Home   »   हिंद महासागर से चीन का प्रथम...

हिंद महासागर से चीन का प्रथम रेल मार्ग संपर्क

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

 

 

प्रसंग

  • हाल ही में चीन ने यांगून बंदरगाह (म्यांमार) के माध्यम से चेंगदू (चीन) को हिंद महासागर से जोड़ने वाली एक नई रेल लाइन आरंभ की है।

हिंद महासागर से चीन का प्रथम रेल मार्ग संपर्क_3.1

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क वीडियो प्राप्त कीजिए एवं आईएएस/ आईपीएस/ आईआरएस बनने के अपने सपने को साकार कीजिए

मुख्य बिंदु

  • यह एक महत्वपूर्ण विकास है क्योंकि यह व्यापारिक गलियारा पश्चिमी चीन को हिंद महासागर से जोड़ने वाला चीन का प्रथम मिशन है।
  • हाल ही में म्यांमार की सीमा से पश्चिमी चीन के चेंगदू के प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र तक इस नई शुरू की गई रेलवे लाइन पर प्रथम नौप्रेषण (शिपमेंट) वितरित किया गया था।

 

व्यापार गलियारे के बारे में

  • परिवहन गलियारे में एक समुद्री-सड़क-रेल संपर्क सम्मिलित है।
    • सिंगापुर से माल उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर के अंडमान सागर के माध्यम से जलपोत से यांगून बंदरगाह पहुंचा।
    • तब माल को सड़क मार्ग से युन्नान प्रांत में म्यांमार-चीन सीमा के चीनी हिस्से में लिनकांग तक पहुँचाया गया।
    • सीमावर्ती शहर लिनकांग से चेंगदू तक चलने वाली नई रेलवे लाइन इस गलियारे को पूर्ण करती है।
  • म्यांमार सीमा से चेंगदू तक रेलवे लाइन पर परिवहन में तीन दिन का समय लगता है।
  • म्यांमार के सैन्य शासन हेतु आय का एक स्रोत प्रदान करते हुए, इसके चीन एवं म्यांमार के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवनदायिनी बनने की  संभावना है।
  • यह एक-दिशीय मार्ग है एवं लगभग 20-22 दिनों की यात्रा समय की बचत करता है।
  • चीन की रखाइन प्रांत के क्युकफ्यू में एक अन्य बंदरगाह विकसित करने की भी योजना है, जिसमें युन्नान से सीधे बंदरगाह तक प्रस्तावित रेलवे लाइन भी सम्मिलित है।
    • यहां, यद्यपि, म्यांमार में अशांति के कारण वहां की प्रगति अवरुद्ध है।

वृहद माले अनुयोजकता परियोजना

ग्वादर बंदरगाह

  • पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह चीन के लिए हिंद महासागर का एक अन्य प्रमुख निर्गम द्वार है जो मलक्का जलडमरूमध्य को उपमार्ग (बाईपास) करता है।
  • ग्वादर को सुदूर पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • सुरक्षा को लेकर चिंताओं के मध्य यह भी धीमी प्रगति से ग्रस्त है।
  • म्यांमार सीमा से पश्चिमी चीन के सर्वाधिक वृहद वाणिज्यिक केंद्र चेंगदू तक रेल परिवहन मार्ग के प्रारंभ होने के साथ सीपीईसी के माध्यम से लागत एवं संभारिकी म्यांमार मार्ग की तुलना में कम अनुकूल हैं।

 

निहितार्थ

  • यह परियोजना भारत को नियंत्रित करने के लिए चीन द्वारास्ट्रिंग ऑफ पर्ल्सनीति को प्रोत्साहन देती है।
  • इसके अतिरिक्त, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति को भारतीय समकक्षों के लिए दक्षिण चीन सागर से दूर रहने एवं क्वाड के भविष्य के बारे में सतर्क रहने का संदेश माना जाता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: सामुद्रिक सुरक्षा वर्धन

 

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *