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दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट 2022 कितनी खतरनाक है?
दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट 2022?: विश्व बैंक ने हाल ही में दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर एक व्यापक रिपोर्ट 2022 जारी की है। रिपोर्ट का शीर्षक एवं लिंक स्ट्राइविंग फॉर क्लीन एयर: एयर पॉल्यूशन एंड पब्लिक हेल्थ इन साउथ एशिया है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट 2022 कहती है कि वायु प्रदूषण के निरंतर खतरनाक स्तर दक्षिण एशिया में एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का कारण बने हैं जो त्वरित कार्रवाई की मांग करता है।
- दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट 2022 कहती है कि इस क्षेत्र के कुछ सर्वाधिक सघन आबादी वाले एवं निर्धन क्षेत्रों में कालिख एवं छोटे धूलकण (पीएम 2.5) जैसे महीन कणों का संकेंद्रण, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों की तुलना में 20 गुना अधिक है(5 μg/mᶾ)।
- दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट 2022 कहती है कि दक्षिण एशिया, विश्व के 10 शहरों में से 9 सर्वाधिक बदतर वायु प्रदूषण का घर है, जो प्रत्येक वर्ष संपूर्ण क्षेत्र में अनुमानित 2 मिलियन असमय होने वाली मौतों का कारण बनता है एवं महत्वपूर्ण आर्थिक लागतों को वहन करता है।
- इस तरह के अत्यधिक वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों में वृद्धिरोध (स्टंटिंग) एवं अल्प संज्ञानात्मक विकास से लेकर श्वसन संक्रमण तथा चिर स्थायी एवं दुर्बल करने वाले रोगों तक के प्रभाव पड़ते हैं।
- यह स्वास्थ्य देखभाल की लागत को बढ़ाता है, देश की उत्पादक क्षमता को कम करता है एवं कार्य दिवसों की हानि होती है।
दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत कौन से हैं?
- बड़े उद्योग, ऊर्जा संयंत्र एवं वाहन संपूर्ण विश्व में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं, किंतु दक्षिण एशिया में, अन्य स्रोत पर्याप्त अतिरिक्त योगदान देते हैं। इनमें खाना पकाने एवं गर्म करने के लिए ठोस ईंधन का दहन, ईंट भट्टों जैसे छोटे उद्योगों से उत्सर्जन, नगरपालिका एवं कृषि अपशिष्ट को जलाना तथा दाह संस्कार सम्मिलित हैं।
- वायु प्रदूषण अत्यधिक दूरी तक गमन करता है – नगरपालिका, राज्य एवं राष्ट्रीय सीमाओं को पार करता है – एवं बड़े “एयरशेड” में फंस जाता है जो कि जलवायु विज्ञान तथा भूगोल द्वारा आकार दिया जाता है।
दक्षिण एशिया में छह प्रमुख एयरशेड कौन से हैं? बात घुमा
- विश्व बैंक की रिपोर्ट दक्षिण एशिया में छह प्रमुख एयरशेड की पहचान करती है जहां वायु गुणवत्ता में स्थानिक अन्योन्याश्रितता अधिक है।
- प्रत्येक एयरशेड में कणिकीय पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर) विभिन्न स्रोतों एवं स्थानों से आते हैं, उदाहरण के लिए दक्षिण एशिया के प्रमुख शहरों में आधे से भी कम वायु प्रदूषण शहरों के भीतर उत्पन्न होते हैं।
- दक्षिण एशिया में छह प्रमुख एयरशेड जहां एक में वायु की गुणवत्ता ने दूसरे को प्रभावित किया:
- (1) पश्चिम / मध्य आईजीपी जिसमें पंजाब (पाकिस्तान), पंजाब (भारत), हरियाणा, राजस्थान का हिस्सा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश शामिल हैं;
- (2) मध्य/पूर्वी आईजीपी: बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बांग्लादेश;
- (3) मध्य भारत: ओडिशा/छत्तीसगढ़;
- (4) मध्य भारत: पूर्वी गुजरात/पश्चिमी महाराष्ट्र;
- (5) उत्तरी / मध्य सिंधु नदी का मैदान: पाकिस्तान, अफगानिस्तान का हिस्सा; एवं
- (6) दक्षिणी सिंधु का मैदान तथा आगे पश्चिम: दक्षिण पाकिस्तान, पश्चिमी अफगानिस्तान पूर्वी ईरान में विस्तृत है।
दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण में भारत की क्या स्थिति है?
- वर्तमान में 60% से अधिक दक्षिण एशियाई देश प्रतिवर्ष कणिकीय पदार्थ 2.5 के औसत 35 µg/m3 के प्रति अनावृत हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-गंगा के मैदान (इंडो गंगेटिक प्लेन/IGP) के कुछ हिस्सों में यह 100 µg/m3 – विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित 5 µg/m3 की ऊपरी सीमा से लगभग 20 गुना तक बढ़ गया है।
- भारत में छह बड़े एयरशेड हैं, उनमें से कुछ पाकिस्तान के साथ साझा हैं, जिनके मध्य वायु प्रदूषक गमन करते हैं।
सीमा पार वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित!
