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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) – यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- सरकार की कार्यपालिका एवं न्यायपालिका, मंत्रालयों एवं विभागों की संरचना, संगठन एवं कार्यकरण।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)- संदर्भ
- भारत के राष्ट्रपति ने केंद्रीय जांच ब्यूरो एवं प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों की सेवाओं के विस्तार को उनके 5 वर्ष का कुल कार्यकाल पूर्ण करने तक अधिकृत करते हुए एक अध्यादेश पारित किया।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निदेशक के पद के संबंध में संशोधित किया गया था।
- केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का वर्तमान में निश्चित कार्यकाल दो वर्ष का होता है, किंतु अब उन्हें तीन वार्षिक विस्तार प्रदान किए जा सकते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)- प्रमुख बिंदु
- प्रवर्तन निदेशालय के बारे में: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निम्नलिखित दो कानूनों- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) एवं धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) को क्रियान्वित करने हेतु एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है।
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय: ईडी मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के भी पूरे देश में अनेक क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
- प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक करते हैं, जो एक आईआरएस अधिकारी (भारतीय राजस्व सेवा) होते हैं।
- मूल मंत्रालय: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्य करता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)- प्रमुख कार्य
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निम्नलिखित दो कानूनों को प्रवर्तित करने हेतु उत्तरदायी है-
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) – एक नागरिक कानून, जिसमें अधिकारी निम्नलिखित हेतु अधिकार प्राप्त हैं –
- विदेशी मुद्रा कानूनों एवं विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की जांच करना,
- न्यायनिर्णयन, उल्लंघन एवं कानून का उल्लंघन करने वालों पर दंडआरोपित करना।
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) – एक आपराधिक कानून, जिसमें अधिकारी निम्नलिखित हेतु अधिकार प्राप्त हैं –
- अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने के लिए जांच करना,
- इसे अनंतिम रूप से संलग्न/जब्त करना, एवं
- धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में शामिल पाए गए अपराधियों को गिरफ्तार करना एवं उन पर अभियोग चलाना।
- अन्य महत्वपूर्ण कार्य:
- भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भगोड़े/भगोड़ों के मामलों पर कार्रवाई करना। इस अधिनियम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारत में विधि की प्रक्रिया से बचने पर रोक लगाने हेतु आवश्यक कदम उठाने का प्रावधान करना एवं
- भारत में विधि के शासन की पवित्रता की रक्षा करना।
- फेमा के उल्लंघनों के संबंध में विदेशी मुद्रा संरक्षण एवं तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (कोफेपोसा) के तहत निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करना।
- पीएमएलए के प्रावधानों के तहत धन शोधन एवं परिसंपत्ति के प्रत्यावर्तन से संबंधित मामलों में विदेशों को सहयोग प्रदान करना एवं ऐसे मामलों में सहयोग प्राप्त करना।
- भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भगोड़े/भगोड़ों के मामलों पर कार्रवाई करना। इस अधिनियम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) – एक नागरिक कानून, जिसमें अधिकारी निम्नलिखित हेतु अधिकार प्राप्त हैं –