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यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी
यूपीएससी दैनिक समसामयिकी (03-12-2022): यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 के लिए आज के महत्वपूर्ण दैनिक करंट अफेयर्स पढ़ें। आज अर्थात 3 दिसंबर 2022 को, हम कुछ महत्वपूर्ण यूपीएससी दैनिक समसामयिकी को कवर कर रहे हैं जो विशेष रूप से यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं अन्य प्रतिष्ठित अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
गुरुवायुर केसवन
गुरुवायुर केसवन चर्चा में क्यों है?
- आज गुरुवयूर एकादशी है, जो हिंदू कैलेंडर में, विशेष रूप से केरल में, विशेष रूप से गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर में सर्वाधिक पवित्र दिनों में से एक है।
- इसके अतिरिक्त, यह वह दिन है जब प्रसिद्ध हाथी गजराजन गुरुवायुर केसवन की मृत्यु हुई थी – 2 दिसंबर, 1976 को (उस वर्ष एकादशी का दिन)।
गुरुवायुर केसवन कौन थे?
- भगवान गुरुवायुर की सेवा करने वाले सर्वाधिक प्रसिद्ध हाथियों में से एक केशवन था, जिसे गजराज या “हाथियों के राजा” के नाम से भी जाना जाता था।
- जनवरी 1922 में, नीलांबुर के वालिया राजा (किंग) ने अपने 12 हाथियों में से एक को भगवान गुरुवायुरप्पा को अपनी प्रतिज्ञा की पूर्ति के रूप में पेश किया, जब उन्होंने मालाबार विद्रोह के समय अपनी संपूर्ण संपत्ति वापस प्राप्त की।
- गुरुवायुर केसवन अत्यधिक निष्कपट थे, जिन्होंने कभी किसी को हानि नहीं पहुंचाई एवं भगवान कृष्ण के उत्कट भक्त थे।
गुरुवायुर मंदिर के बारे में जानिए
- गुरुवायूर देवस्वोम एक हिंदू मंदिर है जो भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है जो केरल के छोटे से शहर गुरुवायूर में स्थित है।
- गर्भग्रह (केंद्रीय मंदिर) में पीठासीन देवता महाविष्णु हैं, जिनकी आदि शंकराचार्य द्वारा निर्धारित पूजा दिनचर्या के अनुसार पूजा की जाती है तथा बाद में चेन्नास नारायणन नम्बूदरी (1427 में जन्म) द्वारा तंत्र समुच्चय में लिखा गया।

