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थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव का क्या महत्व है?

थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव का क्या महत्व है? श्री त्यागब्रह्मा महोत्सव सभा, थिरुवयारु महान संत एवं संगीतकार श्री त्यागराज की दिव्य स्मृति में दशकों से थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव महोत्सव आयोजित कर रहा है। शीर्ष शास्त्रीय संगीतकार इस पांच दिवसीय उत्सव के दौरान प्रत्येक दिन प्रदर्शन करते हैं।

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प्रसंग

महान संत एवं संगीतकार श्री त्यागराज की 176 वीं आराधना 11 जनवरी 2023 बुधवार को है। यह महोत्सव 6 जनवरी 2023 को प्रारंभ होगा एवं 11 जनवरी 2023 तक चलेगा।

 

संत त्यागराज के बारे में

  • त्यागराज दक्षिण भारत के संगीतकारों में सर्वाधिक महान एवं सर्वकालिक संगीत प्रतिभाओं में से एक थे।
  • वे आधुनिक कर्नाटक संगीत के जनक थे।
  • देवताओं के बारे में उनके कीर्तन आह्लाद पूर्ण आध्यात्मिकता के हैं, मधुर सौंदर्य से परिपूर्ण हैं एवं उच्चतम अर्थों में कलात्मक हैं।
  • बाल्यावस्था में ही वे संगीत के प्रति अपनी रुचि एवं लगाव के लिए विलक्षण थे। उन्होंने अपने प्रथम गीत की रचना 13  वर्ष की आयु में की थी। जल्द ही वे संगीत की प्रसिद्धि के शानदार शिखर पर पहुंच गए तथा अब तक लिखे गए सर्वाधिक भव्य गीतों एवं अप्रतिम सौंदर्य के दो संगीत नाटकों की रचना की।
  • उन्होंने अपना अधिकांश समय राम, लक्ष्मण एवं सीता की प्रतिमाओं की पूजा एवं गायन में व्यतीत किया एवं इस प्रकार उनकी रचनाएँ राम भक्ति से प्रेरित तथा प्रभावित हुईं।
  • अपने निकट आने वाले अंत को भांपते हुए उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया। सन् 1847 में अपने संन्यास के 10वें दिन वे अनंत काल में विलीन हो गए।

हिंदी

थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव का क्या महत्व है?

उत्सव का माह

प्रत्येक वर्ष यह उल्लेखनीय त्योहार जनवरी के महीने में थिरुवयारु में पड़ता है।

विशेषता

  • आराधना का अर्थ है अर्पण करना। त्यागराज आराधना एक वार्षिक कर्नाटक संगीत समारोह है जो आमतौर पर महान संत त्यागराज के जन्म स्थान थिरुवैयारु में जनवरी एवं फरवरी के दौरान वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है।
  • कर्नाटक संगीत के अनेक विशेषज्ञ संगीत प्रस्तुत करने के लिए यहां एकत्रित होते हैं एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत के लाखों उत्कट प्रशंसकों द्वारा इसे देखा जाता है।
  • संत को एक आम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए, पांच पंचरत्न कीर्तन का चयन किया जाता है तथा सभी संगीतकारों द्वारा गाया जाता है।
  • संत के सम्मान एवं धन्यवाद प्रस्तुत करने के प्रतीक के रूप में, संपूर्ण विश्व के कर्नाटक संगीतकार एक साथ मिलते हैं एवं पुष्य बहुल पंचमी – जिस दिन उन्होंने समाधि प्राप्त की थी, पर पंचरत्न कृतियों को गाकर संत को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। यह आराधना की एक अभिन्न विशेषता है।
क्या आपको पता था?

त्यागराज मात्र संगीत से जुड़े व्यक्तित्व नहीं हैं जिनके पास ऐसी आराधना है। नारायण तीर्थ अत्यधिक प्राचीन है एवं त्यागराज की भांति, कई स्थानों पर होता है। सदाशिव ब्रह्मेंद्रल की भी नेरूर में आराधना है। भजन परंपरा में, गोविंदपुरम में प्रत्येक वर्ष बोधेन्द्र स्वामीगल के लिए एक आराधना की जाती है। ये अनुष्ठान उन सभी के लिए सामान्य हैं जिन्होंने त्याग का जीवन अपनाया है। चूंकि त्यागराज भी अपने जीवन के अंतिम दिनों में संन्यासी बन गए थे, अतः उन्हें इस वार्षिक अनुष्ठान के लिए योग्य बनाया।

 

श्री त्यागराज एवं थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. संत त्यागराज कौन हैं?

उत्तर. संत श्री त्यागराज दक्षिण भारत के संगीतकारों में सर्वाधिक महान थे एवं सर्वकालिक संगीत प्रतिभाओं में से एक थे। वे आधुनिक कर्नाटक संगीत के जनक थे।

 

प्र. कौन सी सभा प्रत्येक वर्ष थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव आयोजित करती है?

उत्तर. श्री त्यागब्रह्म महोत्सव सभा, थिरुवैयारू दशकों से थिरुवयारु त्यागराज आराधना महोत्सव महोत्सव आयोजित कर रहा है।

 

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FAQs

Who Is Saint Thyagaraja?

Sri Thyagaraja was the greatest among the music composers of South India and one of the musical prodigies of all time. He was the father of modern Carnatic music.

Which Sabha Conducts Thiruvaiyaru Thyagaraja Aradhana Mahotsava Every Year?

Sri Thyagabrahma Mahotsava Sabha, Thiruvaiyaru has been conducting Thiruvaiyaru Thyagaraja Aradhana Mahotsava Festival for decades.