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मानव विकास में व्यापक असमानताएं, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में  सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण आर्थिक विकास के बावजूद मानव विकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स/एचडीआई) में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन पर चर्चा करता है।

मानव विकास सूचकांक ( ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स/एचडीआई) में भारत का प्रदर्शन

विश्व की सर्वाधिक तीव्र गति से वृद्धि करती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत की प्रगति उसके मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में परिलक्षित नहीं हुई है। 2021-22 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है तथा बांग्लादेश (129) एवं श्रीलंका (73) से पीछे है।

मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है?

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में मानव विकास का मूल्यांकन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विकसित एक समग्र उपाय है।

  • 1990 में इसके प्रारंभ ने सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट/जीडीपी) जैसे आर्थिक उपायों का विकल्प प्रदान किया, जो मानव विकास के व्यापक आयामों को प्रग्रहित नहीं करते हैं।
  • एचडीआई तीन क्षेत्रों में देश की औसत उपलब्धियों को मापता है:
    • स्वास्थ्य एवं दीर्घायु,
    • शिक्षा एवं
    • जीवन स्तर।

भारत के लिए मानव विकास सूचकांक (HDI) की गणना कैसे की जाती है?

एचडीआई की गणना के लिए, चार संकेतकों का उपयोग किया जाता है: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, विद्यालयी शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष एवं प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (ग्रॉस नेशनल इनकम/जीएनआई)।

  • प्रतिदर्श (नमूना) पंजीकरण प्रणाली से जीवन प्रत्याशा डेटा प्राप्त किया जाता है, जबकि विद्यालयी शिक्षा के औसत एवं अपेक्षित वर्ष राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) -5 से लिए जाते हैं।
  • हालाँकि, सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति डेटा उप-राष्ट्रीय स्तर पर अनुपलब्ध है, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट/GSDP) प्रति व्यक्ति जीवन स्तर के लिए एक परोक्ष संकेतक के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • जीएसडीपी (स्थिर मूल्यों पर पीपीपी 2011-12) डेटा को भारतीय राज्यों पर भारतीय रिजर्व बैंक की सांख्यिकी पुस्तिका से निकाला जाता है, जबकि प्रति व्यक्ति जीएसडीपी का अनुमान भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा प्रदान किए गए जनसंख्या अनुमानों का उपयोग करके लगाया जाता है।
  • मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) की गणना में यूएनडीपी एवं एनएसओ द्वारा अनुशंसित न्यूनतम तथा अधिकतम मूल्यों को लागू करते हुए मानव विकास के तीन आयामों के लिए सामान्यीकृत सूचकांकों के ज्यामितीय माध्य का निर्धारण करना शामिल है।
  • एचडीआई 0 एवं 1 के मध्य होता है, जिसमें उच्च अंक मानव विकास के उच्च स्तर का संकेत देते हैं

भारत के लिए उप-राष्ट्रीय एचडीआई

उप-राष्ट्रीय एचडीआई से ज्ञात होता है कि जहां कुछ राज्यों ने पर्याप्त प्रगति हासिल की है, वहीं अन्य को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली शीर्ष पर है, जबकि बिहार सबसे नीचे है। फिर भी, यह उल्लेखनीय है कि बिहार को अब निम्न मानव विकास वाला राज्य नहीं माना जाता है, जैसा कि विगत एचडीआई रिपोर्ट में था।

  • उच्चतम एचडीआई स्कोर वाले शीर्ष पांच राज्य दिल्ली, गोवा, केरल, सिक्किम एवं चंडीगढ़ हैं।
  • दिल्ली तथा गोवा का मानव विकास सूचकांक स्कोर 0.799 से अधिक है, जो उन्हें पूर्वी यूरोप के देशों के समकक्ष रखता है जो मानव विकास के अत्यधिक उच्च स्तर का प्रदर्शन करते हैं।
  • महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश सहित कुल उन्नीस राज्यों के स्कोर 0.7 और 0.799 के बीच हैं तथा उन्हें उच्च मानव विकास वाले राज्यों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भारत के लिए उप-राष्ट्रीय एचडीआई का विश्लेषण

उप-राष्ट्रीय एचडीआई विश्लेषण से ज्ञात होता है कि कुछ राज्यों ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जबकि अन्य अभी भी पीछे हैं। मानव विकास के मध्यम स्तर के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और असम के साथ बिहार सूची में सबसे नीचे है। इसके अतिरिक्त, ओडिशा, राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल भी इस श्रेणी में आते हैं, जिनका एचडीआई स्कोर राष्ट्रीय औसत से कम है। इन निम्न प्रदर्शन वाले राज्यों के स्कोर की तुलना कांगो, घाना, केन्या एवं नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों से की जा सकती है।

  • बड़े राज्यों में प्रति व्यक्ति उच्चतम एसजीडीपी होने के बावजूद, गुजरात एवं हरियाणा इस लाभ को मानव विकास में परिवर्तित करने में सक्षम नहीं हैं तथा वे क्रमशः 21 एवं 10 वें स्थान पर हैं।
  • इसके विपरीत, केरल अपनी उच्च साक्षरता दर, मजबूत स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे एवं अपेक्षाकृत उच्च आय स्तरों के कारण वर्षों से निरंतर उच्च एचडीआई मूल्यों को प्रदर्शित करता है।
  • दूसरी ओर, बिहार ने अनवरत राज्यों के मध्य न्यूनतम एचडीआई मूल्य बरकरार रखा है, जिसमें उच्च  निर्धनता दर, निम्न साक्षरता स्तर एवं अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे जैसे कारकों का योगदान है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विश्लेषण उप-राष्ट्रीय मानव विकास सूचकांक पर कोविड-19 के प्रभाव को  प्रदर्शित नहीं करता है। मानव विकास पर महामारी के पूर्ण प्रभावों का पता तभी चलेगा जब महामारी के पश्चात के अनुमान उपलब्ध होंगे।