ढाबरी कुरुवी
‘ढाबरी कुरुवी‘ चर्चा में क्यों है?
- ‘ढाबरी कुरुवी‘ भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली फीचर फिल्म है, जिसमें केवल स्वदेशी लोगों को ही अभिनेता के तौर पर लिया गया है।
- गोवा में 53 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 25 नवंबर को भारतीय पैनोरमा वर्ग में इस फिल्म का विश्व प्रीमियर हुआ था।
‘ढाबरी कुरुवी‘ के बारे में
- ‘ढाबरी कुरुवी’ एक आदिवासी लड़की की यात्रा है, जो परंपरा से लड़ती है तथा स्वयं को समाज एवं समुदाय की जंजीरों से मुक्त करना चाहती है, जिसने उसके जैसे लोगों को बांध रखा है।
- यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली फिल्म के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसमें केवल स्वदेशी (स्थानिक) समुदायों के लोगों द्वारा ही अभिनय किया गया है।
- इसके अतिरिक्त, फिल्म को केवल इरुला की जनजातीय भाषा में फिल्म अंकित (शूट) किया गया है।
- स्क्रिप्ट को पहले मलयालम में तैयार किया गया था एवं बाद में इरुला में अनुवाद किया गया था।
नमदा शिल्प कला
नमदा शिल्प कला चर्चा में क्यों है?
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0 एवं कश्मीर के कारीगरों तथा बुनकरों के कौशल विकास के लिए इसके ‘पूर्व शिक्षण की मान्यता (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग/आरपीएल)’ घटक कश्मीर के नमदा शिल्प के संरक्षण एवं पुनरुद्धार में अत्यधिक सहायता कर रहा है।
नमदा शिल्प कला के बारे में जानिए
- नमदा सामान्य बुनाई प्रक्रिया के स्थान पर एक भराई (फेल्टिंग) तकनीक के माध्यम से भेड़ की ऊन से निर्मित गलीचा है।
- नमदा ऊन के रेशों को पानी, साबुन एवं दबाव से जोड़कर बनाया जाता है तथा फिर परिणामी कपड़े पर कशीदाकारी की जाती है।
- ये कश्मीरी घरों में एक प्रभावी एवं सस्ते फर्श आवरण तथा गद्दे के रूप में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाते हैं।
- अधिवासियों को गर्मी प्रदान करने के लिए ऊनी गलीचे, नमदा एवं गब्बे ऊन से बनाए जाते हैं।
- ऊन को बुनने के स्थान पर भराई करना इस शिल्प की सबसे खास विशेषता है। नमदा बनाने के लिए कम मात्रा में कपास के साथ मिश्रित निम्न गुणवत्ता वाले ऊन का उपयोग किया जाता है। वे आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं, सादे एवं कशीदाकारी।
जानिए पीएमकेवीवाई के बारे में
- प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा कार्यान्वित कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप/एमएसडीई) की महत्वाकांक्षी योजना है।
- इस कौशल प्रमाणन योजना का उद्देश्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाना है जो उन्हें बेहतर आजीविका हासिल करने में सहायता करेगा।
- पूर्व शिक्षण के अनुभव या कौशल वाले व्यक्तियों का भी मूल्यांकन किया जाएगा एवं पूर्व शिक्षण की मान्यता (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग/RPL) के तहत प्रमाणित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0 को 2021 में प्रारंभ किया गया था, ताकि भारत के युवाओं को 300 से अधिक कौशल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराकर रोजगार योग्य कौशल के साथ सशक्त बनाया जा सके।
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 चर्चा में क्यों है?
- भारत एवं बांग्लादेश के पड़ोसी क्षेत्रों के मध्य घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव मनाने वाला प्रथम सिलहट-सिलचर महोत्सव 02 दिसंबर, 2022 को असम की बराक घाटी में प्रारंभ हुआ।
- यह इंडिया फाउंडेशन द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में बांग्लादेश फाउंडेशन फॉर रीजनल स्टडीज के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 क्यों?
- 1947 में विभाजन के पश्चात, असम के बहुसंख्यक मुस्लिम जनसंख्या वाला सिलहट जिला पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया एवं वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है।
- अतः त्योहार का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से अलग हुए जुड़वां शहरों एवं उनके लोगों के सामान्य मूल्यों तथा साझा विरासत का पुनर्विलोकन करना है।
- शहर में होने वाले कार्यक्रम में दोनों क्षेत्रों के व्यंजन, कला, शिल्प, संस्कृति एवं स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं।
- दोनों पक्षों के प्रतिष्ठित लोग आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
- त्योहार स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन एवं शिक्षा क्षेत्रों में अवसरों का प्रदर्शन करेगा।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. ‘ढाबरी कुरुवी‘ क्या है?
उत्तर. ‘ढाबरी कुरुवी’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली ऐसी फीचर फिल्म है जिसमें केवल देशज लोगों को ही अभिनय के लिए लिया गया है।
प्र. सिलहट सिलचर से कब अलग हुआ?
उत्तर. 1947 में विभाजन के पश्चात, असम के बहुसंख्यक मुस्लिम जनसंख्या वाला सिलहट जिला पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया एवं वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है।
प्र. गुरुवायुर केशवन कौन थे?
उत्तर. भगवान गुरुवायुर (केरल) की सेवा करने वाले सबसे प्रसिद्ध हाथियों में से एक केशवन था, जिसे गजराज या “हाथियों के राजा” के नाम से भी जाना जाता था।

 
											
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