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यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी-16 दिसंबर 2022

Table of Contents

 

यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी 16 दिसंबर 

यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी: यूपीएससी लेख के लिए दैनिक समसामयिकी में दिन के महत्वपूर्ण लेख शामिल हैं जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसे यूपीएससी, राज्य पीसीएस, एसएससी एवं विभिन्न बैंक परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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5-जी वन सुधार

5-जी वन सुधार चर्चा में क्यों है?

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विकास एवं आजीविका के लिए वनों को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न सुधार/पहलें की हैं।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

5-जी वन सुधार

काष्ठ आधारित उद्योग (स्थापना एवं विनियमन) दिशानिर्देश, 2016

  • मंत्रालय ने देश में इस क्षेत्र के विकास के लिए काष्ठ आधारित उद्योगों से संबंधित नियामक प्रक्रियाओं को विकेंद्रीकृत करने के लिए काष्ठ आधारित उद्योग (स्थापना एवं विनियमन) दिशानिर्देश, 2016 एवं संशोधन दिनांक 11 सितंबर 2017 जारी किए हैं।

भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन

  • गैर-वन क्षेत्रों में बांस की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु एवं किसानों की आय में वृद्धि करने तथा वन क्षेत्र के बाहर हरित आवरण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, मंत्रालय ने भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन किया है ताकि गैर-वन क्षेत्र में उगाए जाने वाले बांस को वृक्ष की परिभाषा से छूट दी जा सके एवं इस तरह इसके परिवहन एवं आर्थिक उपयोग के लिए कटाई/पारगमन परमिट की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।

राष्ट्रीय पारगमन मार्ग प्रणाली/ नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम

  • इमारती लकड़ी, बांस एवं अन्य लघु वन उत्पादों के निर्बाध आवागमन हेतु मंत्रालय ने ऑनलाइन ट्रांजिट परमिट जारी करने के लिए प्रायोगिक आधार पर नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम भी प्रारंभ किया है।
  • यह प्रणाली निजी भूमि/सरकारी/निजी डिपो से लकड़ी एवं बांस तथा अन्य लघु वनोपज के अंतर-राज्यीय तथा अंतरा-राज्यीय परिवहन के लिए लकड़ी की आवाजाही एवं पारगमन परमिट जारी करने की निगरानी  एवं रिकॉर्ड रखने में सहायता करेगी।

परिवेश पोर्टल

  • मंत्रालय ने वेब आधारित भौगोलिक सूचना प्रणाली (ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम्स/जीआईएस) एप्लीकेशन परिवेश पोर्टल (प्रो-एक्टिव एंड रेस्पॉन्सिव फैसिलिटेशन बाई इंटरएक्टिव वर्चुअस एंड एनवायरनमेंटल सिंगल-विंडो हब ) विकसित किया है।
  • परिवेश पोर्टल केंद्र सरकार से पर्यावरण, वन, वन्य जीव एवं तटीय विनियमन क्षेत्र की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रस्तावकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति एवं निगरानी के लिए एकल-खिड़की एकीकृत वन एवं पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली है।
  • यह एक जीआईएस आधारित प्रणाली एवं विश्लेषण मंच है जो निर्णय समर्थन प्रणाली की कार्यक्षमता का उपयोग करके विभिन्न हितधारकों को सूचनाएं प्रदान करता है।

ई-ग्रीन वॉच पोर्टल

  • इसके अतिरिक्त, मंत्रालय का ई-ग्रीन वॉच पोर्टल एक उन्नत प्रौद्योगिकी आधारित प्लेटफॉर्म है जिसे कैम्पा  निधि के तहत किए गए वृक्षारोपण एवं अन्य वानिकी कार्यों से संबंधित प्रक्रियाओं के स्वचालन, सुव्यवस्थित एवं प्रभावी प्रबंधन की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया/एफएसआई) स्थान, क्षेत्र एवं वृक्षारोपण के वर्ष की सटीकता के लिए ई-ग्रीन वॉच पोर्टल पर राज्य वन विभागों द्वारा अपलोड किए गए विभिन्न वृक्षारोपण के भू-स्थानिक डेटा (बहुभुज) का विश्लेषण करता है।

