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महाद्वीपीय अपवाह सिद्धांत (कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट थ्योरी)
महाद्वीपीय अपवाह सिद्धांत (कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट थ्योरी) को अल्फ्रेड वेगनर द्वारा 1912 में प्रस्तावित किया गया था, जब उन्होंने ध्रुवीय क्षेत्र के पास कोयला (उष्ण क्षेत्र की संपत्ति) एवं भूमध्य रेखीय क्षेत्र में हिमनद के साक्ष्य प्राप्त किए।
लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व, पृथ्वी में सात महाद्वीप नहीं थे, बल्कि पैंजिया नामक एक विशाल महा महाद्वीप था, जो पैंथालासा नामक एक ही महासागर से घिरा हुआ था।
लगभग 200 मिलियन वर्ष पूर्व कार्बोनिफेरस युग में, पैंजिया विभाजित होना प्रारंभ हुआ एवं लॉरेसिया तथा गोंडवानालैंड को जन्म दिया जो आगे चलकर उन महाद्वीपों में टूट गए जिन्हें वर्तमान दुनिया ने देखा है।
- पैंजिया के टूटने से टेथिस सागर का निर्माण हुआ (वर्तमान में भूमध्य सागर एवं हिमालय के कुछ हिस्से हिमालय में समुद्री जीवाश्म के रूप में पाए गए हैं एवं साथ ही इसमें पेट्रोलियम के प्रचुर भंडार हैं।)

सिद्धांत का समर्थन करने के लिए साक्ष्य
- महाद्वीपों के समुद्र तट के साथ जिगसॉ फिट

- विश्व के विभिन्न हिस्सों में जीवाश्म विश्लेषण। उदाहरण- ग्लोसोप्टेरिस फ्लोरा ब्राजील, अफ्रीका, प्रायद्वीपीय भारत, ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।
- समुद्र तट के साथ उपलब्ध चट्टानों के विश्लेषण से पता चलता है कि एक ही आयु एवं प्रकृति की चट्टानें अटलांटिक में पाई जाती हैं।

- किसी क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय भूमि में हिमनद साक्ष्य। उदाहरण- छोटा नागपुर पठार।

- एप्लेशियन जैसे पर्वत आयरलैंड एवं स्कैनडिवियन देशों में समान हैं।

सिद्धांत की सीमाएं
- वेगनर यह समझाने में विफल रहे कि मेसोज़ोइक युग में अपवाह क्यों प्रारंभ हुआ।
- उत्प्लावकता, ज्वारीय धाराएं एवं गुरुत्वाकर्षण जैसी शक्तियां महाद्वीपों को स्थानांतरित करने में सक्षम होने के लिए बहुत कमजोर हैं, जो वेगनर के अनुसार महाद्वीपों की गति के पीछे प्रेरक शक्तियाँ थीं।
- आधुनिक सिद्धांत (प्लेट विवर्तनिकी/प्लेट टेक्टोनिक्स) पैंजिया के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं किंतु स्पष्टीकरण वेगनर के अपवाह के विचार को खारिज करता है।
- सियाल (सिलिका-एल्यूमीनियम/SIAL) से निर्मित महाद्वीपीय भूपर्पटी (क्रस्ट) बिना किसी प्रतिरोध के सिमा (सिलिका-मैग्नीशियम/SIMA) से बने महासागरीय तल पर तैर रहा है, जो द्वीप चापों के गठन के बारे में उनके स्पष्टीकरण को संतुष्ट करने में विफल रहा है, जो घर्षण के परिणामस्वरूप महाद्वीपों के अपवाह के दौरान निर्मित हुए थे।
- बाद में प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (प्लेट टेक्टोनिक थ्योरी) ने यह प्रदर्शित किया कि सियाल एवं सिमा एक संपूर्ण भूभाग के रूप में दुर्बलता मंडल (एस्थेनोस्फीयर) के ऊपर प्रवाहित हो रहे हैं।
निष्कर्ष
हालांकि वेगनर अपवाह (ड्रिफ्ट) के लिए उत्तरदायी बलों की व्याख्या नहीं कर सके, किंतु अपवाह सिद्धांत (ड्रिफ्टिंग थ्योरी) के केंद्रीय विचार को स्वीकार कर लिया गया एवं इस केंद्रीय विचार ने प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (प्लेट टेक्टोनिक थ्योरी) के विकास में सहायता की।




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