- जब पवन की दिशा मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर थी, तो भारतीय राज्य पंजाब में 30% वायु प्रदूषण पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आया एवं बांग्लादेश के सबसे बड़े शहरों (ढाका, चटगांव एवं खुलना) में औसतन 30% वायु प्रदूषण भारत में उत्पन्न हुआ। कुछ वर्षों में, सीमाओं के पार दूसरी दिशा में पर्याप्त प्रदूषण प्रवाहित हुआ।
- इसका तात्पर्य यह है कि भले ही दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 2030 तक सभी वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को पूर्ण रूप से क्रियान्वित कर दे, जबकि दक्षिण एशिया के अन्य हिस्से वर्तमान नीतियों का अनुसरण करना जारी रखते हैं, यह प्रदूषण जोखिम को 35 µg/m3 से कम नहीं रखेगा।
- हालांकि यदि दक्षिण एशिया के अन्य भागों ने भी सभी संभव उपायों को अपनाया तो यह प्रदूषण को उस संख्या से नीचे लाएगा।
- दक्षिण एशिया विशेषकर भारत-गंगा के मैदान में कई अन्य शहरों के साथ भी यही स्थिति है, ।
भारत वायु प्रदूषण से कैसे निपट रहा है?
- भारत ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (नेशनल क्लीन एयर कैंपेन/NCAP) नामक एक कार्यक्रम प्रारंभ किया जिसका उद्देश्य भारत के 131 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण को कम करना है।
- लक्ष्य आरंभ में 2017 के स्तर पर 2024 तक प्रदूषण में 20% -30% की कटौती करना था, किंतु अब इसे 2025-26 तक 40% तक कम करने के लिए संशोधित किया गया है।
एक संयुक्त दक्षिण एशिया वायु प्रदूषण को किस प्रकार रोकेगा?
- विश्व बैंक की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि इस क्षेत्र में स्वच्छ हवा प्राप्त करने के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य, लागत प्रभावी समाधान उपलब्ध हैं, किंतु इसके लिए देशों को नीतियों एवं निवेशों का समन्वय करने की आवश्यकता है।
- वायु प्रदूषण पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु न केवल इसके विशिष्ट स्रोतों से निपटने की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय एवं राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार की सीमाओं के मध्य घनिष्ठ समन्वय भी आवश्यक है।
- क्षेत्रीय सहयोग लागत प्रभावी संयुक्त रणनीतियों को क्रियान्वित करने में सहायता कर सकता है जो वायु गुणवत्ता की अन्योन्याश्रित प्रकृति का लाभ उठाते हैं।
- अनेक दक्षिण एशियाई देशों ने वायु गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करने हेतु नीतियां अपनाई हैं, किंतु शहरों के भीतर उत्पन्न वायु प्रदूषण को कम करने पर उनका ध्यान अपर्याप्त परिणाम दे रहा है।
- विश्व बैंक की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि वर्तमान नीतिगत उपाय पूर्ण रूप से क्रियान्वित किए जाने पर भी संपूर्ण दक्षिण एशिया में कणिकीय पदार्थ (पीएम) 2.5 के संकेंद्रण को कम करने में आंशिक रूप से ही सफल होंगे।
- अधिक प्रगति हासिल करने के लिए, नीति निर्माताओं का ध्यान अन्य क्षेत्रों, विशेष रूप से छोटे विनिर्माण, कृषि, आवासीय खाना पकाने एवं अपशिष्ट प्रबंधन तक विस्तृत होना चाहिए।
वायु प्रदूषण को कम करने हेतु चार परिदृश्य
- विश्व बैंक की रिपोर्ट देशों के मध्य नीति कार्यान्वयन एवं सहयोग की पृथक-पृथक मात्रा के साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिए चार परिदृश्यों का विश्लेषण करती है। सर्वाधिक लागत प्रभावी परिदृश्य, जो एयरशेड के मध्य पूर्ण समन्वय का आह्वान करता है, दक्षिण एशिया में कणिकीय पदार्थ (पीएम) 2.5 के औसत जोखिम को घटाकर 278 मिलियन डॉलर प्रति माइक्रोग्राम/mᶾ की लागत से घटाकर 30 µg/m³ कर देगा एवं प्रतिवर्ष 750,000 से अधिक जीवन की रक्षा करेगा।
- किंतु इष्टतम समाधान अनेक कारकों, जैसे बेहतर निगरानी प्रणाली, अधिक वैज्ञानिक क्षमता, सरकारों के मध्य अधिक समन्वय एवं किसानों, छोटी व्यावसायिक कंपनियों तथा परिवारों के मध्य व्यवहारिक परिवर्तन पर निर्भर करता है। इसके लिए, रिपोर्ट तीन चरणों वाला रोडमैप प्रस्तुत करती है।
आगे की राह
- वायु प्रदूषण के प्रभाव अत्यधिक व्यापक थे एवं दक्षिण एशिया में किसी भी देश इससे अप्रभावित नहीं रहा।
- अतः, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश एवं अन्य दक्षिण एशियाई देशों के वैज्ञानिकों को वायु प्रदूषण पर एक ‘एयरशेड दृष्टिकोण’ से निपटने के लिए एक संवाद स्थापित करना चाहिए।
- आसियान, नॉर्डिक क्षेत्रों एवं संपूर्ण चीन जैसे अन्य क्षेत्रों में इस तरह से समस्या का समाधान किया गया है।
- यदि राज्यों को अपने नागरिकों के लिए वायु प्रदूषण को कम करना है तो उन्हें दोष देना बंद करना चाहिए एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- क्षेत्रीय सहयोग लागत प्रभावी संयुक्त रणनीतियों को क्रियान्वित करने में सहायता कर सकता है जो वायु गुणवत्ता की अन्योन्याश्रित प्रकृति का लाभ उठाते हैं।



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