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अभिप्रेरण सिद्धांत- मास्लो की आवश्यकता सोपान अभिप्रेरणा का सिद्धांत

मास्लो की आवश्यकता सोपान अभिप्रेरण का सिद्धांत- प्रासंगिकता ईएसआईसी उप निदेशक परीक्षा

  • भर्ती परीक्षा (आरटी) का भाग-बी: लोक प्रशासन एवं विकास के मुद्दे।

अभिप्रेरण सिद्धांत- मास्लो की आवश्यकता सोपान अभिप्रेरणा का सिद्धांत_3.1

 

 

लोक प्रशासन की परिभाषा

  • लोक प्रशासन को परिभाषित करना:
    • लोक प्रशासन दो अलग-अलग शब्दों- लोक एवं प्रशासन से निर्मित हुआ है।
    • लोक: का अर्थ है सरकार जो मुख्य रूप से सरकारी क्रियाकलापों एवं कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है
    • प्रशासन: एक लैटिन शब्द “एडमिनिस्टर” से लिया गया है जिसका अर्थ है लोगों की सेवा करना, निर्देशित करना, नियंत्रण करना, ख्याल रखना या उनकी देखभाल करना। “प्रशासन” शब्द का अर्थ सार्वजनिक अथवा निजी मामलों का प्रबंधन है।
    • अतः, मात्र लोक प्रशासन को लोक मामलों के प्रबंधन के रूप में जाना जाता है।
  • लोक प्रशासन कार्रवाई में सरकार के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है। लोक प्रशासन कार्यपालिका की क्रियान्वयन शाखा है।
    • लोक प्रशासन सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी है।

 

लोक प्रशासन- अभिप्रेरण सिद्धांत

  • अभिप्रेरण मन की एक स्थिति है, जो ऊर्जा एवं उत्साह से परिपूर्ण है, जो एक व्यक्ति को वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित विधि से कार्य करने हेतु प्रेरित करती है।
  • अभिप्रेरण एक शक्ति है जो एक व्यक्ति को वर्धित प्रतिबद्धता एवं ध्यान के साथ कार्य करने हेतु प्रेरित करती है, भले ही स्थितियां उस व्यक्ति के विरुद्ध हों।
    • निरंतर अभिप्रेरण प्रायः एक निश्चित प्रकार के मानव व्यवहार में परिवर्तित हो जाती हैं।

 

 

प्रेरणा सिद्धांत- मास्लो का आवश्यकता सोपान अभिप्रेरण का सिद्धांत

  • मास्लो की आवश्यकता सिद्धांत का सोपान (पदानुक्रम) लोक प्रशासन में एक संतुष्टि-आधारित अभिप्रेरणा सिद्धांत है क्योंकि यह संगठन में लोगों को ‘क्या’ अभिप्रेरित करता है, उस पर केंद्रित है।
  • मास्लो द्वारा 1943 मेंए थ्योरी ऑफ ह्यूमन मोटिवेशन लेख प्रकाशित किया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने आवश्यक अभिप्रेरण सिद्धांत के अपने पांच सोपानों का परिचय दिया।
  • मास्लो के आवश्यकताओं के सोपान के सिद्धांत के अनुसार, जब निचले स्तर की आवश्यकता है पूर्ण हो जाती हैं तो व्यक्ति उच्च स्तर की आवश्यकता को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। एक बार निचले स्तर की आवश्यकता फोर्ड हो जाने के पश्चात, यह अभिप्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य नहीं करती है।
    • मास्लो का मानना ​​है कि आवश्यकताएं तभी प्रेरक होती हैं जब वे असंतुष्ट होती हैं।

 

मास्लो का आवश्यकता सोपान- आरोही क्रम में  आवश्यकताओं का पाँच स्तर/पदानुक्रम

  • शारीरिक आवश्यकताएं: इसमें मनुष्य की सर्वाधिक बुनियादी आवश्यकताएं सम्मिलित होती हैं जो मानव अस्तित्व हेतु अनिवार्य हैं, जैसे हवा, पानी और भोजन।
  • सुरक्षा आवश्यकताएं: सुरक्षा आवश्यकताएं तभी उत्पन्न होती हैं, जब किसी व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती हैं। इसमें व्यक्तिगत सुरक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण एवं दुर्घटनाओं से सुरक्षा इत्यादि सम्मिलित हैं।
  • सामाजिक आवश्यकताएं:/संबद्धता आवश्यकताएं: यह तृतीय स्थान पर उपस्थित  होती हैं एवं प्रथम दो आवश्यकताओं के पूर्ण हो जाने के पश्चात होती  हैं। यह  वह स्थान है जहां  व्यक्तियों को अपनेपन एवं  स्वीकृति की भावना महसूस करने की आवश्यकता होती है।
    • यह रिश्तों, परिवारों एवं मित्रता के बारे में है। संगठन व्यक्तियों की इन आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • आत्म-सम्मान/स्वाभिमान की आवश्यकताएं: आत्म-सम्मान की आवश्यकताएं पदानुक्रम में प्रथम तीन आवश्यकताओं के पूर्ण हो जाने के पश्चात प्रकट होती हैं यह वह स्थान है जहां लोग सम्मानित दिखना चाहते हैं एवं आत्म-सम्मान रखते हैं।
  • स्व- प्रत्यक्षीकरण की आवश्यकताएं:  इसकी उपस्थिति शीर्ष स्तर पर होती है। आवश्यकता का यह स्तर कुछ ऐसा करने से संबंधित है जिसे एक व्यक्ति अपने आर्थिक उत्पादन या सामाजिक अनुमोदन के बावजूद करना पसंद करता है। इस आवश्यकता की पूर्ति संबंधित व्यक्ति को वास्तविक प्रसन्नता प्रदान करती है।

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