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‘शून्य’ अभियान

प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण।

 

प्रसंग

  • नीति आयोग ने आरएमआई एवं आरएमआई इंडिया के सहयोग से उपभोक्ताओं एवं उद्योग के साथ कार्य करके शून्य-प्रदूषण वितरण वाहनों को प्रोत्साहन देने हेतु शून्य अभियान प्रारंभ किया है।

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मुख्य बिंदु

  • अभियान का उद्देश्य शहरी वितरण खंड (डिलीवरी सेगमेंट) में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तीव्रता लाना एवं शून्य-प्रदूषण वितरण के लाभों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता उत्पन्न करना है।
  • अभियान के एक भाग के रूप में, अंतिम-बिंदु की डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों में संक्रमण की दिशा में उद्योग के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने तथा प्रोत्साहन देने  हेतु एक  व्यावसायिक (कॉर्पोरेट) ब्रांडिंग तथा प्रमाणन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था।
  • यह अभियान इलेक्ट्रिक वाहनों के स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं आर्थिक लाभों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देगा।

 

महत्व

  • स्वच्छ परिवहन के लिए संक्रमण महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत एक सतत एवं लोचशील भविष्य की ओर आगे बढ़ रहा है।
  • प्रतिस्पर्धी अर्थशास्त्र एवं उपलब्ध तकनीक त्वरित समय पर भारत के शहरी वितरण बेड़े के पूर्ण विद्युतीकरण का सहयोग करते हैं।
  • माल ढुलाई (फ्रेट) विद्युतीकरण अन्य बाजार क्षेत्रों के अनुसरण हेतु अनुवात उत्पन्न करेगा।

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यह महत्वपूर्ण क्यों है?

  • शहरी मालवाहक वाहन भारत में माल परिवहन से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड गैस के 10% भाग के उत्सर्जन  हेतु उत्तरदायी हैं, एवं इन उत्सर्जनों के 2030 तक 114 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों से कोई विसर्जन नलिका (टेलपाइप) उत्सर्जन नहीं होता है, जो बेहतर वायु गुणवत्ता में अत्यधिक योगदान दे सकता है।
  • तब भी जब उनके निर्माण हेतु उत्तरदायी हो, वे न्यून परिचालन लागत के अतिरिक्त, अपने आंतरिक दहन इंजन समकक्षों की तुलना में 15-40 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जित करते हैं।

 

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने हेतु कदम

  • देश में इलेक्ट्रिक गतिशीलता में वृद्धि करने हेतु, सरकार ने फेम इंडिया स्कीम (भारत में इलेक्ट्रिक (एवं हाइब्रिड) वाहनों को तीव्रता से अपनाना) का प्रथम चरण प्रारंभ किया था।
    • योजना के अंतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक परिवहन सहित सभी इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहनों को इस योजना के मांग सृजन केंद्र (डिमांड क्रिएशन फोकस) क्षेत्र के अंतर्गत प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्वदेशी रूप से विकसित लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी का व्यवसायीकरण किया है एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु 14 कंपनियों का चयन किया है।
  • ऊर्जा मंत्रालय ने आवेशन संरचना (चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर) पर एक नीति जारी की है तथा एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करना एक सेवा होगी, न कि ऊर्जा का विक्रय।
  • 2018 में, सरकार ने बैटरी से चलने वाले परिवहन वाहनों एवं इथेनॉल तथा मेथनॉल ईंधन द्वारा चालित परिवहन वाहनों को अनुज्ञा (परमिट) की आवश्यकता से छूट प्रदान की थी।
  • आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने निजी तथा वाणिज्यिक भवनों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु शहरी एवं क्षेत्रीय विकास योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन (यूआरडीपीएफआई) दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
  • केंद्र एवं राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अग्रिम प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु नीतियां प्रारंभ की हैं, जो पूंजीगत लागत को उच्च सीमा तक कम करेंगे।
  • ई-कॉमर्स कंपनियां, बेड़ा समूहक (फ्लीट एग्रीगेटर्स), मौलिक उपकरण निर्माता (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स) (ओईएम) एवं संभारिकी (लॉजिस्टिक्स) कंपनियां अंतिम-बिंदु वितरण (फाइनल-माइल डिलीवरी) विद्युतीकरण की दिशा में अपने प्रयासों में वृद्धि कर रही हैं।

राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन

 

 

 

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