HDI प्रदर्शन में विसंगतियों के कारण

आर्थिक विकास का असमान वितरण भारत के मानव विकास में असमानता के प्राथमिक कारणों में से एक है। सर्वाधिक धनी 10% आबादी के पास देश की 77% से अधिक संपत्ति है, जिससे बुनियादी सुविधाओं, स्वास्थ्य देखभाल एवं शिक्षा तक पहुंच में महत्वपूर्ण विसंगतियां हैं। इसके अतिरिक्त, हालांकि भारत ने निर्धनता को कम करने एवं स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी इन सेवाओं की गुणवत्ता के बारे में चिंताएं हैं। प्राथमिक शिक्षा में लगभग सार्वभौम नामांकन प्राप्त करने के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता निम्न बनी हुई है।

आगे की राह

विकास के लाभों का अधिक न्याय संगत वितरण सुनिश्चित करने के लिए, सरकारों के लिए यह अनिवार्य है कि वे आर्थिक विकास के साथ-साथ मानव विकास को भी प्राथमिकता दें। इसमें एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है जो-

  • आय एवं लैंगिक असमानता को संबोधित करता है,
  • गुणवत्तापूर्ण सामाजिक सेवाओं तक पहुंच बढ़ाता है,
  • पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करता है, तथा
  • अविकसित क्षेत्रों में स्वच्छ जल, स्वच्छता सुविधाओं, स्वच्छ ईंधन, बिजली एवं इंटरनेट सहित सामाजिक बुनियादी ढांचे जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं बुनियादी घरेलू सुविधाओं में निवेश करता है।

निष्कर्ष

अपनी जनसांख्यिकीय क्षमता को पूरी तरह से महसूस करने के लिए, भारत के लिए अपने बड़े आकार और जनसंख्या को देखते हुए, अपने राज्यों में मानव विकास में क्षेत्रीय असमानताओं से निपटना महत्वपूर्ण है। भारत को विशेष रूप से अपने युवाओं के लिए मानव विकास और रोजगार सृजन में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए।

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. मानव विकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स/एचडीआई) क्या है?

उत्तर.  मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम/यूएनडीपी) द्वारा संपूर्ण विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में मानव विकास के स्तर का मूल्यांकन एवं तुलना करने के लिए बनाया गया एक समग्र सांख्यिकीय उपाय है। यह तीन प्रमुख आयामों को ध्यान में रखता है: एक दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, ज्ञान तक पहुंच तथा उचित जीवन निर्वाह स्तर।

प्र. एचडीआई की गणना कैसे की जाती है?

उत्तर.  एचडीआई की गणना के लिए, चार संकेतकों का उपयोग किया जाता है: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, विद्यालयी शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष एवं प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (ग्रॉस नेशनल इनकम/जीएनआई)। कार्यप्रणाली में यूएनडीपी एवं राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (नेशनल स्टैटिसटिक्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफिस/एनएसओ) द्वारा अनुशंसित अधिकतम एवं न्यूनतम मूल्यों को लागू करते हुए मानव विकास के तीन आयामों के लिए सामान्यीकृत सूचकांकों के ज्यामितीय माध्य की गणना करना शामिल है।

प्र. भारत का एचडीआई क्या है?

उत्तर.  2021-22 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत 191 देशों में 0.645 के एचडीआई स्कोर के साथ 132वें स्थान पर है। हालांकि, भारत का उप-राष्ट्रीय एचडीआई विभिन्न राज्यों के मध्य महत्वपूर्ण भिन्नता प्रदर्शित करता है, कुछ रैंकिंग दूसरों की तुलना में बहुत अधिक है।

प्र. भारत के एचडीआई को प्रभावित करने वाले कुछ कारक क्या हैं?

उत्तर.  भारत का एचडीआई विभिन्न कारकों से प्रभावित है, जिनमें असमान आर्थिक विकास, आय असमानता, लिंग असमानता, सामाजिक सेवाओं की खराब गुणवत्ता, पर्यावरणीय चुनौतियां एवं सामाजिक बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी शामिल है। इन कारकों के परिणामस्वरूप बुनियादी सुविधाओं, स्वास्थ्य देखभाल एवं शिक्षा तक पहुंच में महत्वपूर्ण असमानताएं हुई हैं।

 

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FAQs

What is the Human Development Index (HDI)?

The Human Development Index (HDI) is a composite statistical measure created by the United Nations Development Programme (UNDP) to evaluate and compare the level of human development in different regions around the world. It takes into account three key dimensions: a long and healthy life, access to knowledge, and a decent standard of living.

How is the HDI calculated?

The HDI is calculated using four indicators: life expectancy at birth, mean years of schooling, expected years of schooling, and Gross National Income (GNI) per capita. The methodology involves calculating the geometric mean of the normalised indices for the three dimensions of human development while applying the maximum and minimum values recommended by the UNDP and National Statistical Office (NSO).

What is the HDI of India?

According to the Human Development Report of 2021-22, India ranks 132 out of 191 countries, with an HDI score of 0.645. However, India's subnational HDI shows significant variations among different States, with some ranking much higher than others.

What are some of the factors affecting India's HDI?

India's HDI is affected by various factors, including uneven economic growth, income inequality, gender inequality, poor quality of social services, environmental challenges, and lack of investment in social infrastructure. These factors have resulted in significant disparities in access to basic amenities, healthcare, and education.

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