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यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स, 17 दिसंबर 2022: यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा विशिष्ट दैनिक समसामयिकी के न्यूनतम निवेश के साथ अद्यतन करने के सिद्धांत पर आधारित हैं। हमारे यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स को पढ़ने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं।
ई 20 ईंधन
E20 ईंधन चर्चा में क्यों है?
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की कि भारत 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित ईंधन को प्रारंभ करने के लिए तैयार है एवं यह अगले महीने से चुनिंदा आउटलेट्स पर उपलब्ध होगा।
E20 ईंधन क्या है?
- E20 ईंधन 20 प्रतिशत इथेनॉल एवं 80 प्रतिशत पेट्रोल का सम्मिश्रण है।
- इथेनॉल-संमिश्रित ईंधन पहले से ही संपूर्ण भारत में सामान्य रूप से उपलब्ध है, किंतु सरकार उत्पादन लागत एवं कच्चे तेल के लिए अन्य देशों पर निर्भरता को कुछ हद तक कम करने के लिए ईंधन में इथेनॉल की मात्रा को वर्तमान 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना चाहती है।
- इसके अतिरिक्त वह फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को भी प्रमोट करना चाहती है।
- इसे (20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण) इंजन में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी।
बास्केट में क्या है?
- सरकार ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ प्रदूषण को कम करने के दोहरे उद्देश्य के साथ पराली (पानीपत) एवं बांस (नुमालीगढ़) से इथेनॉल बनाने के लिए 2जी (दूसरी पीढ़ी) तेल शोधनशाला (रिफाइनरी) भी विकसित कर रही है।
- अगला लक्ष्य एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (एथेनॉल सप्लाई ईयर/ESY) 2025-2026 तक ई-20 (गैसोलीन में 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण) है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के अतिरिक्त इथेनॉल अपनाने से देश को अपनी आयात निर्भरता कम करने में सहायता प्राप्त होगी तथा इस प्रकार कीमती विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इक्की जठरे महोत्सव
इक्की जठरे महोत्सव चर्चा में क्यों है?
- ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन देश में कृषि के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न कर रहा है, केरल स्थित एक संगठन थानाल ने वायनाड जिले के पनावली में अपने कृषि विज्ञान केंद्र में 1.5 एकड़ भूमि पर पारंपरिक चावल की 300 जलवायु- लोचशील किस्मों को लगाकर एक विशिष्ट संरक्षण प्रयोग प्रारंभ किया है। ।
इक्की जठरे क्या है?
- 12 दिसंबर को, थानाल ने जनता को इक्की जठरे अथवा आदिवासी बोलचाल में चावल का त्योहार आरंभ करके अपनी पहल का अनुभव करने का अवसर दिया।
- उत्सव में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान, शोधकर्ता, पर्यावरणविद एवं छात्र पनावली पहुंच रहे हैं।
- इस पहल का उद्देश्य लोगों को उन पारंपरिक फसलों के संरक्षण के महत्व के प्रति संवेदनशील बनाना है जो कठोर जलवायु परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता रखते हैं।
संकर चावल बनाम पारंपरिक चावल
- संकर (हाइब्रिड) चावल की किस्मों के लोकप्रिय होने के पश्चात अनेक किसानों ने पारंपरिक चावल के बीजों की खेती बंद कर दी थी, इस गलत धारणा के तहत कि पारंपरिक चावल की उत्पादकता कम होती है। किंतु ये सच नहीं है।
- थोंडी किस्म, कुछ दशक पूर्व वायनाड में लोगों के मध्य एक पारंपरिक एवं लोकप्रिय चावल था, उत्पादकता के मामले में किसी भी संकर चावल के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता था।
- इसके अतिरिक्त, पारंपरिक चावल की खेती की लागत इसकी कीटों एवं रोगों के प्रति अन्तर्निहित प्रतिरोध के कारण बहुत कम है।
- साथ ही, इसका पोषण मूल्य अधिक है, हालांकि अभी अध्ययन किया जाना शेष है।
क्या आप जानते हैं?
भारत में चावल की लगभग 1.5 लाख किस्में थीं, जिनमें से लगभग 3,000 किस्में केरल के लिए विशिष्ट थीं। इनमें से अनेक विलुप्त हो गए हैं। वर्तमान में देश में किसानों द्वारा केवल 6,000 किस्मों की खेती की जा रही है।
रक्तसे कार्पो खुबानी
रक्तसे कार्पो खुबानी (Raktsey Karpo apricot) चर्चा में क्यों है?
- सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के नौ नए उत्पादों को भौगोलिक संकेत (ज्योग्राफिकल इंडिकेशंस/जीआई) टैग प्रदान किया है, जिसमें लद्दाख की प्रसिद्ध ‘रक्तसे कारपो खुबानी‘ किस्म भी शामिल है।
- इसके साथ ही देश में कुल भौगोलिक संकेतकों (जीआई) की संख्या 432 हो गई है।
रक्तसे कार्पो खुबानी के बारे में जानें?
- अपनी शुद्ध जैविक मिठास के लिए जाने जाने वाले रक्तसे कार्पो खुबानी लद्दाख एवं संपूर्ण देश में प्रसिद्ध हैं।
- डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) के अनुसार, रक्तसे कार्पो का कुल घुलनशील ठोस (टोटल सॉल्युबल सॉलिड्स/टीएसएस) 37.9ºBrix है, जो आज तक की ताजा खुबानी में विश्व में सर्वाधिक दर्ज किया गया है।
- टीएसएस मिठास की गणना करने की विधियों में से एक है, जो विभिन्न प्रकार के फलों में आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला गुणवत्ता सूचकांक है।
भौगोलिक संकेतक (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन/जीआई) क्या है?
- एक भौगोलिक संकेतक (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन/जीआई) मुख्य रूप से एक कृषि, प्राकृतिक अथवा निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प एवं औद्योगिक सामान) है जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पादित होता है।
- आमतौर पर, ऐसा नाम गुणवत्ता एवं विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो अनिवार्य रूप से इसके मूल स्थान के कारण होता है।
- जीआई उत्पादों के पंजीकरण के लिए एक उचित प्रक्रिया है, जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जांच तथा परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेतक पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध एवं पंजीकरण शामिल है।



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