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भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
भारत का प्रथम डार्क स्काई रिजर्व चर्चा में क्यों है?
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी/डीएसटी) ने अपनी तरह की प्रथम पहल में आगामी तीन माह में लद्दाख के हानले में भारत का प्रथम डार्क स्काई रिजर्व स्थापित करने की घोषणा की है।
डार्क स्काई रिजर्व क्या है?
- एक डार्क-स्काई रिजर्व एक ऐसा क्षेत्र है, जो आमतौर पर एक पार्क या वेधशाला के आसपास होता है जिसे कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण से मुक्त रखा जाता है।
- डार्क स्काई रिजर्व का उद्देश्य आमतौर पर खगोल विज्ञान को प्रोत्साहित करना है।
- चूंकि विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों ने अपने कार्यक्रम निर्मित करने हेतु स्वतंत्र रूप से कार्य किया है, पता क्षेत्रों का वर्णन करने हेतु पृथक पृथक शब्दावलियोंओं का उपयोग किया गया है।
इसे किस प्रकार नामित किया गया है?
- एक डार्क स्काई रिजर्व एक स्थान को दिया गया एक पदनाम है जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए नीतियां होती हैं कि भूमि या क्षेत्र के एक पथ में न्यूनतम कृत्रिम प्रकाश अंतःक्षेप हो।
- इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन अमेरिका-आधारित एक गैर-लाभकारी संगठन है जो साइटों को अंतरराष्ट्रीय डार्क स्काई स्थानों, उद्यानों, अभ्यारण्यों तथा जैव अभ्यारण्य के रूप में नामित करता है, जो उनके द्वारा पूरे किए जाने वाले मानदंडों पर निर्भर करता है।
- ऐसे अनेक रिजर्व संपूर्ण विश्व में मौजूद हैं किंतु भारत में अभी तक ऐसा कोई रिजर्व नहीं है।
हेनले में डार्क स्काई रिजर्व
- हेनले, जो समुद्र तल से लगभग 4,500 मीटर ऊपर है, दूरबीनों को आयोजित करता है एवं इसे खगोलीय अवलोकन के लिए विश्व के सर्वाधिक इष्टतम स्थलों में से एक माना जाता है।
- हालांकि, यह सुनिश्चित करना कि स्थल खगोल विज्ञान के लिए भली प्रकार से उपयुक्त बनी हुई है, का अर्थ है रात्रि काल के आकाश को मौलिक बनाए रखना अथवा कृत्रिम प्रकाश स्रोतों जैसे कि बिजली की रोशनी एवं भूमि पर से वाहनों की रोशनी से दूरबीनों में न्यूनतम अंतःक्षेप सुनिश्चित करना।
- स्थल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अंतक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन तथा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करने हेतु गतिविधियां होंगी।
भारत में स्थितियां
- भारतीय खगोलीय वेधशाला, आईआईए का उच्च तुंगता वाला स्टेशन, पश्चिमी हिमालय के उत्तर में समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है।
- चांगथांग की हनले घाटी में नीलमखुल मैदान में सरस्वती पर्वत के ऊपर स्थित, यह विरल मानव आबादी वाला एक शुष्क, ठंडा मरुस्थल है।
- मेघ रहित आकाश एवं निम्न वायुमंडलीय जल वाष्प इसे प्रकाशीय (ऑप्टिकल), अवरक्त किरण (इन्फ्रारेड), सब-मिलीमीटर एवं मिलीमीटर तरंगदैर्ध्यों (वेवलेंथ) के लिए विश्व के सर्वाधिक उत्तम स्थलों में से एक बनाते हैं।



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