सा महाविद्यालयों/केंद्रीय कुष्ठ संस्थानों में पुनर्निर्माण शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की जाती है एवं आरसीएस से गुजरने वाले प्रत्येक रोगी को 8000 रुपये की दर से कल्याण भत्ता प्रदान किया जाता है।