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सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 निम्नलिखित टॉपिक्स में सम्मिलित है जीएस 1: भारतीय कला रूप, भारतीय वास्तुकला एवं जीएस 2: भारत एवं उसके पड़ोसी।
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 चर्चा में क्यों है?
- भारत एवं बांग्लादेश के पड़ोसी क्षेत्रों के मध्य घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव मनाने वाला प्रथम सिलहट-सिलचर महोत्सव 02 दिसंबर, 2022 को असम की बराक घाटी में प्रारंभ होगा।
- बांग्लादेश के विदेश मामलों के मंत्री ए. के. अब्दुल मोमन दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लगभग 75 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जिसमें मंत्री, व्यवसायी एवं सांस्कृतिक अनुप्रतीक सम्मिलित होंगे।
- आयोजक कौन हैं?
- यह इंडिया फाउंडेशन द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में बांग्लादेश फाउंडेशन फॉर रीजनल स्टडीज के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 के पीछे क्या विचार है?
- वर्ष 2022 भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष का प्रतीक है, एक ऐतिहासिक घटना जिसने सीमा के दोनों ओर के निवासियों के जीवन को स्थायी रूप से परिवर्तित कर दिया।
- इस वर्ष पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ भी है।
- भारत सरकार स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को , स्वतंत्र भारत की यात्रा को स्मरण करने एवं उत्सव मनाने के लिए “आजादी का अमृत महोत्सव” के रूप में मना रही है।
- अतः, यह आयोजन (सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022) भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष एवं पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में होगा।
सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 का उद्देश्य क्या है?
- त्योहार का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से अलग हुए जुड़वां शहरों एवं उनके लोगों के सामान्य मूल्यों तथा साझा विरासत का पुनर्विलोकन करना है।
- शहर में होने वाले कार्यक्रम में दोनों क्षेत्रों के व्यंजन, कला, शिल्प, संस्कृति एवं स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं।
- दोनों पक्षों के प्रतिष्ठित लोग आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
- त्योहार स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन एवं शिक्षा क्षेत्रों में अवसरों का प्रदर्शन करेगा।
सिलहट एवं सिलचर के मध्य ऐतिहासिक घनिष्ठ संबंध
- 1947 में विभाजन के पश्चात, असम के बहुसंख्यक मुस्लिम जनसंख्या वाला सिलहट जिला पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया एवं वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है।
- सिलहट के अनेक लोगों को अपनी मातृभूमि से पलायन करना पड़ा एवं शरणार्थियों के रूप में भारत में शरण लेनी पड़ी।
- जबकि उस समय का तनाव कुछ ऐसा नहीं है जिसे सरलता से विस्मृत नहीं किया जा सकता है, सीमा के दोनों किनारों पर “पुराने लोगों को लोगों से जुड़ने का उत्सव मनाने” का जश्न मनाया जा सकता है।
- अतः, सिलहट एवं सिलचर ने युगों से घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध साझा किए हैं तथा यह त्योहार दोनों देशों के दो पड़ोसी क्षेत्रों के मध्य लोगों के मध्य संपर्क को और सुदृढ़ करेगा।
निष्कर्ष
इस सिलचर-सिलहट उत्सव से मित्रता की सदियों पुरानी भावना को बढ़ाने एवं दोनों पड़ोसी देशों के मध्य अच्छे संबंध स्थापित करने की संभावना है, जो विविध किंतु समान संस्कृति, परंपरा एवं बहुत कुछ साझा करते हैं। इसके अतिरिक्त, इस आयोजन में लोग विभिन्न आदिवासी संस्कृतियों, व्यंजनों, कला, शिल्प एवं मनोरंजन का भी आनंद ले सकते हैं।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. सिलहट सिलचर से कब अलग हुआ?
उत्तर. 1947 में विभाजन के पश्चात, असम के बहुसंख्यक मुस्लिम लोगों वाला सिलहट जिला पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया एवं वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है।
प्र. सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022 के पीछे क्या विचार है?
उत्तर. यह आयोजन (सिलहट-सिलचर महोत्सव 2022) भारत की आजादी के 75 साल एवं पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में होगा।



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