वन अग्नि जियो-पोर्टल

  • भारतीय वन सर्वेक्षण ने वास्तविक समय सदृश के आधार पर वनों के व्यापक आग की निरंतर निगरानी एवं ट्रैकिंग के लिए वन अग्नि से संबंधित डेटा के उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरैक्टिव दृश्यता प्रदान करने के लिए वन अग्नि जियो-पोर्टल भी विकसित किया है।
  • वन अग्नि जियो-पोर्टल भारत में वनों की आग से संबंधित जानकारी के लिए एकल बिंदु स्रोत के रूप में कार्य करता है।

 

नवीन युग के संग्रहालय

नवीन युग के संग्रहालय

  • हाल ही में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय  नवीन युग के संग्रहालय की स्थापना के लिए संग्रहालय अनुदान योजना (म्यूजियम ग्रांट स्कीम/एमजीएस) एवं विज्ञान की संस्कृति को प्रोत्साहित करने की योजना संचालित करता है।

नवीन युग के संग्रहालयों के विकास के लिए विभिन्न पहलें

  • महत्वपूर्ण योजना: संस्कृति मंत्रालय दो योजनाओं का संचालन करता है-
    • संग्रहालयों की स्थापना के लिए, संग्रहालय अनुदान योजना (एमजीएस) एवं
    • विज्ञान शहरों/विज्ञान केंद्रों/नवाचार केंद्रों की स्थापना के लिए विज्ञान की संस्कृति को प्रोत्साहित करने की योजना (एसपीओसीएस)।
  • प्रमुख उद्देश्य: इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य सरकारों, सोसायटी, स्वायत्त निकायों, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत न्यासों (ट्रस्टों) को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • निधियों का उपयोग संग्रहालयों एवं विज्ञान शहरों/विज्ञान केंद्रों/नवाचार केंद्रों में स्थापना/विकास एवं विविध प्रदर्शनियों, दीर्घाओं तथा आगंतुकों की सुविधाओं, डिजिटलीकरण इत्यादि के लिए एक अनुकूल स्थानिक  व्यवस्था निर्मित करने हेतु किया जाना है।

संग्रहालय निर्मित करने हेतु अन्य पहलें

  • पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय भवन: यह गुजरात के वडनगर में 212.1 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से स्थापित किया जा रहा है।
    • यह संग्रहालय वडनगर के विशिष्ट इतिहास को प्रदर्शित करने एवं जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है, जिसकी नींव तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले रखी गई हैं एवं यह 2500 से अधिक वर्षों से मानव निवास की एक निर्बाध निरंतरता को प्रदर्शित करता है।
    • इस परियोजना में प्राचीन इतिहास को पुनर्निर्मित करने एवं वडनगर के प्राचीन ज्ञान की संपत्ति को प्रदर्शित करने के लिए पुनर्प्राप्त पुरातन सामग्री के साथ-साथ श्रव्य-दृश्य दीर्घा (ऑडियो-विजुअल गैलरी) दिखाने के लिए एक अत्याधुनिक पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय की परिकल्पना की गई है।
  • प्रधानमंत्री संग्रहालय: हमारे देश के सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन एवं विरासत को प्रदर्शित करने वाले एक संग्रहालय का उद्घाटन 14 अप्रैल, 2022 को किया गया है।
    • यह भारत के प्रधानमंत्रियों के जीवन एवं कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए आभासी वास्तविकता, संवर्धित वास्तविकता  तथा त्रिविमीय (होलोग्राफिक) अनुमानों का उपयोग करते हुए एक कला संग्रहालय है।

 

इसरो द्वारा प्रक्षेपित किए गए विदेशी उपग्रह 

इसरो द्वारा प्रक्षेपित किए गए विदेशी उपग्रह चर्चा में क्यों है

  • केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने बताया कि इसरो ने अपने वाणिज्यिक इकाइयों के माध्यम से विगत पांच वर्षों के दौरान 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।

इसरो द्वारा प्रक्षेपित किए गए विदेशी उपग्रह 

  • ग्राहक देश: जनवरी 2018 से नवंबर 2022 तक, इसरो ने वाणिज्यिक समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, फ्रांस, इजरायल, इटली, जापान, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, मलेशिया, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम एवं यूएसए जैसे देशों से संबंधित 177 विदेशी उपग्रहों को पीएसएलवी तथा जीएसएलवी-एमके III प्रक्षेपण यान के माध्यम से  सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है।
  • राजस्व उत्पन्न: जनवरी 2018 से नवंबर 2022 तक इन 177 विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के माध्यम से उत्पन्न विदेशी मुद्रा लगभग 94 मिलियन अमरीकी डालर एवं 46 मिलियन यूरो है।

