कॉप 26 ग्लासगो में भारत की प्रतिबद्धताएं- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
कॉप 26 ग्लासगो में भारत की प्रतिबद्धताएं- संदर्भ
- भारत के प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के ग्लासगो में यूएनएफसीसीसी शिखर सम्मेलन के सीओपी 26 को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष में भारत की प्रतिबद्धताओं पर प्रकाश डाला।
- अब तक, भारत एकमात्र प्रमुख उत्सर्जक था जिसने निवल शून्य प्राप्त करने के लिए एक समय सीमा हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त नहीं की थी, या एक वर्ष जिसके द्वारा यह सुनिश्चित करती कि इसका शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन शून्य होगा।
एक जलवायु लाभांश- यूएनएफसीसीसी के कॉप 26 में भारत
कॉप 26 ग्लासगो में भारत की प्रतिबद्धताएं- संबंधित चुनौतियां
- विकसित देशों द्वारा वित्तीय सहायता की कमी: वे जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपने संघर्ष में विकासशील देशों को प्रत्येक वर्ष 100 बिलियन डॉलर प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहे हैं।
- अनुकूलन पर कम ध्यान: जलवायु अनुकूलन पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना कि शमन पर एवं यह विकासशील देशों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।
- विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक पीड़ित हैं एवं जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर ध्यान न देने के कारण उनकी जनता सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।
- जलवायु परिवर्तन के कारण निरंतर आने वाली बाढ़ के साथ-साथ फसल प्रतिरूप में भी बदलाव आया है।
- इसका मुकाबला करने के लिए, हमें कृषि को इन आघातों के प्रति प्रतिरोधक क्षमतापूर्ण बनाने की आवश्यकता है।
कॉप 26 ग्लासगो में भारत की प्रतिबद्धताएं- भारत द्वारा की गई प्रमुख प्रतिबद्धताएं
- 2030 तक भारत का लक्ष्य:
- भारत यह सुनिश्चित करेगा कि उसकी 50% ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त की जाएगी।
- भारत 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।
- भारत जीडीपी की प्रति इकाई उत्सर्जन तीव्रता को भी 45% से कम करेगा।
- भारत 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा भी अधिष्ठापित करेगा, जो इसके वर्तमान लक्ष्यों से 50 गीगावाट की वृद्धि है।
- 2070 तक भारत का लक्ष्य: भारत 2070 तक निवल शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य रखेगा।
- यह कॉप हेतु भारत के रन-अप के विपरीत है जहां उसने विकसित देशों द्वारा निवल शून्य लक्ष्यों को स्वीकार करने की मांगों का कड़ा विरोध किया था।
- भारत पर प्रभाव: निवल शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए एक तीव्र परिवर्तन की आवश्यकता है, जिस पर अनेक विशेषज्ञों ने मत प्रकट किया है की, इससे भारत पर भारी लागत अधिरोपित होगी।
कॉप 26 ग्लासगो में भारत की प्रतिबद्धताएं- भारत की मांगें
- जलवायु वित्त पर: भारत ने मांग की कि विकासशील देशों एवं सर्वाधिक संवेदनशील देशों की सहायता के लिए समृद्ध विकसित देशों को जलवायु वित्त में कम से कम 1 ट्रिलियन डॉलर प्रदान करना चाहिए।
- इससे विकसित देशों में जलवायु न्याय की भावना सुनिश्चित होनी चाहिए।
- साम्यता के सिद्धांत एवं सामान्य किंतु अलग-अलग उत्तरदायित्व एवं संबंधित क्षमताएं (सीबीडीआर-आरसी) तथा देशों की अत्यंत भिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों की मान्यता का सम्मान किया जाना चाहिए।
- जीवन के सतत तरीके को अपनाएं: कुछ पारंपरिक समुदायों में प्रचलित जीवन जीने के सतत तरीकों को विद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
- जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन एवं उज्ज्वला मिशन जैसे कार्यक्रमों में अनुकूलन के लिए भारत के प्रयासों से प्राप्त सबक को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए।