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लेखांकन के सिद्धांत- लेखा इकाई (पृथक इकाई अवधारणा)

लेखांकन के सिद्धांत- संकल्पना

  • परिभाषा: लेखांकन सिद्धांत वित्तीय लेनदेन के लेखांकन एवं वित्तीय विवरण तैयार करने हेतु सामान्य नियमों या दिशानिर्देशों को संदर्भित करता है।
    • वित्तीय विवरणों को रिकॉर्ड करने एवं तैयार करने हेतु लेखांकन सिद्धांत मूलभूत दिशा निर्देश हैं।
    • लेखांकन सिद्धांतों को सामान्य तौर पर ‘ सामान्यतः स्वीकृत लेखा सिद्धांत (जीएएपी)’ के रूप में संदर्भित किया जाता है।
    • प्रत्येक देश के नियामकों एवं प्राधिकारों के अपने स्वयं के लेखांकन सिद्धांत होते हैं जैसे यूके जीएएपी, यूएसए जीएएपी, आईएफआरएस इत्यादि।
  • भारत में लेखांकन सिद्धांत: भारत में वित्तीय विवरण, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा जारी लेखांकन मानकों एवं संबंधित अनुप्रयोज्य अधिनियमों में निर्धारित कानून (उदाहरण के लिए, कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची III) के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
  • लेखांकन सिद्धांतों का लक्ष्य: यह सुनिश्चित करना कि कंपनी के वित्तीय विवरण पूर्ण, सुसंगत एवं तुलनीय हैं।
    • कंपनियों द्वारा रिपोर्ट की गई वित्तीय सूचनाओं की गुणवत्ता में सुधार हेतु लेखांकन मानकों को लागू किया जाता है।
  • लेखांकन सिद्धांतों का महत्व:
    • निवेशकों के लिए कंपनी के वित्तीय विवरणों से सूचनाओं का विश्लेषण करना तथा उपयोगी सूचनाएं निकालना   सुगम बनाता है, जिसमें एक समय अवधि के रुझान डेटा भी शामिल है।
    • विभिन्न कंपनियों में वित्तीय सूचनाओं (जानकारी) की आपस में तुलना करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • पारदर्शिता में वृद्धि कर एवं भयसूचक चिह्नों को पहचानने की अनुमति देकर लेखांकन धोखाधड़ी को कम करने में सहायता करता है।
  • लेखांकन के कई सिद्धांत हैं। आज, हम लेखांकन इकाई के सिद्धांत ( पृथक इकाई अवधारणा) के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।

लेखांकन के सिद्धांत- लेखा इकाई (पृथक इकाई अवधारणा)_3.1

 

लेखांकन सिद्धांत- लेखा इकाई (पृथक इकाई अवधारणा)

  • लेखांकन इकाई का सिद्धांत (पृथक इकाई अवधारणा): इस सिद्धांत के अनुसार, व्यवसाय को एक ऐसी इकाई के रूप में माना जाता है जो अपने मालिकों से भिन्न एवं स्पष्ट होती है।
  • लेखांकन इकाई (पृथक इकाई अवधारणा) की विशेषताएं: यह मानता है कि मालिकों, लेनदारों, देनदारों, प्रबंधकों एवं अन्य से भिन्न व्यवसाय की अपनी स्वयं की पहचान है।
    • इस धारणा को ध्यान में रखते हुए, व्यावसायिक लेनदेन को व्यावसायिक उद्यम की दृष्टि से लेखा बही में दर्ज किया जाता है तथा मालिक के व्यक्तिगत लेनदेन को व्यावसायिक लेनदेन में शामिल नहीं किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक उद्यम के वित्तीय विवरण तैयार करने में मालिकों की परिसंपत्तियों एवं देनदारियों को पृथक रखा जाता है।
    • व्यावसायिक इकाई अवधारणा सभी प्रकार के व्यावसायिक संगठनों जैसे, एकल स्वामित्व, साझेदारी फर्म, कंपनियां इत्यादि पर लागू होती है।
  • लेखा इकाई के सिद्धांत की सीमा:
    • एकल स्वामित्व एवं साझेदारी कंपनियों के मामले में मालिक तथा व्यवसाय के मध्य पार्थक्य (अलगाव) की रेखा  निर्धारित करना अत्यंत महीन है, लेकिन कंपनियों के मामले में ऐसा नहीं है।
    • कभी-कभी व्यक्तिगत खर्चों एवं व्यावसायिक खर्चों के मध्य अंतर करना अत्यंत कठिन हो जाता है। उदाहरण के लिए, व्यवसाय के उद्देश्य हेतु निजी कारों का उपयोग अथवा व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए आधिकारिक फोन का उपयोग आदि।

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