इन-स्पेस (IN-SPACe) 

  • इन-स्पेस (IN-SPACe) एंड-टू-एंड अंतरिक्ष गतिविधियों के संचालन में गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रचार एवं सहायता के लिए एकल- बिंदु अभिकरण है।
  • इन-स्पेस (IN-SPACe) ने आज की तारीख में IN-SPACe डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 111 अंतरिक्ष-स्टार्टअप पंजीकृत होने के साथ, स्टार्ट-अप समुदाय में उल्लेखनीय रुचि प्रदर्शित की है।

 

जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसकेसीसी)

 

नेशनल मिशन ऑन स्ट्रैटेजिक नॉलेज फॉर क्लाइमेट चेंज (NMSKCC) चर्चा में क्यों है

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन ऑन स्ट्रैटेजिक नॉलेज फॉर क्लाइमेट चेंज/एनएमएसकेसीसी) के बारे में जानकारी दी।

जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (NMSKCC)

  • जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (NMSKCC) के बारे में: जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना ( नेशनल एक्शन प्लान फॉर क्लाइमेट चेंज/NAPCC) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा कार्यान्वित जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (NMSKCC), जलवायु विज्ञान से संबंधित अनुसंधान, ज्ञान सृजन तथा क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
  • अधिदेश: जलवायु परिवर्तन मिशन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन को देश की प्रतिबद्धताओं के साथ अपने उद्देश्यों एवं प्राथमिकताओं को संरेखित करने हेतु संशोधित किया गया है।
  • जलवायु परिवर्तन विज्ञान एवं अनुकूलन में केंद्रित अनुसंधान तथा विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट/आर एंड डी) कार्यक्रम हैं जो निम्नलिखित के माध्यम से संपादित किए जाते हैं-
    • उत्कृष्टता के बारह केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस/सीओई),
    • तेईस प्रमुख अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम;
    • सात नेटवर्क कार्यक्रम एवं
    • सात क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
  • बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, पुडुचेरी, तमिलनाडु एवं तेलंगाना में जलवायु परिवर्तन पर राज्य की कार्य योजनाओं को जोड़ने वाली गतिविधियों के लिए  कार्रवाई की एनएमकेसीसी प्राथमिकताओं के साथ तेरह जलवायु परिवर्तन केंद्र/प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं।

भारत का अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन/एनडीसी)

  • पृष्ठभूमि: ग्लासगो शिखर सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी के सीओपी 26) में, भारतीय प्रधानमंत्री ने “पंचामृत” नामक पांच लक्ष्यों के माध्यम से भारत की जलवायु कार्रवाई को और गहन करने करने की घोषणा की थी।
    • भारत के मौजूदा एनडीसी के लिए यह अद्यतन सीओपी 26 में घोषित ‘पंचामृत’ को उन्नत जलवायु लक्ष्यों में परिवर्तित करता है।
  • अद्यतन एनडीसी (पंचामृत): जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु, भारत निम्नलिखित का लक्ष्य रखता है-
    • 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना,
    • 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करना,
    • कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन कम करना,
    • 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन गहनता को 45% से कम करना एवं
    • 2070 तक निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना।
  • कार्यान्वयन: भारत का अद्यतन एनडीसी 2021-2030 की अवधि में प्रासंगिक मंत्रालयों/विभागों के कार्यक्रमों एवं योजनाओं के माध्यम से तथा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के उचित समर्थन के साथ क्रियान्वित किया जाएगा।
  • महत्व: अद्यतन एनडीसी जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करने की उपलब्धि की दिशा में भारत के अंशदान को बढ़ाने का प्रयास करता है, जैसा कि पेरिस समझौते के तहत सहमति हुई है।
    • इस तरह की कार्रवाई से भारत को निम्न उत्सर्जन वृद्धि के मार्ग खोलने में भी सहायता प्राप्त होगी।
    • यह देश के हितों की रक्षा करेगा एवं यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों तथा प्रावधानों के आधार पर इसकी भविष्य की विकास आवश्यकताओं की रक्षा करेगा।
    • अद्यतन एनडीसी 2021-2030 की अवधि के लिए स्वच्छ ऊर्जा हेतु भारत के संक्रमण के ढांचे का भी प्रतिनिधित्व करता है।

 

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