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मानव-पशु संघर्ष- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
मानव-पशु संघर्ष चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने हाल ही में मानव-पशु संघर्ष तथा इन संघर्षों में मारे गए विभिन्न बाघों, हाथियों एवं लोगों के बारे में जानकारी दी।
- मंत्री ने यह भी बताया कि वन्यजीवों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए किए गए ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप देश में अनेक वन्यजीव प्रजातियों जैसे बाघ, हाथी, एशियाई सिंह, गैंडा इत्यादि की आबादी में वृद्धि हुई है।
मानव-पशु संघर्ष- प्रमुख निष्कर्ष
- हाथियों की मृत्यु: 2018-19 एवं 2020-21 के मध्य, संपूर्ण देश में 222 हाथियों की मृत्यु विद्युत स्पर्शाघात से, 45 ट्रेनों से, 29 शिकारियों के द्वारा एवं 11 को विष देने के कारण हुई थी।
- विद्युत स्पर्शाघात से 222 हाथियों की हुई मृत्यु में से, ओडिशा में 41, तमिलनाडु में 34 एवं असम में 33 मौतें हुईं।
- ओडिशा (45 में से 12) में भी ट्रेनों के कारण सर्वाधिक हाथियों की मृत्यु हुई, तत्पश्चात पश्चिम बंगाल (11) एवं असम (9) हैं।
- अवैध शिकार से होने वाली मौतें मेघालय में सर्वाधिक (29 में से 12) थीं, जबकि विष से होने वाली मौतें असम में सर्वाधिक (11 में से 9, अकेले 2018-19 में 8 सहित) थीं।
- बाघों की मौत: बाघों में भी, 2019 एवं 2021 के मध्य अवैध शिकार के कारण 29 बाघों की मृत्यु हुई, जबकि 197 बाघों की मौत जांच के दायरे में है।
- मानव गतिविधि के कारण हुई बाघों की मौत के लिए, लोकसभा द्वारा दिए गए उत्तर ने राज्य-वार विवरण प्रदान नहीं किया।
- हाथियों द्वारा हताहत हुए मानव: जानवरों के साथ संघर्ष के मानव हताहतों में, हाथियों ने तीन वर्षों में 1,579 मनुष्यों– 2019-20 में 585, 2020-21 में 461 एवं 2021-22 में 533 मनुष्यों को मार डाला।
- इन मौतों में सर्वाधिक 322 ओडिशा में हुई, इसके बाद झारखंड में 291 (अकेले 2021-22 में 133 सहित), पश्चिम बंगाल में 240, असम में 229, छत्तीसगढ़ में 183 एवं तमिलनाडु में 152 मौतें हुईं।
- बाघों द्वारा मानव हताहत: 2019 एवं 2021 के मध्य बाघों ने अभ्यारण्य में 125 मनुष्यों को मार डाला। महाराष्ट्र में इनमें से लगभग आधी, 61 मौतें हुईं।
मानव-पशु संघर्ष के कारण
मानव-वन्यजीव संघर्षों के आकलन से संकेत प्राप्त होता है कि मानव वन्यजीव संघर्ष के मुख्य कारणों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
- पर्यावास की हानि,
- वन्य पशुओं की आबादी में वृद्धि,
- फसल के प्रतिरूप में परिवर्तन जो वन्यजीवों को खेत की ओर आकर्षित करते हैं,
- वन क्षेत्र से वन्य जीवों का भोजन तथा चारे के लिए मानव बहुल भू-भागों में आवागमन,
- वन उपज के अवैध संग्रह के लिए मनुष्यों का वनों की ओर आवागमन,
- आक्रामक विदेशी प्रजातियों इत्यादि की वृद्धि के कारण पर्यावास की हानि।




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